Comments - तेरे-मेरे दोहे - (२) - Open Books Online2024-03-29T12:57:28Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A901342&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब .…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9014462017-12-05T09:46:46.766ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... प्रस्तुति को अपनी मधुर शब्दों से अलंकृत करने का दिल से आभार। ये सुझाव ही तो सृजन को निखारने का काम करते हैं सर। सादर। ...</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... प्रस्तुति को अपनी मधुर शब्दों से अलंकृत करने का दिल से आभार। ये सुझाव ही तो सृजन को निखारने का काम करते हैं सर। सादर। ...</p> आदरणीय मो.आरिफ साहिब , आदाब .…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9013722017-12-05T09:44:45.872ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय मो.आरिफ साहिब , आदाब ... प्रस्तुति आपकी मधुर प्रशंसा की दिल से आभारी है।</p>
<p>आदरणीय मो.आरिफ साहिब , आदाब ... प्रस्तुति आपकी मधुर प्रशंसा की दिल से आभारी है।</p> आदरणीय डॉ पवन मिश्र जी सृजन क…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9012852017-12-05T09:44:33.774ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय डॉ पवन मिश्र जी सृजन को अपनी मधुर प्रशंसा से उपकृत करने का हार्दिक आभार। दूसरे दोहे के प्रथम चरण के बारे में आपका संशय सही है। मैं उसे अभी एडिट कर देता हूँ। बाकी इंगित शब्दों पर आपकी टिप्पणी को भविष्य अवशय ध्यान में रखूंगा। आपने समय दिया , आपका हर सुझाव मेरे लिए अनमोल है। सादर। ...</p>
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<p>आदरणीय डॉ पवन मिश्र जी सृजन को अपनी मधुर प्रशंसा से उपकृत करने का हार्दिक आभार। दूसरे दोहे के प्रथम चरण के बारे में आपका संशय सही है। मैं उसे अभी एडिट कर देता हूँ। बाकी इंगित शब्दों पर आपकी टिप्पणी को भविष्य अवशय ध्यान में रखूंगा। आपने समय दिया , आपका हर सुझाव मेरे लिए अनमोल है। सादर। ...</p>
<p></p> आदरणीय मनोज कुमार श्रीवास्तवा…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9012842017-12-05T09:44:02.059ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय मनोज कुमार श्रीवास्तवा जी सृजन को मनोहारी प्रतिक्रिया से शोभित करने का दिल से आभार।</p>
<p>आदरणीय मनोज कुमार श्रीवास्तवा जी सृजन को मनोहारी प्रतिक्रिया से शोभित करने का दिल से आभार।</p> आदरणीय उस्मानी साहिब, आदाब ..…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9012822017-12-05T09:43:18.321ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय उस्मानी साहिब, आदाब ... सर सृजन के भावों को अपनी आत्मीय प्रशंसा से मान देने का दिल से आभार।</p>
<p>आदरणीय उस्मानी साहिब, आदाब ... सर सृजन के भावों को अपनी आत्मीय प्रशंसा से मान देने का दिल से आभार।</p> जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9012802017-12-05T09:41:52.187ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत सुंदर दोहे रचे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>डॉ.पवन मिश्र साहिब के सुझाव उत्तम हैं ।</p>
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत सुंदर दोहे रचे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>डॉ.पवन मिश्र साहिब के सुझाव उत्तम हैं ।</p> आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,
…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9011872017-12-05T02:33:52.191ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,</p>
<p> प्रेम के उपवन में विचरण करते बेहतरीन दोहे । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,</p>
<p> प्रेम के उपवन में विचरण करते बेहतरीन दोहे । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय सुशील सरना जी, सुंदर द…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9014402017-12-05T01:36:42.248Zडॉ पवन मिश्रhttp://www.openbooksonline.com/profile/2tllvricxnsjg
<p><span>आदरणीय सुशील सरना जी, सुंदर दोहावली। अनेकों बधाइयाँ। दूसरे दोहे के प्रथम चरण में अटकाव है, प्रिय के कारण एक मात्रा कम हो रही है। कृपया देख लीजिये। एक निवेदन और है सुंदर हिंदी शब्दो से सजी प्रस्तुति में सौग़ात और पैग़ाम जैसे दो शब्द कुछ खटक से रहे। यह मात्र मेरी पाठकीय टिप्पणी है आदरणीय</span></p>
<p><span>आदरणीय सुशील सरना जी, सुंदर दोहावली। अनेकों बधाइयाँ। दूसरे दोहे के प्रथम चरण में अटकाव है, प्रिय के कारण एक मात्रा कम हो रही है। कृपया देख लीजिये। एक निवेदन और है सुंदर हिंदी शब्दो से सजी प्रस्तुति में सौग़ात और पैग़ाम जैसे दो शब्द कुछ खटक से रहे। यह मात्र मेरी पाठकीय टिप्पणी है आदरणीय</span></p> आदरणीय सरना जी, सादर वन्दे! ब…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-04:5170231:Comment:9011802017-12-04T16:06:54.486ZManoj kumar shrivastavahttp://www.openbooksonline.com/profile/Manojkumarshrivastava
<p>आदरणीय सरना जी, सादर वन्दे! बहुत ही सुंदर विरह रचना है। कोटिशः बधाइयाॅं स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय सरना जी, सादर वन्दे! बहुत ही सुंदर विरह रचना है। कोटिशः बधाइयाॅं स्वीकार करें।</p> बहुत ही भावपूर्ण रिश्तों की त…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-04:5170231:Comment:9014362017-12-04T16:05:35.868ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>बहुत ही भावपूर्ण रिश्तों की तह तक ले जाती बेहतरीन दोहावली सृजन के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।</p>
<p>बहुत ही भावपूर्ण रिश्तों की तह तक ले जाती बेहतरीन दोहावली सृजन के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।</p>