Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T05:08:20Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A901920&xn_auth=noआद0 नवीन जी सादर अभिवादन। बेह…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-10:5170231:Comment:9026822017-12-10T23:36:23.847Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 नवीन जी सादर अभिवादन। बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने, शैर दर शैर मुबारकबाद कुबूल करें। सादर</p>
<p>आद0 नवीन जी सादर अभिवादन। बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने, शैर दर शैर मुबारकबाद कुबूल करें। सादर</p> आदरणीय , नवीन जी
आधुनिक युग क…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-07:5170231:Comment:9017552017-12-07T20:04:43.042Zरक्षिता सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/RakshitaSingh
<p>आदरणीय , नवीन जी</p>
<p>आधुनिक युग की वास्तविकता को आपने बहुत ही सुन्दर पंक्तियों में पिरोया..बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय , नवीन जी</p>
<p>आधुनिक युग की वास्तविकता को आपने बहुत ही सुन्दर पंक्तियों में पिरोया..बधाई स्वीकार करें।</p> आ0 कबीर सर सादर प्रणाम । अवश…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-07:5170231:Comment:9020332017-12-07T18:42:33.176ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 कबीर सर सादर प्रणाम । अवश्य ठीक करता हूँ ।</p>
<p>आ0 कबीर सर सादर प्रणाम । अवश्य ठीक करता हूँ ।</p> जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदा…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-07:5170231:Comment:9017412017-12-07T16:39:20.912ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>छटे शैर के सानी मिसरे में 'जुर्म' की जगह "ज़ुल्म" कर लें ।</p>
<p>सातवें शैर के सानी मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है,'मुल्क को',इसे "देश को" कर सकते हैं,इसी मिसरे में 'नस्तर' को "निश्तर" कर लें ।</p>
<p></p>
<p>'लूट का जिन पर लगा इल्ज़ाम था'</p>
<p>सानी मिसरे की मुनासिबत से इस मिसरे को इस तरह करना मुनासिब होगा:-</p>
<p>'लूट का इल्ज़ाम था जिन पर उन्हें'</p>
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>छटे शैर के सानी मिसरे में 'जुर्म' की जगह "ज़ुल्म" कर लें ।</p>
<p>सातवें शैर के सानी मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है,'मुल्क को',इसे "देश को" कर सकते हैं,इसी मिसरे में 'नस्तर' को "निश्तर" कर लें ।</p>
<p></p>
<p>'लूट का जिन पर लगा इल्ज़ाम था'</p>
<p>सानी मिसरे की मुनासिबत से इस मिसरे को इस तरह करना मुनासिब होगा:-</p>
<p>'लूट का इल्ज़ाम था जिन पर उन्हें'</p>