Comments - ग़ज़ल -आग हम अंदर लिए हैं - Open Books Online2024-03-28T19:18:41Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A898312&xn_auth=noआ.भाई नवीन जी, सुंदर गजल हुई…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-27:5170231:Comment:8993162017-11-27T14:30:50.558Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
आ.भाई नवीन जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
आ.भाई नवीन जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई । आदरणीय त्रिपाठी जी, व्यंग्य र…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-25:5170231:Comment:8987882017-11-25T11:01:53.741ZManoj kumar shrivastavahttp://www.openbooksonline.com/profile/Manojkumarshrivastava
आदरणीय त्रिपाठी जी, व्यंग्य रचना पर मेरी बधाई स्वीकार करें।
आदरणीय त्रिपाठी जी, व्यंग्य रचना पर मेरी बधाई स्वीकार करें। जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदा…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-23:5170231:Comment:8984522017-11-23T16:31:53.428ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
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'हाँ वही नेता सुरक्षा में कई रहबर लिए हैं'<br />
इस मिसरे में क़ाफ़िया काम नहीं कर रहा है,'रहबर'का अर्थ रास्ता दिखाने वाला होता है,जिसे आपने 'अंग रक्षक'के अर्थ में ले लिया है,इसे बदलने का प्रयास करें ।<br />
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'वो सुबह देते नसीहत ---<br />
बेरहम होकर जो रिश्वत को यहाँ शब भर लिए हैं'<br />
ऊला मिसरे में 'वो सुबह'की जगह "सुब्ह वो'करना उचित होगा,और सानी मिसरे में 'बेरहम'शब्द ग़लत है,सही शब्द है "बेरह्म" दूसरी बात ये कि सानी मिसरे में 'को'शब्द भर्ती का…
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
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'हाँ वही नेता सुरक्षा में कई रहबर लिए हैं'<br />
इस मिसरे में क़ाफ़िया काम नहीं कर रहा है,'रहबर'का अर्थ रास्ता दिखाने वाला होता है,जिसे आपने 'अंग रक्षक'के अर्थ में ले लिया है,इसे बदलने का प्रयास करें ।<br />
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'वो सुबह देते नसीहत ---<br />
बेरहम होकर जो रिश्वत को यहाँ शब भर लिए हैं'<br />
ऊला मिसरे में 'वो सुबह'की जगह "सुब्ह वो'करना उचित होगा,और सानी मिसरे में 'बेरहम'शब्द ग़लत है,सही शब्द है "बेरह्म" दूसरी बात ये कि सानी मिसरे में 'को'शब्द भर्ती का है, इन त्रुटियों को ठीक कीजियेगा ।<br />
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'मिट गया उस मुल्क का नामो निशाँ जिस मुल्क में सब<br />
आलिमों ने भीख की ख़ातिर बिछा चादर लिए हैं'<br />
ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है,'मुल्क'की जगह "देश"करना उचित होगा,और सानी मिसरे में आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की "चादर"शब्द स्त्रीलिंग है । है उन्हें दरकार लाशों की चुना…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-23:5170231:Comment:8984242017-11-23T07:44:48.691ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
है उन्हें दरकार लाशों की चुनावों में कहीं से ।<br />
अम्न के क़ातिल नए अंदाज में ख़ंजर लिए हैं ।।बहुत ख़ूब! बहुत ख़ूब!! बहुत ही सामयिक शे'र है ।<br />
शे'रत्रदर शे'रत्रदाद के साथ मुबारकबाद आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
है उन्हें दरकार लाशों की चुनावों में कहीं से ।<br />
अम्न के क़ातिल नए अंदाज में ख़ंजर लिए हैं ।।बहुत ख़ूब! बहुत ख़ूब!! बहुत ही सामयिक शे'र है ।<br />
शे'रत्रदर शे'रत्रदाद के साथ मुबारकबाद आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।