Comments - ग़ज़ल -- किसी का कहा मानता ही कहाँ है - Open Books Online2024-03-29T14:13:32Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A866119&xn_auth=noभाई खुर्शीद जी मुग्ध कर दिया…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-21:5170231:Comment:8680402017-07-21T02:01:26.774Zरामबली गुप्ताhttp://www.openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA
भाई खुर्शीद जी मुग्ध कर दिया आपकी इस शानदार ग़ज़ल ने। मतले से लेकर मक्ते तक हर शैर दमदार है। दिल से बधाई स्वीकार करें।सादर
भाई खुर्शीद जी मुग्ध कर दिया आपकी इस शानदार ग़ज़ल ने। मतले से लेकर मक्ते तक हर शैर दमदार है। दिल से बधाई स्वीकार करें।सादर बहुत खूब, आदरणीय खुर्शीद भाई.…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-20:5170231:Comment:8680332017-07-20T18:17:36.463ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>बहुत खूब, आदरणीय खुर्शीद भाई. अव्वल तो मंच पर आपका पुनः स्वागत है. फिर इस गहरी ग़ज़लग़ोई के लिए बधाइयाँ पेश है. रदीफ़ लम्बा हो तो कहन को साधना एक कठिन काम है. लेकिन आपने इस काम को बहुत ही होशियारी से निभाया है. कहन के हिसाब से सभी शेर उम्दा बन पड़े हैं. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>बहुत खूब, आदरणीय खुर्शीद भाई. अव्वल तो मंच पर आपका पुनः स्वागत है. फिर इस गहरी ग़ज़लग़ोई के लिए बधाइयाँ पेश है. रदीफ़ लम्बा हो तो कहन को साधना एक कठिन काम है. लेकिन आपने इस काम को बहुत ही होशियारी से निभाया है. कहन के हिसाब से सभी शेर उम्दा बन पड़े हैं. </p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> वाह्ह्ह बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही ह…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-16:5170231:Comment:8671262017-07-16T15:52:47.230Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>वाह्ह्ह बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है मोहतरम जनाब खुर्शीद खैराडी जी शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूलें </p>
<p>वाह्ह्ह बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है मोहतरम जनाब खुर्शीद खैराडी जी शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूलें </p> वाह वाह बेहद खुबसूरत ग़ज़ल कही…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-16:5170231:Comment:8667712017-07-16T09:12:30.888ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>वाह वाह बेहद खुबसूरत ग़ज़ल कही है अपने आदरणीय खुर्शीद जी . हार्दिक बधाई आपको .</p>
<p>वाह वाह बेहद खुबसूरत ग़ज़ल कही है अपने आदरणीय खुर्शीद जी . हार्दिक बधाई आपको .</p> बहुत खूबसूरत tag:www.openbooksonline.com,2017-07-15:5170231:Comment:8667032017-07-15T11:02:18.867Znarendrasinh chauhanhttp://www.openbooksonline.com/profile/narendrasinhchauhan
<p><span>बहुत खूबसूरत </span></p>
<p><span>बहुत खूबसूरत </span></p> जैसा कि आप जानते हैं ये मंच स…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-13:5170231:Comment:8664332017-07-13T05:41:33.195ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जैसा कि आप जानते हैं ये मंच सीखने सिखाने का मंच है, और आप ही की तरह मैं भी इसी मिटटी से पैदा हुआ हूँ,और आपने जो कहा है उसे मैं समझता हूँ,लेकिन सिखने सिखाने के क्रम में ऐसी जानकारी मंच को देना मैं अपना फ़र्ज़ समझता हूँ सिर्फ़ इसी लिये लिख दिया था ।
जैसा कि आप जानते हैं ये मंच सीखने सिखाने का मंच है, और आप ही की तरह मैं भी इसी मिटटी से पैदा हुआ हूँ,और आपने जो कहा है उसे मैं समझता हूँ,लेकिन सिखने सिखाने के क्रम में ऐसी जानकारी मंच को देना मैं अपना फ़र्ज़ समझता हूँ सिर्फ़ इसी लिये लिख दिया था । सभी आदरणीय रचनाकारों का हृदय…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-13:5170231:Comment:8663262017-07-13T01:44:55.383Zkhursheed khairadihttp://www.openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi
सभी आदरणीय रचनाकारों का हृदय से आभार। आदरणीय समर सर, हिंदी और उर्दू हिन्दुस्थान की मिट्टी में जायी-जन्मी सगी बहनें हैं। इनके मूल संस्कृत-फारसी शब्दों से इन भाषाओँ के शब्दों का उच्चारण हिंदुस्थानी में अलग हो जाता है। जैसे कोई कहे पत्ता किन्तु मूल शब्द पत्र होता है। मेरे पास तो मुहम्मद मुस्तफ़ा खान मद्दाह का उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान का शब्दकोष है। वहाँ काफ़िर ही है, नीचे नोट दिया है कि फ़ारसी वाले काफ़र लिखते हैं। अब मैं तो हिंदुस्थानी हूँ, फ़ारसी तो नहीं। मेरी ग़ज़ल हिंदुस्थानी ज़बान (ज़ुबान, भी सही है)…
सभी आदरणीय रचनाकारों का हृदय से आभार। आदरणीय समर सर, हिंदी और उर्दू हिन्दुस्थान की मिट्टी में जायी-जन्मी सगी बहनें हैं। इनके मूल संस्कृत-फारसी शब्दों से इन भाषाओँ के शब्दों का उच्चारण हिंदुस्थानी में अलग हो जाता है। जैसे कोई कहे पत्ता किन्तु मूल शब्द पत्र होता है। मेरे पास तो मुहम्मद मुस्तफ़ा खान मद्दाह का उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान का शब्दकोष है। वहाँ काफ़िर ही है, नीचे नोट दिया है कि फ़ारसी वाले काफ़र लिखते हैं। अब मैं तो हिंदुस्थानी हूँ, फ़ारसी तो नहीं। मेरी ग़ज़ल हिंदुस्थानी ज़बान (ज़ुबान, भी सही है) की ग़ज़ल है, फ़ारसी की नहीं। और में तो उर्दू भी नहीं जानता हूँ। इसलिए आपके फ़ारसी शब्दकोष के मानक पर नहीं चल पाने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।<br />
सादर। आ. ख़ुर्शीद जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-12:5170231:Comment:8662852017-07-12T14:17:52.134ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>आ. ख़ुर्शीद जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने. सभी शेर ख़ूबसूरत हैं. हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.</p>
<p>आ. ख़ुर्शीद जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने. सभी शेर ख़ूबसूरत हैं. हार्दिक बधाई प्रेषित है. सादर.</p> आ.खुर्शीद जी ईस बेहतरीन गजल क…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-11:5170231:Comment:8662752017-07-11T17:33:18.812Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
आ.खुर्शीद जी ईस बेहतरीन गजल के लिए हार्दिक बधाई।
आ.खुर्शीद जी ईस बेहतरीन गजल के लिए हार्दिक बधाई। जानदार शानदार , आदरणीयtag:www.openbooksonline.com,2017-07-11:5170231:Comment:8661772017-07-11T15:30:31.386Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>जानदार शानदार , आदरणीय</p>
<p>जानदार शानदार , आदरणीय</p>