Comments - वही वंशज है सूरज का - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल) - Open Books Online2024-03-29T09:48:13Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A879238&xn_auth=noआ.भाई नवीन जी, इस अपार स्नेह…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-09:5170231:Comment:8800392017-09-09T10:17:00.926Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
आ.भाई नवीन जी, इस अपार स्नेह के लिए आभार ।
आ.भाई नवीन जी, इस अपार स्नेह के लिए आभार । आ.भाई मो. आरिफ जी, अभिवादन। उ…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-09:5170231:Comment:8800382017-09-09T10:14:25.307Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
आ.भाई मो. आरिफ जी, अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आ.भाई मो. आरिफ जी, अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद । आ. भाई सलीम रजा जी, प्रशंसा क…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-09:5170231:Comment:8800372017-09-09T10:10:42.846Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
आ. भाई सलीम रजा जी, प्रशंसा के लिए आभार ।
आ. भाई सलीम रजा जी, प्रशंसा के लिए आभार । आ. भाई तस्दीक अहमद जी, प्रशंस…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-09:5170231:Comment:8799512017-09-09T09:49:35.374Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
आ. भाई तस्दीक अहमद जी, प्रशंसा और बेहतरीन सलाह के लिए आभार ।
आ. भाई तस्दीक अहमद जी, प्रशंसा और बेहतरीन सलाह के लिए आभार । आ. भाई समर जी,अभिवादन। स्नह व…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-09:5170231:Comment:8799472017-09-09T09:47:14.529Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
आ. भाई समर जी,अभिवादन। स्नह व प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आ. भाई समर जी,अभिवादन। स्नह व प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद । आ.भाई आशुतोष जी, उत्साहवर्धन…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-09:5170231:Comment:8799462017-09-09T09:45:23.862Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
आ.भाई आशुतोष जी, उत्साहवर्धन के लिए आभार ।
आ.भाई आशुतोष जी, उत्साहवर्धन के लिए आभार । वाह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुत खूब ग़ज़ल ह…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-07:5170231:Comment:8795332017-09-07T02:42:23.693ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
वाह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुत खूब ग़ज़ल हुई ।
वाह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुत खूब ग़ज़ल हुई । आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब,…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-07:5170231:Comment:8793862017-09-07T02:16:12.735ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,सुन्…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-06:5170231:Comment:8794222017-09-06T15:26:12.892ZSALIM RAZA REWAhttp://www.openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,सुन्दर गज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । तस्दीक़ साहिब के कहे पर अमल जरूर कर लें.
जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,सुन्दर गज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । तस्दीक़ साहिब के कहे पर अमल जरूर कर लें. जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,सुन्…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-06:5170231:Comment:8793562017-09-06T13:12:18.891ZTasdiq Ahmed Khanhttp://www.openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,सुन्दर गज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । आखरी शेर के सानी मिसरे में सही उर्दू का शब्द दख्ल है दख़ल नहीं ,इसलिए उस मिसरे को यूं कर सकते हैं<br />
न ग़म का दख्ल होने दो कभी मधुमाह में यारो ।
जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,सुन्दर गज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । आखरी शेर के सानी मिसरे में सही उर्दू का शब्द दख्ल है दख़ल नहीं ,इसलिए उस मिसरे को यूं कर सकते हैं<br />
न ग़म का दख्ल होने दो कभी मधुमाह में यारो ।