Comments - विजेता (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T15:55:53Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A873337&xn_auth=noआदाब भाई जी , जी लिखती रहूंगी…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-15:5170231:Comment:8741142017-08-15T17:27:52.186ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>आदाब भाई जी , जी लिखती रहूंगी पर मन में है जो लिखूं सार्थक हो ,और सही हो , अभी कहाँ हूँ इस बात का एहसास है भाई जी मुझे भी | जहाँ दिक्कत आती है , वहां उलझ जाती हूँ | सच कहा आपने खुद के सृजन पर शंका होती है और डर लगता है | </p>
<p>आदाब भाई जी , जी लिखती रहूंगी पर मन में है जो लिखूं सार्थक हो ,और सही हो , अभी कहाँ हूँ इस बात का एहसास है भाई जी मुझे भी | जहाँ दिक्कत आती है , वहां उलझ जाती हूँ | सच कहा आपने खुद के सृजन पर शंका होती है और डर लगता है | </p> आपकी सबसे बड़ी कमजोरी है,'अहसा…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-15:5170231:Comment:8737962017-08-15T17:21:43.567ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
आपकी सबसे बड़ी कमजोरी है,'अहसास-ए-कमतरी'सृजन से पहले ही शंकाएं घेर लेती हैं कि मेरा ये सृजन कैसा होगा ,ये सब भूल कर सृजन करती रहें,आप ओबीओ पर हैं,ये हमेशा याद रखें,ग़लती होगी तो सुधार भी हो जायेगा,बस ये ध्यान रखें,और लिखती रहें ।
आपकी सबसे बड़ी कमजोरी है,'अहसास-ए-कमतरी'सृजन से पहले ही शंकाएं घेर लेती हैं कि मेरा ये सृजन कैसा होगा ,ये सब भूल कर सृजन करती रहें,आप ओबीओ पर हैं,ये हमेशा याद रखें,ग़लती होगी तो सुधार भी हो जायेगा,बस ये ध्यान रखें,और लिखती रहें । आदरणीय रवि सर ,नमस्कार जी सर…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-15:5170231:Comment:8737952017-08-15T17:00:45.706ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>आदरणीय रवि सर ,नमस्कार जी सर इस कथा पर पुनः प्रयास करुँगी , आपके मार्गदर्शन के लिए दिल से आभारी हूँ |इस तरह का मार्गदर्शन सिर्फ और सिर्फ ओ बी ओ में ही मिलता है वरना यह कह दिया जाता है गलतियाँ है और कहने वाला फुर्र्र्रर्र्र्रर्र्र | ओ बी ओ जिंदाबाद |</p>
<p>आदरणीय रवि सर ,नमस्कार जी सर इस कथा पर पुनः प्रयास करुँगी , आपके मार्गदर्शन के लिए दिल से आभारी हूँ |इस तरह का मार्गदर्शन सिर्फ और सिर्फ ओ बी ओ में ही मिलता है वरना यह कह दिया जाता है गलतियाँ है और कहने वाला फुर्र्र्रर्र्र्रर्र्र | ओ बी ओ जिंदाबाद |</p> आदाब आदरणीय समर भाई जी | जो क…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-15:5170231:Comment:8737932017-08-15T16:47:28.493ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>आदाब आदरणीय समर भाई जी | जो कमी रही इस कथा में उस बिंदु को इंगित कर अवगत कराने हेतु सादर धन्यवाद | जब यह कथा लिखी थी तब कुछ खटक तो रहा था पर अपनी गलती नहीं समझ आ रही थी , वैसे डरते डरते ही पोस्ट की है , मुझे लग रहा था रिजेक्ट हो जाएगी , पर जब पटल पर यह कथा देखी तो विश्वास था इन कमजोरियों को आप सब मुझे बताएँगे , और देखिये न हुआ भी यही , आप ने , जनाब मोहम्मद आरिफ साहब ने और आदरणीय रवि सर भैया ने अपनी सूक्ष्म दृष्टि से मुझे इससे अवगत भी कराया और दिशा भी दिखाई | सादर धन्यवाद आप तीनों को | </p>
<p>आदाब आदरणीय समर भाई जी | जो कमी रही इस कथा में उस बिंदु को इंगित कर अवगत कराने हेतु सादर धन्यवाद | जब यह कथा लिखी थी तब कुछ खटक तो रहा था पर अपनी गलती नहीं समझ आ रही थी , वैसे डरते डरते ही पोस्ट की है , मुझे लग रहा था रिजेक्ट हो जाएगी , पर जब पटल पर यह कथा देखी तो विश्वास था इन कमजोरियों को आप सब मुझे बताएँगे , और देखिये न हुआ भी यही , आप ने , जनाब मोहम्मद आरिफ साहब ने और आदरणीय रवि सर भैया ने अपनी सूक्ष्म दृष्टि से मुझे इससे अवगत भी कराया और दिशा भी दिखाई | सादर धन्यवाद आप तीनों को | </p> आदरणीय कल्पना भट्ट जी, प्रेष…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-15:5170231:Comment:8736982017-08-15T13:10:19.969ZRavi Prabhakarhttp://www.openbooksonline.com/profile/RaviPrabhakar
<p>आदरणीय कल्पना भट्ट जी, प्रेषित लघुकथा बहुत जल्दबाजी में लिखी गई मालूम होती है । विमल के बॉस का दामाद होने के कथ्य ने लघुकथा को काफी कमजोर बना दिया । प्राइवेट सैक्टर में प्रबंधक लोग बहुत कूटनीति से काम लेते हैं, चूंकि विमल बॉस का दामाद था तो उसे बॉस वैसे भी भरमा लेगा और पदोन्नति का झुनझुना सौरव के हिस्से में आएगा - इस तथ्य को आधार बनाकर लघुकथा को लिखना चाहिए था जिससे विजेता शीर्षक भी अच्छे से परिभाषित होता और विजेता शब्द में छिपा तीक्ष्ण व्यंग्य भी अच्छे से उभर का आता । टंकण…</p>
<p>आदरणीय कल्पना भट्ट जी, प्रेषित लघुकथा बहुत जल्दबाजी में लिखी गई मालूम होती है । विमल के बॉस का दामाद होने के कथ्य ने लघुकथा को काफी कमजोर बना दिया । प्राइवेट सैक्टर में प्रबंधक लोग बहुत कूटनीति से काम लेते हैं, चूंकि विमल बॉस का दामाद था तो उसे बॉस वैसे भी भरमा लेगा और पदोन्नति का झुनझुना सौरव के हिस्से में आएगा - इस तथ्य को आधार बनाकर लघुकथा को लिखना चाहिए था जिससे विजेता शीर्षक भी अच्छे से परिभाषित होता और विजेता शब्द में छिपा तीक्ष्ण व्यंग्य भी अच्छे से उभर का आता । टंकण त्रुटियों की ओर जनाब मोहम्द आरिफ साहिब बता चुके हैं, कसावट के बारे में जनाब समर कबीर जी से मेरी राय उल्ट है । प्रस्तुत लघुकथा में कसावट की कोई कम नहीं लग रही बल्िक मुझे तो लग रहा है कि कसावट के चक्कर में आदरणीय कल्पना जी ने लघुकथा का कुछ गला सा घोंट दिया है जिस वजह से दोनों मित्रों के बीच के अलगाव जिस वजह से चर्चा ने तूल पकड़ा को लिखा नहीं गया । सादर</p> इस रचना पर हार्दिक बधाई आदरणी…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-14:5170231:Comment:8737612017-08-14T16:21:20.268ZDr Ashutosh Mishrahttp://www.openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
इस रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना जी सादर
इस रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना जी सादर दोस्ती का एक रूप एेसा भी उम्द…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-14:5170231:Comment:8738632017-08-14T11:25:59.470ZNita Kasarhttp://www.openbooksonline.com/profile/NitaKasar
दोस्ती का एक रूप एेसा भी उम्दा कथा है,आगे बढ़ने की दौड़ कहाँ से कहाँ लाकर खड़ा कर देती है ।बधाई आद० कल्पना जी ।
दोस्ती का एक रूप एेसा भी उम्दा कथा है,आगे बढ़ने की दौड़ कहाँ से कहाँ लाकर खड़ा कर देती है ।बधाई आद० कल्पना जी । आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब,…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-13:5170231:Comment:8738282017-08-13T12:42:58.091ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब, बहुत बेहतरीन दोस्ती को रेखांकित करती लघुकथा कही आपने । कभी-कभी हमारा दोस्त हमसे आगे नकल जाता है । विद्वेषवश हम अपने दोस्ती से फिर वंचित हो जाते हैं । कथा जिज्ञासा का संचार करने में सफल रही ।अत: सफल लघुकथा बन पड़ी ।हार्दिक बधाई स्वीकार करेंं । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ इस प्रकार है:-प्रतिद्वंधि/प्रतिद्वंदी ,संभावनाएं/संभावनाएँ ,यकी/यक़ी ,प्रोजेक्टस/प्रोजेक्ट्स आदि ।
आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब, बहुत बेहतरीन दोस्ती को रेखांकित करती लघुकथा कही आपने । कभी-कभी हमारा दोस्त हमसे आगे नकल जाता है । विद्वेषवश हम अपने दोस्ती से फिर वंचित हो जाते हैं । कथा जिज्ञासा का संचार करने में सफल रही ।अत: सफल लघुकथा बन पड़ी ।हार्दिक बधाई स्वीकार करेंं । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ इस प्रकार है:-प्रतिद्वंधि/प्रतिद्वंदी ,संभावनाएं/संभावनाएँ ,यकी/यक़ी ,प्रोजेक्टस/प्रोजेक्ट्स आदि । बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,लघुक…tag:www.openbooksonline.com,2017-08-13:5170231:Comment:8736372017-08-13T12:40:06.931ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,लघुकथा का कथानक अच्छा है,दोनों दोस्तों की चर्चा के दौरान क्या संवाद हुए जो बात तूल पकड़ गई, कसावट की कमी है,बहरहाल इस प्रयास पर बधाई स्वीकार करें ।
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,लघुकथा का कथानक अच्छा है,दोनों दोस्तों की चर्चा के दौरान क्या संवाद हुए जो बात तूल पकड़ गई, कसावट की कमी है,बहरहाल इस प्रयास पर बधाई स्वीकार करें ।