Comments - समय का चक्कर (कटाक्षिकाएँ) - Open Books Online2024-03-28T08:10:53Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A888143&xn_auth=noआदरणीय विजय शंकर जी आदाब,आपकी…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-14:5170231:Comment:8889012017-10-14T02:19:21.394ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीय विजय शंकर जी आदाब,आपकी उत्साहजनक , समीक्षात्मक और निरपेक्ष भाव की टिप्पणी पाकर अभिभूत हो गया । आपकी टिप्पणी से पश्चिम के देश में मोबाइल के प्रयोग के बारे में जानकर अच्छा लगा । हमें मोबाइल -आचरण पर ध्यान देना होगा । हार्दिक-हार्दिक आभार ।
आदरणीय विजय शंकर जी आदाब,आपकी उत्साहजनक , समीक्षात्मक और निरपेक्ष भाव की टिप्पणी पाकर अभिभूत हो गया । आपकी टिप्पणी से पश्चिम के देश में मोबाइल के प्रयोग के बारे में जानकर अच्छा लगा । हमें मोबाइल -आचरण पर ध्यान देना होगा । हार्दिक-हार्दिक आभार । बहुत खूबसूरत प्रस्तुति। जब जी…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-12:5170231:Comment:8888092017-10-12T23:55:40.600ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति। जब जीवन के ऊपर मशीनें इस कदर हावी हो जाएँ तो जीएवं का यंत्रवत होना रोक पाना बहुत कठिन है। एक मोबाईल ने ही हमारी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा हमसे छीन लिया है और उसे हम आगे बढ़ना मानते है। वैसे कुछ लोगों के मोबाइल बजाते ही नहीं या बहुत काम बजते हैं , वो तो किसी से पीछे नहीं दिखते। विदेशों में मैं जहां जहां भी गया , देखता हूँ की ड्यूटी पर तो शायद ही किसी का मोबाईल बजता हो। घूमते फिरते , बाजार में भी बहुत कम लोग इसे कान लगाए दिखते हैं। हमारे यहां तो कार ड्राइव करते समय आप अपने…
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति। जब जीवन के ऊपर मशीनें इस कदर हावी हो जाएँ तो जीएवं का यंत्रवत होना रोक पाना बहुत कठिन है। एक मोबाईल ने ही हमारी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा हमसे छीन लिया है और उसे हम आगे बढ़ना मानते है। वैसे कुछ लोगों के मोबाइल बजाते ही नहीं या बहुत काम बजते हैं , वो तो किसी से पीछे नहीं दिखते। विदेशों में मैं जहां जहां भी गया , देखता हूँ की ड्यूटी पर तो शायद ही किसी का मोबाईल बजता हो। घूमते फिरते , बाजार में भी बहुत कम लोग इसे कान लगाए दिखते हैं। हमारे यहां तो कार ड्राइव करते समय आप अपने बाल ठीक कर रहे हों और पुलिस वाला देख ले तो गाड़ी रोक लेगा , मोबाइल पर बात बात कर रहे<br />
थे। तारीफ़ देखिये कि औद्योगीकरण में हम चाहे जितना पीछे हों पर किसी नव उपकरण के हम सबसे उपभोक्ता बन जाते हैं , प्रगति / आमदनी से बड़े खर्चे।<br />
आपको मोहम्मद आरिफ जी , आपको बहुत बहुत बधाई , सादर। बहुत-बहुत आभार आदरणीय वासुदेव…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-12:5170231:Comment:8885472017-10-12T15:56:41.591ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
बहुत-बहुत आभार आदरणीय वासुदेव अग्रवाल जी । आपकी उत्साहजनक प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हो गया ।
बहुत-बहुत आभार आदरणीय वासुदेव अग्रवाल जी । आपकी उत्साहजनक प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हो गया । बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय शेख…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-12:5170231:Comment:8885462017-10-12T15:54:36.355ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी । लेखन सार्थक हो गया ।
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी । लेखन सार्थक हो गया । अद्भुत प्रतीकात्मक विचारोत्ते…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-12:5170231:Comment:8887182017-10-12T13:00:52.768ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
अद्भुत प्रतीकात्मक विचारोत्तेजक सम्प्रेषण। तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब।
अद्भुत प्रतीकात्मक विचारोत्तेजक सम्प्रेषण। तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब। वाहहहह मोहम्मद आरिफ जी जीवन क…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-12:5170231:Comment:8886252017-10-12T12:58:52.235Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'http://www.openbooksonline.com/profile/Basudeo
वाहहहह मोहम्मद आरिफ जी जीवन के कटु सत्य को उजागर करती क्षणिकाएँ। हार्दिक बधाई।
वाहहहह मोहम्मद आरिफ जी जीवन के कटु सत्य को उजागर करती क्षणिकाएँ। हार्दिक बधाई। अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से पो…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-12:5170231:Comment:8883992017-10-12T03:08:32.253ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से पोषित करने का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय राज़ नवादवी जी ।
अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से पोषित करने का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय राज़ नवादवी जी । सुंदर क्षणिकाएं | बधाई हो आदर…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-11:5170231:Comment:8885132017-10-11T17:13:01.339Zराज़ नवादवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/RazNawadwi
<p><span>सुंदर क्षणिकाएं | बधाई हो आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब </span></p>
<p><span>सुंदर क्षणिकाएं | बधाई हो आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब </span></p> बहुत-बहुत शुक्रिया सलीम रज़ा स…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-11:5170231:Comment:8885122017-10-11T17:06:18.126ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
बहुत-बहुत शुक्रिया सलीम रज़ा साहब ।
बहुत-बहुत शुक्रिया सलीम रज़ा साहब । बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया कल…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-11:5170231:Comment:8884492017-10-11T17:04:43.091ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया कल्पना भट्ट जी । लेखन सार्थक हो गया ।
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया कल्पना भट्ट जी । लेखन सार्थक हो गया ।