Comments - सूरजमुखी - लघुकथा - Open Books Online2024-03-29T11:48:10Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A879852&xn_auth=noकथा पर प्रोत्साहन देती प्रतिक…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-21:5170231:Comment:8828552017-09-21T11:15:30.732ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://www.openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
<p>कथा पर प्रोत्साहन देती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार कल्पना भट्ट जी, आपकी इस स्स्नेहिल टिप्पणी के लिए शुक्रिया .....कल्पना जी आपने भी भाई उस्मानी जी जैसा ही कुछ प्रश्न पुछा है.... दरअसल 'मणिधर' उस बच्ची के अपने आप मस्त रह कर खेलते हुए और करते हुए इशारे को ही अपनी और का इशारा समझ कर एक काल्पनिक आधार खींच लेता था. इसलिए जब उसे वास्तविकता का गया होता है, तब वह अच्म्भित रह जता है ..... सादर</p>
<p>कथा पर प्रोत्साहन देती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार कल्पना भट्ट जी, आपकी इस स्स्नेहिल टिप्पणी के लिए शुक्रिया .....कल्पना जी आपने भी भाई उस्मानी जी जैसा ही कुछ प्रश्न पुछा है.... दरअसल 'मणिधर' उस बच्ची के अपने आप मस्त रह कर खेलते हुए और करते हुए इशारे को ही अपनी और का इशारा समझ कर एक काल्पनिक आधार खींच लेता था. इसलिए जब उसे वास्तविकता का गया होता है, तब वह अच्म्भित रह जता है ..... सादर</p> कथा पर प्रोत्साहन देती प्रतिक…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-21:5170231:Comment:8826672017-09-21T11:10:49.844ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://www.openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
<p>कथा पर प्रोत्साहन देती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार भाई शेख शहजाद उस्मानी जी.... सूर्य प्रकाश को महसूस करने की बात आपने बिलकुल सही कही भाई उसमानी जी लेकिन रंगीन गुब्बारे को महसूस करने की अनुभूति पर मैं आपको बतान चाहूँगा कि ऐसा कुछ नहीं था दरअसल ये 'मणिधर' के अपने ही भाव थे जो शीशे में से दिखाई देती बच्ची से इशारों से वार्तलाप करके एक काल्पनिक आधार खींच लेता था. बच्ची तो बेचारी अपने ही अंधेरो में मस्त खेला करती थी... सादर.</p>
<p>कथा पर प्रोत्साहन देती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार भाई शेख शहजाद उस्मानी जी.... सूर्य प्रकाश को महसूस करने की बात आपने बिलकुल सही कही भाई उसमानी जी लेकिन रंगीन गुब्बारे को महसूस करने की अनुभूति पर मैं आपको बतान चाहूँगा कि ऐसा कुछ नहीं था दरअसल ये 'मणिधर' के अपने ही भाव थे जो शीशे में से दिखाई देती बच्ची से इशारों से वार्तलाप करके एक काल्पनिक आधार खींच लेता था. बच्ची तो बेचारी अपने ही अंधेरो में मस्त खेला करती थी... सादर.</p> हार्दिक आभार आदरणीया आशा सिंह…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-21:5170231:Comment:8828542017-09-21T10:58:50.571ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://www.openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
<p>हार्दिक आभार आदरणीया आशा सिंह जी रचना पर आगमन के लिए .</p>
<p>सादर.</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीया आशा सिंह जी रचना पर आगमन के लिए .</p>
<p>सादर.</p> हार्दिक आभार भाई आशुतोष मिश्र…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-21:5170231:Comment:8825752017-09-21T10:57:50.161ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://www.openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
<p>हार्दिक आभार भाई आशुतोष मिश्र जी आपकी स्नेहिल टिप्पणी के लिए... सादर.</p>
<p>हार्दिक आभार भाई आशुतोष मिश्र जी आपकी स्नेहिल टिप्पणी के लिए... सादर.</p> भाई अफरोज सहर जी कथा पर प्रोत…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-21:5170231:Comment:8825742017-09-21T10:56:41.841ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://www.openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
<p>भाई अफरोज सहर जी कथा पर प्रोत्साहन देती टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार जी. सादर.</p>
<p>भाई अफरोज सहर जी कथा पर प्रोत्साहन देती टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार जी. सादर.</p> कथा पर प्रोत्साहन देती प्रतिक…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-21:5170231:Comment:8828532017-09-21T10:55:44.518ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://www.openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
<p>कथा पर प्रोत्साहन देती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार भाई सलीम रजा जी. सादर.</p>
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<p>कथा पर प्रोत्साहन देती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार भाई सलीम रजा जी. सादर.</p>
<p></p> सूर्य प्रकाश को महसूस करता, ग…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-14:5170231:Comment:8809302017-09-14T14:38:26.481ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
सूर्य प्रकाश को महसूस करता, ग़ुब्बारे बेचने वाले की आवाज़ों से रंगीन ग़ुब्बारों की अनुभूति करता सूरजमुखी बचपन । बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता जी।
सूर्य प्रकाश को महसूस करता, ग़ुब्बारे बेचने वाले की आवाज़ों से रंगीन ग़ुब्बारों की अनुभूति करता सूरजमुखी बचपन । बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता जी। इस बेहतरीन लघुकथा के लिए हार्…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-14:5170231:Comment:8809192017-09-14T12:25:43.944ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>इस बेहतरीन लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय वीर जी | एक छोटी सी शंका है , खिड़की से कैसे वह गुब्बारे वाले की तरफ इशारा करती थी , क्या यहाँ यह दर्शा रहे है कि गुब्बारे की आवाज़ से या कुछ और ? कृपया अन्यथा न लेंगे | सादर |</p>
<p>इस बेहतरीन लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय वीर जी | एक छोटी सी शंका है , खिड़की से कैसे वह गुब्बारे वाले की तरफ इशारा करती थी , क्या यहाँ यह दर्शा रहे है कि गुब्बारे की आवाज़ से या कुछ और ? कृपया अन्यथा न लेंगे | सादर |</p> इस बेहतरीन लघुकथा के लिए हार्…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-14:5170231:Comment:8811152017-09-14T12:21:14.721ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>इस बेहतरीन लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय वीर जी | एक छोटी सी शंका है , खिड़की से कैसे वह गुब्बारे वाले की तरफ इशारा करती थी , क्या यहाँ यह दर्शा रहे है कि गुब्बारे की आवाज़ से या कुछ और ? कृपया अन्यथा न लेंगे | सादर |</p>
<p>इस बेहतरीन लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय वीर जी | एक छोटी सी शंका है , खिड़की से कैसे वह गुब्बारे वाले की तरफ इशारा करती थी , क्या यहाँ यह दर्शा रहे है कि गुब्बारे की आवाज़ से या कुछ और ? कृपया अन्यथा न लेंगे | सादर |</p> बहुत सार्थकtag:www.openbooksonline.com,2017-09-13:5170231:Comment:8805412017-09-13T14:53:36.367Zआशा सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/0nj87r1w08nyf
बहुत सार्थक
बहुत सार्थक