Comments - बरखा ( सार छंद- १६,१२) - Open Books Online2024-03-29T14:17:30Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A874784&xn_auth=noआदरणीया कल्पना जी , सार छंद ब…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-23:5170231:Comment:8755372017-08-23T15:29:56.273Zगिरिराज भंडारीhttp://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीया कल्पना जी , सार छंद बढिया रचे हैं आपने , हार्दिक बधाइयाँ !</p>
<p>आदरणीया कल्पना जी , सार छंद बढिया रचे हैं आपने , हार्दिक बधाइयाँ !</p> बारिश की मस्ती को खूब पिरोया…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-22:5170231:Comment:8749862017-08-22T03:34:14.232Zpratibha pandehttp://www.openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>बारिश की मस्ती को खूब पिरोया है आपने छंदों में . हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना जी </p>
<p>बारिश की मस्ती को खूब पिरोया है आपने छंदों में . हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना जी </p> Ji bhai jitag:www.openbooksonline.com,2017-08-21:5170231:Comment:8751662017-08-21T17:00:26.340ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
Ji bhai ji
Ji bhai ji बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,बहुत…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-21:5170231:Comment:8752262017-08-21T16:51:55.621ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,बहुत सुंदर सारछन्द रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।<br />
जनाब अशोक रक्ताले जी ने बड़ी गुर की बात बताई है,कुछ टंकण त्रुटियां भी देख लीजियेग ।
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,बहुत सुंदर सारछन्द रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।<br />
जनाब अशोक रक्ताले जी ने बड़ी गुर की बात बताई है,कुछ टंकण त्रुटियां भी देख लीजियेग । जी सर 'बोली बच्चों अंदर बैठो…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-20:5170231:Comment:8751252017-08-20T15:49:04.958ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>जी सर 'बोली बच्चों अंदर बैठो ' सही लग रहा है | सादर धन्यवाद आदरणीय |</p>
<p>जी सर 'बोली बच्चों अंदर बैठो ' सही लग रहा है | सादर धन्यवाद आदरणीय |</p> जी सर गेयता में बोली बच्चों…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-20:5170231:Comment:8748902017-08-20T15:46:30.995ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>जी सर गेयता में बोली बच्चों अंदर बैठो सही लग रहा है | सादर धन्यवाद आदरणीय |</p>
<p>जी सर गेयता में बोली बच्चों अंदर बैठो सही लग रहा है | सादर धन्यवाद आदरणीय |</p> आदरणीया कल्पना भट्ट जी सादर,…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-20:5170231:Comment:8748842017-08-20T15:35:35.216ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीया कल्पना भट्ट जी सादर, बहुत सुंदर सार छंद रचे हैं आपने. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. फिरभी लिखने के साथ छंद को गाकर भी देखें तो प्रवाह से शब्द संयोजन में मदद होगी. जैसे 'अन्दर बैठो बच्चों बोली' इस पंक्ति को 'बोली बच्चों अन्दर बैठो' कर देखें गेयता बढती है या नहीं. सादर. </p>
<p>आदरणीया कल्पना भट्ट जी सादर, बहुत सुंदर सार छंद रचे हैं आपने. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. फिरभी लिखने के साथ छंद को गाकर भी देखें तो प्रवाह से शब्द संयोजन में मदद होगी. जैसे 'अन्दर बैठो बच्चों बोली' इस पंक्ति को 'बोली बच्चों अन्दर बैठो' कर देखें गेयता बढती है या नहीं. सादर. </p> सादर धन्यवाद सभी पाठकों को |tag:www.openbooksonline.com,2017-08-20:5170231:Comment:8750622017-08-20T15:03:39.896ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>सादर धन्यवाद सभी पाठकों को |</p>
<p>सादर धन्यवाद सभी पाठकों को |</p> धन्यवाद आदरणीय सुरेन्द्र नाथ…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-20:5170231:Comment:8750612017-08-20T14:50:47.114ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>धन्यवाद आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी |</p>
<p>धन्यवाद आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी |</p> धन्यवाद् आदरणीया सुनंदा जी |tag:www.openbooksonline.com,2017-08-20:5170231:Comment:8748792017-08-20T14:50:06.639ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>धन्यवाद् आदरणीया सुनंदा जी |</p>
<p>धन्यवाद् आदरणीया सुनंदा जी |</p>