Comments - 'डोम' (एक लघु-कथा ) - Open Books Online2024-03-28T15:48:58Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A860384&xn_auth=noआदरणीय भाई महेंद्र कुमार जी प…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-19:5170231:Comment:8676162017-07-19T11:51:15.744ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://www.openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
आदरणीय भाई महेंद्र कुमार जी पहले तो कथा 'डॉम' पर आपकी समीक्षात्मक दृष्टी के लिए हार्दिक आभार... आपका ये प्रेम बना रहे, ऐसी ही कामना है.<br />
आपने अपनी टिप्पणी में पात्रो के संख्या कुछ अधिक लगी, ऐसा कहा. पात्रो में केवल 'कुंवरजी' एक ऐसे पात्र है जिनका कथा से प्रत्यक्ष संबंध नहीं है अन्थया बाकी सभी पात्र तो कथा की मुख्यधारा में ही आतें है. ऐसा मुझे लग रहा है. बाकी आपकी अमूल्य राय के लिए अवश्य आभारी हूँ आदरणीय. सादर भाई जी
आदरणीय भाई महेंद्र कुमार जी पहले तो कथा 'डॉम' पर आपकी समीक्षात्मक दृष्टी के लिए हार्दिक आभार... आपका ये प्रेम बना रहे, ऐसी ही कामना है.<br />
आपने अपनी टिप्पणी में पात्रो के संख्या कुछ अधिक लगी, ऐसा कहा. पात्रो में केवल 'कुंवरजी' एक ऐसे पात्र है जिनका कथा से प्रत्यक्ष संबंध नहीं है अन्थया बाकी सभी पात्र तो कथा की मुख्यधारा में ही आतें है. ऐसा मुझे लग रहा है. बाकी आपकी अमूल्य राय के लिए अवश्य आभारी हूँ आदरणीय. सादर भाई जी भाई आशीष यादव जी आपकी प्रोत्स…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-19:5170231:Comment:8676142017-07-19T11:40:11.668ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://www.openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
भाई आशीष यादव जी आपकी प्रोत्साहन देती टिप्पणी के लिए दिल से हार्दिक आभार....
भाई आशीष यादव जी आपकी प्रोत्साहन देती टिप्पणी के लिए दिल से हार्दिक आभार.... आदरणीया कल्पना भट्ट जी लघुकथा…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-19:5170231:Comment:8676132017-07-19T11:39:16.632ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://www.openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
आदरणीया कल्पना भट्ट जी लघुकथा 'डॉम' पर आपकी सुन्दर टिप्पणी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.... सादर आदरणीया.
आदरणीया कल्पना भट्ट जी लघुकथा 'डॉम' पर आपकी सुन्दर टिप्पणी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.... सादर आदरणीया. भाई तेजवीर सिंह जी आपकी सुंदर…tag:www.openbooksonline.com,2017-07-19:5170231:Comment:8674762017-07-19T11:37:50.017ZVIRENDER VEER MEHTAhttp://www.openbooksonline.com/profile/VIRENDERMEHTAVEERMEHTA
भाई तेजवीर सिंह जी आपकी सुंदर और प्रोत्साहन देती टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार....
भाई तेजवीर सिंह जी आपकी सुंदर और प्रोत्साहन देती टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार.... //ये जात-पांत ये ऊंच-नीच, ये…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-05:5170231:Comment:8609602017-06-05T13:43:58.157ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p><span>//ये जात-पांत ये ऊंच-नीच, ये सब तो समाज के बनाये हुए ढोंग है वर्ना आदमी खुद अपने जीवन में ही जाने कितनी बार 'डोम' बनता है, कभी तन से और कभी मन से...// इन शब्दों के माध्यम से समाज को सार्थक सन्देश देती इस बढ़िया लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. वीर मेहता जी. मुझे पात्रों की संख्या कुछ ज़्यादा लगी. सादर.</span></p>
<p><span>//ये जात-पांत ये ऊंच-नीच, ये सब तो समाज के बनाये हुए ढोंग है वर्ना आदमी खुद अपने जीवन में ही जाने कितनी बार 'डोम' बनता है, कभी तन से और कभी मन से...// इन शब्दों के माध्यम से समाज को सार्थक सन्देश देती इस बढ़िया लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. वीर मेहता जी. मुझे पात्रों की संख्या कुछ ज़्यादा लगी. सादर.</span></p> अत्यंत मार्मिक कथा। सब कुछ स…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-05:5170231:Comment:8606832017-06-05T07:33:28.428Zआशीष यादवhttp://www.openbooksonline.com/profile/Ashishyadav
<p>अत्यंत मार्मिक कथा। सब कुछ स्पष्ट। </p>
<p>अत्यंत मार्मिक कथा। सब कुछ स्पष्ट। </p> Bahut badhiya katha hui hai a…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-02:5170231:Comment:8603972017-06-02T09:26:13.309ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
Bahut badhiya katha hui hai aadrniya Veer ji . Marmik prastuti hai. Hardik badhayi aapko
Bahut badhiya katha hui hai aadrniya Veer ji . Marmik prastuti hai. Hardik badhayi aapko हार्दिक बधाई आदरणीय वीर मेहता…tag:www.openbooksonline.com,2017-06-02:5170231:Comment:8607082017-06-02T07:22:56.111ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय वीर मेहता जी।बहुत मार्मिक प्रस्तुति।ग्रामीण परिवेश में फ़ैले ऊंच नीच के भ्रमजाल पर बेहतरीन कटाक्ष करती रचना। </p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय वीर मेहता जी।बहुत मार्मिक प्रस्तुति।ग्रामीण परिवेश में फ़ैले ऊंच नीच के भ्रमजाल पर बेहतरीन कटाक्ष करती रचना। </p>