Comments - सदी ऊपर का मुकद्दमा - डॉo विजय शंकर। - Open Books Online2024-03-28T17:34:55Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A890724&xn_auth=noआदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , विस्…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-24:5170231:Comment:8915522017-10-24T05:02:10.081ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , विस्तृत विश्लेषण के लिए आभार , बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , विस्तृत विश्लेषण के लिए आभार , बधाई हेतु धन्यवाद , सादर। आदरणीय विजय शंकर जी आदाब, आपक…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-20:5170231:Comment:8907652017-10-20T12:10:47.930ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीय विजय शंकर जी आदाब, आपकी लघुकथा को निम्न बिन्दुओं पर देख लेना समीचीन होगा:-<br />
(1) कथानक -कथानक की दृष्टिकोण से देखा जाय तो यह कथानक अपने आप में बहुत कुछ कहता है । हर काल परिस्थिति में राम को मुवक्किल बनाया जाएगा । बेहतरीन कथानक है , लाजवाब कथानक है ।<br />
(2) पात्र या चरित्र-चित्रण- पात्र या चरित्र-चित्रण को देखा जाय तो यहाँ आपने सोच समझकर एक उदात्त पौराणिक पुरुषोत्तम का चरित्र केंद्र में रखकर न्याय की गुहार लगा दी । इस चरित्र को तो हर काल-खंड में अपनी परीक्षा से गुज़रना होगा । इसकी अग्नि-परीक्षा…
आदरणीय विजय शंकर जी आदाब, आपकी लघुकथा को निम्न बिन्दुओं पर देख लेना समीचीन होगा:-<br />
(1) कथानक -कथानक की दृष्टिकोण से देखा जाय तो यह कथानक अपने आप में बहुत कुछ कहता है । हर काल परिस्थिति में राम को मुवक्किल बनाया जाएगा । बेहतरीन कथानक है , लाजवाब कथानक है ।<br />
(2) पात्र या चरित्र-चित्रण- पात्र या चरित्र-चित्रण को देखा जाय तो यहाँ आपने सोच समझकर एक उदात्त पौराणिक पुरुषोत्तम का चरित्र केंद्र में रखकर न्याय की गुहार लगा दी । इस चरित्र को तो हर काल-खंड में अपनी परीक्षा से गुज़रना होगा । इसकी अग्नि-परीक्षा तो कालजयी हो गई है ।<br />
(3) देशकाल या वातावरण- इसका काल निर्धारण अपने आप में ही अजर-अमर है ।<br />
(4)उद्देश्य-इसका सीधा-सा उद्देश्य है पाठक का अपना निजी दृष्टिकोण ।<br />
हार्दिक-हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।