Comments - पढ़े-लिखे हैं आप तो - डॉo विजय शंकर - Open Books Online2024-03-28T15:51:21Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A896571&xn_auth=noआद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-15:5170231:Comment:8970992017-11-15T23:30:10.145Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन, आपकी उसी त्रुटि से मन मे शंका हुई कि यह लघुकथा कैसे, अब बात स्पष्ट हुई। पुनः बधाई इस सृजन पर्।
आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन, आपकी उसी त्रुटि से मन मे शंका हुई कि यह लघुकथा कैसे, अब बात स्पष्ट हुई। पुनः बधाई इस सृजन पर्। आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-15:5170231:Comment:8971502017-11-15T23:07:21.806ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , आपकी बधाई के लिए आभार। आदरणीय समर कबीर साहब से इस प्रसंग में चर्चा में मैं त्रुटिवश कविता की जगह लघु-कथा टाइप कर गया था। इसे मैंने अपने अगले वक्तव्य में स्वीकार भी करा है और खेद भी व्यक्त किया हैं। कृपया देखना चाहें , " लघु- कथा लिखने की त्रुटि के लिए खेद है।" .शेष यह रचना एक अतुकांत कविता ही है। सादर।
आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , आपकी बधाई के लिए आभार। आदरणीय समर कबीर साहब से इस प्रसंग में चर्चा में मैं त्रुटिवश कविता की जगह लघु-कथा टाइप कर गया था। इसे मैंने अपने अगले वक्तव्य में स्वीकार भी करा है और खेद भी व्यक्त किया हैं। कृपया देखना चाहें , " लघु- कथा लिखने की त्रुटि के लिए खेद है।" .शेष यह रचना एक अतुकांत कविता ही है। सादर। आद0 डॉ विजय शंकर जी सादर अभिव…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-15:5170231:Comment:8968852017-11-15T22:57:20.065Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 डॉ विजय शंकर जी सादर अभिवादन, आप ने जो लिखा है, भाव पक्ष के दृष्टिकोण से अच्छा है पर अगर प्रतिक्रिया को न् देखूँ तो इसको लघुकथा कहना मेरे लिए मुश्क़िल है, क्या लघुकथा ऐसे गेयता आधारित लिखी भी जा सकती है, गौर कीजियेगा।आद0 समर साहब की बात से सहमत हूँ। शेष भाव पक्ष के लिए आपको बधाई।
आद0 डॉ विजय शंकर जी सादर अभिवादन, आप ने जो लिखा है, भाव पक्ष के दृष्टिकोण से अच्छा है पर अगर प्रतिक्रिया को न् देखूँ तो इसको लघुकथा कहना मेरे लिए मुश्क़िल है, क्या लघुकथा ऐसे गेयता आधारित लिखी भी जा सकती है, गौर कीजियेगा।आद0 समर साहब की बात से सहमत हूँ। शेष भाव पक्ष के लिए आपको बधाई। आदरणीय सलीम रज़ा रेवा जी, आपका…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-15:5170231:Comment:8968062017-11-15T05:09:54.931ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
आदरणीय सलीम रज़ा रेवा जी, आपका आभार एवं धन्यवाद , सादर।
आदरणीय सलीम रज़ा रेवा जी, आपका आभार एवं धन्यवाद , सादर। आदरणीय विजय निकोर जी, आपका आभ…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-15:5170231:Comment:8968052017-11-15T05:08:15.350ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
आदरणीय विजय निकोर जी, आपका आभार एवं धन्यवाद , सादर।
आदरणीय विजय निकोर जी, आपका आभार एवं धन्यवाद , सादर। आ. सुन्दर रचना के लिए बधाई.tag:www.openbooksonline.com,2017-11-14:5170231:Comment:8970472017-11-14T14:35:23.682ZSALIM RAZA REWAhttp://www.openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आ. सुन्दर रचना के लिए बधाई.
आ. सुन्दर रचना के लिए बधाई. रचना में कटाक्ष बहुत अच्छा बन…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-14:5170231:Comment:8969432017-11-14T13:57:53.644Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>रचना में कटाक्ष बहुत अच्छा बना है। मैंने भी इस रचना को कविता की तरह पढ़ा, और थोड़ा confuse हो गया, पर फिर कटाक्ष का आनन्द आ गया। बधाई, आदरणीय विजय शंकर जी।</p>
<p>रचना में कटाक्ष बहुत अच्छा बना है। मैंने भी इस रचना को कविता की तरह पढ़ा, और थोड़ा confuse हो गया, पर फिर कटाक्ष का आनन्द आ गया। बधाई, आदरणीय विजय शंकर जी।</p> आदरणीय कालीपद प्रसाद मंडल जी…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-14:5170231:Comment:8968232017-11-14T06:00:10.117ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
आदरणीय कालीपद प्रसाद मंडल जी , कविता को पसंद करने के लिए आभार एवं बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
आदरणीय कालीपद प्रसाद मंडल जी , कविता को पसंद करने के लिए आभार एवं बधाई हेतु धन्यवाद , सादर। आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , आपने…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-14:5170231:Comment:8968222017-11-14T06:00:02.222ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , आपने कविता को पसंद किया , आभार एवं बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , आपने कविता को पसंद किया , आभार एवं बधाई हेतु धन्यवाद , सादर। आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-14:5170231:Comment:8967742017-11-14T05:59:44.470ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार , लघु- कथा लिखने की त्रुटि के लिए खेद है। सादर।
आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार , लघु- कथा लिखने की त्रुटि के लिए खेद है। सादर।