Comments - ग़ज़ल- आज फिर उसने कुछ कहा मुझसे - Open Books Online2024-03-29T06:03:46Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A901222&xn_auth=noआदरणीय अजय तिवारी जी, हृदय तल…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-06:5170231:Comment:9018132017-12-06T17:40:05.633Zडॉ पवन मिश्रhttp://www.openbooksonline.com/profile/2tllvricxnsjg
<p>आदरणीय अजय तिवारी जी, हृदय तल से आभार</p>
<p>आदरणीय अजय तिवारी जी, हृदय तल से आभार</p> आदरणीय अफ़रोज़ सहर जी बहुत बहुत…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-06:5170231:Comment:9019162017-12-06T17:39:42.101Zडॉ पवन मिश्रhttp://www.openbooksonline.com/profile/2tllvricxnsjg
<p>आदरणीय अफ़रोज़ सहर जी बहुत बहुत आभार</p>
<p>आदरणीय अफ़रोज़ सहर जी बहुत बहुत आभार</p> आदरणीय पवन जी,
खूबसूरत ग़ज़ल हु…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9014442017-12-05T09:05:59.519ZAjay Tiwarihttp://www.openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय पवन जी,</p>
<p>खूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाईयाँ.</p>
<p>सादर</p>
<p>आदरणीय पवन जी,</p>
<p>खूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाईयाँ.</p>
<p>सादर</p> आदरणीय डा. पवन मिश्र जी इस ख़…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9011922017-12-05T03:19:23.529ZAfroz 'sahr'http://www.openbooksonline.com/profile/Afrozsahr
आदरणीय डा. पवन मिश्र जी इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर बहुत बधाई आपको जनाब समर साहिब की इस्लाह पर ध्यान दीजिएगा,,बाकी शुभ शुभ,
आदरणीय डा. पवन मिश्र जी इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर बहुत बधाई आपको जनाब समर साहिब की इस्लाह पर ध्यान दीजिएगा,,बाकी शुभ शुभ, आदरणीय समर साहब, जिस मिसरे से…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9014392017-12-05T01:24:16.072Zडॉ पवन मिश्रhttp://www.openbooksonline.com/profile/2tllvricxnsjg
<p>आदरणीय समर साहब, जिस मिसरे से मैं खुद पूरी तरह से मुतमईन नहीं था उसे उध्दृत करने के लिये सादर धन्यवाद। असल में इस पूरी ग़ज़ल में एक दृश्य कहने का प्रयास किया और उनके रूठने की बात भूतकाल में कहने की मजबूरी आड़े आ रही थी क्योंकि आज तो हम साथ बैठे हैं। इसीलिये 'था' के साथ मिसरा कहना पड़ा।</p>
<p>गिला वाले मिसरे को आपके सुझाव के अनुसार मूल में परिवर्तित कर लिया है। कोटिशः धन्यवाद। </p>
<p>आदरणीय समर साहब, जिस मिसरे से मैं खुद पूरी तरह से मुतमईन नहीं था उसे उध्दृत करने के लिये सादर धन्यवाद। असल में इस पूरी ग़ज़ल में एक दृश्य कहने का प्रयास किया और उनके रूठने की बात भूतकाल में कहने की मजबूरी आड़े आ रही थी क्योंकि आज तो हम साथ बैठे हैं। इसीलिये 'था' के साथ मिसरा कहना पड़ा।</p>
<p>गिला वाले मिसरे को आपके सुझाव के अनुसार मूल में परिवर्तित कर लिया है। कोटिशः धन्यवाद। </p> आदरणीय बन्धु सतविंद्र राणा जी…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9011842017-12-05T01:19:35.090Zडॉ पवन मिश्रhttp://www.openbooksonline.com/profile/2tllvricxnsjg
<p>आदरणीय बन्धु सतविंद्र राणा जी, आभारम</p>
<p>आदरणीय बन्धु सतविंद्र राणा जी, आभारम</p> आदरणीय मनोज कुमार जी, आपकी टि…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9011832017-12-05T01:18:55.841Zडॉ पवन मिश्रhttp://www.openbooksonline.com/profile/2tllvricxnsjg
<p>आदरणीय मनोज कुमार जी, आपकी टिप्पणी के लिये सादर आभार</p>
<p>आदरणीय मनोज कुमार जी, आपकी टिप्पणी के लिये सादर आभार</p> आदरणीय कालीपद जी, हृदय तल से…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-05:5170231:Comment:9012602017-12-05T01:18:08.535Zडॉ पवन मिश्रhttp://www.openbooksonline.com/profile/2tllvricxnsjg
<p>आदरणीय कालीपद जी, हृदय तल से आभार</p>
<p>आदरणीय कालीपद जी, हृदय तल से आभार</p> जनाब डॉ.पवन मिश्र जी आदाब,अच्…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-04:5170231:Comment:9011702017-12-04T11:46:40.324ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब डॉ.पवन मिश्र जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>'हो गया था वही ख़फ़ा मुझसे'</p>
<p>अगर इस मिसरे को यूँ कहें तो?</p>
<p>'हो गया आज वो ख़फ़ा मुझसे' </p>
<p></p>
<p>'अब कोई भी नहीं गिला मुझसे'</p>
<p>'अब उसे कुछ नहीं गिला मुझसे'</p>
<p>जनाब डॉ.पवन मिश्र जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>'हो गया था वही ख़फ़ा मुझसे'</p>
<p>अगर इस मिसरे को यूँ कहें तो?</p>
<p>'हो गया आज वो ख़फ़ा मुझसे' </p>
<p></p>
<p>'अब कोई भी नहीं गिला मुझसे'</p>
<p>'अब उसे कुछ नहीं गिला मुझसे'</p> आदरणीय डॉ पवन जी उम्दा अशआर न…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-04:5170231:Comment:9014292017-12-04T10:10:44.722Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://www.openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
आदरणीय डॉ पवन जी उम्दा अशआर निकले हैं,बेहद बधाई!
आदरणीय डॉ पवन जी उम्दा अशआर निकले हैं,बेहद बधाई!