Comments - अंधी जनता, राजा काना बढ़िया है ...गज़ल - Open Books Online2024-03-28T19:25:33Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A874377&xn_auth=noहार्दिक बधाई आदरणीय बलराम जी |tag:www.openbooksonline.com,2017-10-18:5170231:Comment:8902702017-10-18T15:59:14.814ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय बलराम जी |</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय बलराम जी |</p> आदरणीय बलराम जी,
अच्छी व्यंगा…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-18:5170231:Comment:8903242017-10-18T01:30:27.580ZAjay Tiwarihttp://www.openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय बलराम जी,</p>
<p>अच्छी व्यंगात्मक ग़ज़ल हुई है. शुभकामनायें.</p>
<p>सादर </p>
<p>आदरणीय बलराम जी,</p>
<p>अच्छी व्यंगात्मक ग़ज़ल हुई है. शुभकामनायें.</p>
<p>सादर </p> आपकी गजल बढिया है आपका गाना ब…tag:www.openbooksonline.com,2017-10-06:5170231:Comment:8872672017-10-06T13:03:51.646Zindravidyavachaspatitiwarihttp://www.openbooksonline.com/profile/indravidyavachaspatitiwari866
<p>आपकी गजल बढिया है आपका गाना बढिया धाकड़ साहब हमने भई आपको माफ करना देर से जाना!बढिया है।</p>
<p>आपकी गजल बढिया है आपका गाना बढिया धाकड़ साहब हमने भई आपको माफ करना देर से जाना!बढिया है।</p> आदरणीय बलराम धाकड़ जी आदाब, बे…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-19:5170231:Comment:8821862017-09-19T03:49:41.397ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीय बलराम धाकड़ जी आदाब, बेहतरीन ग़ज़ल , अच्छे अश'आर । गुणीजन अपनी राय दे चुके हैं । बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय बलराम धाकड़ जी आदाब, बेहतरीन ग़ज़ल , अच्छे अश'आर । गुणीजन अपनी राय दे चुके हैं । बधाई स्वीकार करें । BEHATREEN TANZ BANDHUWAR - BA…tag:www.openbooksonline.com,2017-09-18:5170231:Comment:8821722017-09-18T13:30:02.504ZMUKESH SRIVASTAVAhttp://www.openbooksonline.com/profile/MUKESHSRIVASTAVA
<p>BEHATREEN TANZ BANDHUWAR - BADHAEE KE PATRA HO AP</p>
<p>BEHATREEN TANZ BANDHUWAR - BADHAEE KE PATRA HO AP</p> बेहतरीन रचनाtag:www.openbooksonline.com,2017-08-31:5170231:Comment:8780652017-08-31T10:38:49.921ZPHOOL SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/PHOOLSINGH
<p>बेहतरीन रचना</p>
<p>बेहतरीन रचना</p> धाकड़ भाई ,देर से रूवरू हुआ आप…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-25:5170231:Comment:8760672017-08-25T17:13:23.647Zकंवर करतारhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrKanwarKartarKhandehrbi
<p>धाकड़ भाई ,देर से रूवरू हुआ आपकी ग़ज़ल से I बहुत खूब Iमेरी एक जिज्ञासा है कृपया मतले के उला का (<span>नये दौर का नया ज़माना, बढ़िया है)</span>तथा '<span> कोख में बिटिया अब तक जिंदा है', का </span>तक्तीय कर के बताएं ताकि मेरे ज्ञान में वृद्धि हो सके Iसादर आभार I </p>
<p>धाकड़ भाई ,देर से रूवरू हुआ आपकी ग़ज़ल से I बहुत खूब Iमेरी एक जिज्ञासा है कृपया मतले के उला का (<span>नये दौर का नया ज़माना, बढ़िया है)</span>तथा '<span> कोख में बिटिया अब तक जिंदा है', का </span>तक्तीय कर के बताएं ताकि मेरे ज्ञान में वृद्धि हो सके Iसादर आभार I </p> आदरणीय रवि शुक्ला जी, हौसला अ…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-23:5170231:Comment:8753742017-08-23T14:58:38.122ZBalram Dhakarhttp://www.openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
आदरणीय रवि शुक्ला जी, हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया। आगे की ग़ज़लों में तकाबुले रदीफ़ का ध्यान रखने का प्रयास रहेगा। 6ठे ओर सातवें शैर में आपके सुझाये विकल्पों को यथावत ले रहा हूँ।<br />
सादर धन्यवाद।
आदरणीय रवि शुक्ला जी, हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया। आगे की ग़ज़लों में तकाबुले रदीफ़ का ध्यान रखने का प्रयास रहेगा। 6ठे ओर सातवें शैर में आपके सुझाये विकल्पों को यथावत ले रहा हूँ।<br />
सादर धन्यवाद। आदरणीय बलराम जी आपकी किसी पहल…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-22:5170231:Comment:8752512017-08-22T11:30:19.872ZRavi Shuklahttp://www.openbooksonline.com/profile/RaviShukla
<p>आदरणीय बलराम जी आपकी किसी पहली गजल से दो चार हो रहे है बहुत बहुत मुबारकबाद इस गजल के लिये कुबूल करें</p>
<p></p>
<p>विद्वत जन इस पर अपनी राय दे ही चुके है । दूसरे तीसरे और चौथे में तकाबुले रदीफ भी हो रहा है</p>
<p>2 सरे शेर में नई नई ये उन्नति की परिभाषा है</p>
<p>6 ठे शेर में अगर कोख में बिटिया अब तक जिंदा है ( आपके शब्दों को दूसरे विकल्प के अनुसार )</p>
<p>7 वें शेर मे नहीं जियादा की हमको दरकार सुनो ( अपिरग्रह की मूल भावना को लते हुए ) त्वरित सुझाव के रूप में विचार कर सकते है…</p>
<p>आदरणीय बलराम जी आपकी किसी पहली गजल से दो चार हो रहे है बहुत बहुत मुबारकबाद इस गजल के लिये कुबूल करें</p>
<p></p>
<p>विद्वत जन इस पर अपनी राय दे ही चुके है । दूसरे तीसरे और चौथे में तकाबुले रदीफ भी हो रहा है</p>
<p>2 सरे शेर में नई नई ये उन्नति की परिभाषा है</p>
<p>6 ठे शेर में अगर कोख में बिटिया अब तक जिंदा है ( आपके शब्दों को दूसरे विकल्प के अनुसार )</p>
<p>7 वें शेर मे नहीं जियादा की हमको दरकार सुनो ( अपिरग्रह की मूल भावना को लते हुए ) त्वरित सुझाव के रूप में विचार कर सकते है ।</p>
<p>पुन: बधाई स्वीकार करें आदरणीय बलरामजी ।सादर</p>
<p></p> जनाब समर कबीर साहब, आदाब। आपक…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-22:5170231:Comment:8752462017-08-22T10:14:21.219ZBalram Dhakarhttp://www.openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
जनाब समर कबीर साहब, आदाब। आपकी हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया। ये पहला ही प्रयास था ओ बी ओ पर। ग़ज़ल में आप जैसे बड़े उस्ताद की शिरक़त से खुद को खुशनसीब समझता हूँ। दूसरे, 6वें और 7वें शेर को फिर से कहने का प्रयास करूंगा।<br />
एक बार फ़िर, बहुत बहुत शुक्रिया आपका।
जनाब समर कबीर साहब, आदाब। आपकी हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया। ये पहला ही प्रयास था ओ बी ओ पर। ग़ज़ल में आप जैसे बड़े उस्ताद की शिरक़त से खुद को खुशनसीब समझता हूँ। दूसरे, 6वें और 7वें शेर को फिर से कहने का प्रयास करूंगा।<br />
एक बार फ़िर, बहुत बहुत शुक्रिया आपका।