Comments - यहाँ के लोग महब्बत शदीद करते हैं - Open Books Online2024-03-28T20:23:28Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A865615&xn_auth=noजनाब विनय कुमार जी आदाब,सुख़न…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-17:5170231:Comment:8673502017-07-17T13:11:22.902ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब विनय कुमार जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
जनाब विनय कुमार जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया । क्या कहूँ, आप को पढ़ना एक संगी…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-17:5170231:Comment:8672382017-07-17T09:38:05.912Zविनय कुमारhttp://www.openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>क्या कहूँ, आप को पढ़ना एक संगीत सुनने जैसा होता है, ढेरों बधाइयाँ आ समर कबीर साहब </p>
<p>क्या कहूँ, आप को पढ़ना एक संगीत सुनने जैसा होता है, ढेरों बधाइयाँ आ समर कबीर साहब </p> बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-16:5170231:Comment:8671202017-07-16T13:20:09.994ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,ग़ज़ल आपको पसंद आई लिखना सार्थक हुआ,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,ग़ज़ल आपको पसंद आई लिखना सार्थक हुआ,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । आदरणीय समर भाई जी आपकी गज़लें…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-16:5170231:Comment:8668892017-07-16T11:10:35.314ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>आदरणीय समर भाई जी आपकी गज़लें लाजवाब ही होतीं है इसमें कोई शक नहीं है , आप कठिन शब्दों के अर्थ भी लिख देते हो जिस से समझना आसान हो जाता है आपको साधुवाद |</p>
<p>आदरणीय समर भाई जी आपकी गज़लें लाजवाब ही होतीं है इसमें कोई शक नहीं है , आप कठिन शब्दों के अर्थ भी लिख देते हो जिस से समझना आसान हो जाता है आपको साधुवाद |</p> प्रिय भाई जनाब विजय निकोर जी…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-13:5170231:Comment:8663482017-07-13T16:28:53.201ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
प्रिय भाई जनाब विजय निकोर जी आदाब,ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ,ग़ज़ल में शिर्कत और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रहज़ार हूँ ।
प्रिय भाई जनाब विजय निकोर जी आदाब,ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ,ग़ज़ल में शिर्कत और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रहज़ार हूँ । //लगे हुए तो हैं पैहम इसी तग-…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-13:5170231:Comment:8663442017-07-13T14:21:49.610Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>//<span>लगे हुए तो हैं पैहम इसी तग-ओ-दौ में</span><br/><span>हमें वो देखिये किस दिन शहीद करते हैं</span><br/><br/><span>ये नफ़रतें तो महज़ आरज़ी हैं,सच ये है</span><br/><span>यहाँ के लोग महब्बत शदीद करते हैं//</span></p>
<p></p>
<p><span>सोचता हूँ, आपके लेखन को, आपके ख्यालों को दाद देता हूँ... हमेशा की तरह।</span></p>
<p><span>पढ़ कर दिल खुश ही नहीं होता, कहीं और पहुँच जाता है।</span></p>
<p><span>आपको बधाई, भाई समर जी</span></p>
<p>//<span>लगे हुए तो हैं पैहम इसी तग-ओ-दौ में</span><br/><span>हमें वो देखिये किस दिन शहीद करते हैं</span><br/><br/><span>ये नफ़रतें तो महज़ आरज़ी हैं,सच ये है</span><br/><span>यहाँ के लोग महब्बत शदीद करते हैं//</span></p>
<p></p>
<p><span>सोचता हूँ, आपके लेखन को, आपके ख्यालों को दाद देता हूँ... हमेशा की तरह।</span></p>
<p><span>पढ़ कर दिल खुश ही नहीं होता, कहीं और पहुँच जाता है।</span></p>
<p><span>आपको बधाई, भाई समर जी</span></p> जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,इ…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-12:5170231:Comment:8665072017-07-12T17:04:59.673ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,इस ग़ज़ल का मतला मैंने 27साल पहले कहा था,पिछले हफ़्ते मेरे एक शागिर्द सुभाष सोनी ने मुझे सुनाया और इस पर ग़ज़ल कहने की फरमाइश की,उनकी फ़रमाइश पूरी करने के लिये ये ग़ज़ल कही जो आपके सामने है, अस्ल में ग़ज़ल के नाम पर बेतुकी हांकने वालों की तादाद में इन 27 वर्षों में बहुत इज़ाफ़ा हुआ है,उसी पस-ए-मंज़र में ये मतला कहा था,जो आजके हालात पर उस वक़्त से ज़ियादा सटीक है ।<br />
ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।<br />
कृपया ऐसे ही मंच पर अपनी सक्रियता बनाये रखें ।
जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,इस ग़ज़ल का मतला मैंने 27साल पहले कहा था,पिछले हफ़्ते मेरे एक शागिर्द सुभाष सोनी ने मुझे सुनाया और इस पर ग़ज़ल कहने की फरमाइश की,उनकी फ़रमाइश पूरी करने के लिये ये ग़ज़ल कही जो आपके सामने है, अस्ल में ग़ज़ल के नाम पर बेतुकी हांकने वालों की तादाद में इन 27 वर्षों में बहुत इज़ाफ़ा हुआ है,उसी पस-ए-मंज़र में ये मतला कहा था,जो आजके हालात पर उस वक़्त से ज़ियादा सटीक है ।<br />
ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।<br />
कृपया ऐसे ही मंच पर अपनी सक्रियता बनाये रखें । जनाब सुशील सरना जी आदाब,ग़ज़ल म…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-12:5170231:Comment:8664212017-07-12T16:55:24.655ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब सुशील सरना जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब सुशील सरना जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब निलेश'नूर'साहिब आदाब,ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-12:5170231:Comment:8663212017-07-12T16:53:46.052ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब निलेश'नूर'साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब निलेश'नूर'साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ । जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,तक़रीब…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-12:5170231:Comment:8660922017-07-12T16:51:57.264ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,तक़रीबन एक हफ़्ते पहले मैं एक ग़ज़ल बह्र-ए-मीर में पोस्ट कर चुका हूँ,उसे भी देखियेगा ।<br />
ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,तक़रीबन एक हफ़्ते पहले मैं एक ग़ज़ल बह्र-ए-मीर में पोस्ट कर चुका हूँ,उसे भी देखियेगा ।<br />
ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।