Comments - सार छंद - - Open Books Online2024-03-29T12:10:18Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A895112&xn_auth=noआदरणीया Dr.Prachi Singh जी, आ…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-13:5170231:Comment:8967022017-11-13T13:39:35.899ZHariom Shrivastavahttp://www.openbooksonline.com/profile/HariomShrivastava
आदरणीया Dr.Prachi Singh जी, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। आपका हार्दिक आभार।
आदरणीया Dr.Prachi Singh जी, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। आपका हार्दिक आभार। बहुत ही सुन्दर यथार्थपरक रचना…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-06:5170231:Comment:8954572017-11-06T15:22:07.397Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
बहुत ही सुन्दर यथार्थपरक रचना हुई आदरणीय..
बहुत ही सुन्दर यथार्थपरक रचना हुई आदरणीय.. जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-05:5170231:Comment:8950032017-11-05T15:23:23.272ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब,बहुत उम्दा सारछन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब,बहुत उम्दा सारछन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें । आदरणीय हरिओम जी आदाब, दर्द-पी…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-05:5170231:Comment:8949692017-11-05T02:12:31.325ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीय हरिओम जी आदाब, दर्द-पीड़ा, आशा, साथ लेकर चलने की बात और साथ ही विकास सपनों के साकार करने की सामयिक रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय हरिओम जी आदाब, दर्द-पीड़ा, आशा, साथ लेकर चलने की बात और साथ ही विकास सपनों के साकार करने की सामयिक रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आदरणीया Rajesh Kumari जी,आपकी…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-03:5170231:Comment:8950432017-11-03T18:21:01.864ZHariom Shrivastavahttp://www.openbooksonline.com/profile/HariomShrivastava
आदरणीया Rajesh Kumari जी,आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। इस उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।
आदरणीया Rajesh Kumari जी,आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। इस उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार। आदरणीय Sushil Sarana जी,आपकी…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-03:5170231:Comment:8948782017-11-03T18:19:19.534ZHariom Shrivastavahttp://www.openbooksonline.com/profile/HariomShrivastava
आदरणीय Sushil Sarana जी,आपकी विशद व समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। इस उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।
आदरणीय Sushil Sarana जी,आपकी विशद व समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। इस उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार। वाह बहुत सुंदर सार्थक प्रस्तु…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-03:5170231:Comment:8949302017-11-03T14:14:54.895Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>वाह बहुत सुंदर सार्थक प्रस्तुती दी है सार छंद में आद० हरिओम श्री वास्तव जी बहुत बहुत बधाई </p>
<p>वाह बहुत सुंदर सार्थक प्रस्तुती दी है सार छंद में आद० हरिओम श्री वास्तव जी बहुत बहुत बधाई </p> धर्म पंथ में बाँटा किसने, क्य…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-03:5170231:Comment:8948662017-11-03T14:09:24.372ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>धर्म पंथ में बाँटा किसने, क्यों तकरार मचाई।<br/>वितरण भी असमान हो रहा, बढ़ती जाती खाई।।<br/>जैसे यहाँ रेवड़ी कोई, बाँट रहा हो सूरा।<br/>इसीलिए बापू का अब तक, सपना रहा अधूरा।।3।।</p>
<p>वाह आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सपनों के भारत का आपने वो शब्द चित्र खींचा है कि वर्तमान को उन बिखरते सपनों और अधूरे सपनों पर शर्मिंदगी होनी चाहिए। हालात को आईना दिखाने हेतु आपका हार्दिक आभार एवं श्रेष्ठ सृजन के लिए हार्दिक बधाई सर जी।</p>
<p>धर्म पंथ में बाँटा किसने, क्यों तकरार मचाई।<br/>वितरण भी असमान हो रहा, बढ़ती जाती खाई।।<br/>जैसे यहाँ रेवड़ी कोई, बाँट रहा हो सूरा।<br/>इसीलिए बापू का अब तक, सपना रहा अधूरा।।3।।</p>
<p>वाह आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सपनों के भारत का आपने वो शब्द चित्र खींचा है कि वर्तमान को उन बिखरते सपनों और अधूरे सपनों पर शर्मिंदगी होनी चाहिए। हालात को आईना दिखाने हेतु आपका हार्दिक आभार एवं श्रेष्ठ सृजन के लिए हार्दिक बधाई सर जी।</p> आदरणीया Dr.Prachi Singh जी,आप…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-03:5170231:Comment:8949282017-11-03T12:30:29.364ZHariom Shrivastavahttp://www.openbooksonline.com/profile/HariomShrivastava
आदरणीया Dr.Prachi Singh जी,आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। इस हेतु आपका हार्दिक आभार।
आदरणीया Dr.Prachi Singh जी,आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ। इस हेतु आपका हार्दिक आभार। सार छंद में बहुत खूबसूरत समसा…tag:www.openbooksonline.com,2017-11-03:5170231:Comment:8950322017-11-03T12:23:21.784ZDr.Prachi Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>सार छंद में बहुत खूबसूरत समसामयिक प्रस्तुति आ० हरिओम श्रीवास्तव जी </p>
<p>सचमुच भारत की तस्वीर को दो रंगों में बाँट देने वाली खाई को मिटना ही चाहिए , बापू का ही क्या आम जन का भी यही ख्वाब है जिसे पूरा होना चाहिए </p>
<p></p>
<p>प्रस्तुति पर बधाई प्रेषित है </p>
<p>स्वीकार करें </p>
<p>सार छंद में बहुत खूबसूरत समसामयिक प्रस्तुति आ० हरिओम श्रीवास्तव जी </p>
<p>सचमुच भारत की तस्वीर को दो रंगों में बाँट देने वाली खाई को मिटना ही चाहिए , बापू का ही क्या आम जन का भी यही ख्वाब है जिसे पूरा होना चाहिए </p>
<p></p>
<p>प्रस्तुति पर बधाई प्रेषित है </p>
<p>स्वीकार करें </p>