Comments - ग़ज़ल- अभी तक शख्स वो जिन्दा है साहब - Open Books Online2024-03-29T06:56:07Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A897936&xn_auth=noजनाब राम अवध जी आदाब,अच्छी ग़ज़…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-21:5170231:Comment:8982342017-11-21T09:13:37.209ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब राम अवध जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
जनाब राम अवध जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ । अभी तक शख्स वो जिन्दा है साहब…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-21:5170231:Comment:8980572017-11-21T06:33:31.513ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
अभी तक शख्स वो जिन्दा है साहब।<br />
निडर होकर जो सच कहता है साहब। बहुत ख़ूब! बहुत ख़ूब!! सच कहने वाले बिरले ही रह गए हैं जनाब ।<br />
उम्दा ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद आदरणीय अवध बिहारी जी । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
अभी तक शख्स वो जिन्दा है साहब।<br />
निडर होकर जो सच कहता है साहब। बहुत ख़ूब! बहुत ख़ूब!! सच कहने वाले बिरले ही रह गए हैं जनाब ।<br />
उम्दा ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद आदरणीय अवध बिहारी जी । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे । वाह वाह.. हर शेर ख़ूबसूरत..
ज…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-21:5170231:Comment:8982122017-11-21T04:08:22.477ZSALIM RAZA REWAhttp://www.openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
वाह वाह.. हर शेर ख़ूबसूरत..<br />
जनाब राम अवध साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
वाह वाह.. हर शेर ख़ूबसूरत..<br />
जनाब राम अवध साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं आद0 रामअवध विश्वकर्मा जी सादर…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-20:5170231:Comment:8979022017-11-20T16:12:39.226Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 रामअवध विश्वकर्मा जी सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने।<br />
<br />
सभी हैं अपनी अपनी जिद पे कायम,<br />
किसी की कौन अब सुनता है साहब<br />
यह शैर बेहद पसंद आया। बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल पर। सादर
आद0 रामअवध विश्वकर्मा जी सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने।<br />
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सभी हैं अपनी अपनी जिद पे कायम,<br />
किसी की कौन अब सुनता है साहब<br />
यह शैर बेहद पसंद आया। बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल पर। सादर जनाब राम अवध साहिब ,सुन्दर ग़ज़…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-20:5170231:Comment:8978982017-11-20T15:41:31.599ZTasdiq Ahmed Khanhttp://www.openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
जनाब राम अवध साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
जनाब राम अवध साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं