Comments - एक हांडी दो पेट(लघुकथा) - Open Books Online2024-03-28T19:53:29Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A856814&xn_auth=noआदरणीय सुरेन्द्र नाथ भाई जी,प…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-19:5170231:Comment:8576482017-05-19T13:35:25.463Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://www.openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ भाई जी,प्रयास पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत-बहुत हार्दिक आभार
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ भाई जी,प्रयास पर उपस्थित होकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत-बहुत हार्दिक आभार आदरणीया राजेश दीदी,प्रयास को…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-19:5170231:Comment:8577242017-05-19T13:29:36.668Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://www.openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
आदरणीया राजेश दीदी,प्रयास को प्रोत्साहित करने के लिए सादर हार्दिक आभार!निस्संदेह आदरणीय रवि प्रभाकर सर के सुझाव मेरे लिए गुरूवाक्य हैं,उनके द्वारा सुझायी बातों को मैं ताउम्र ध्यान रखूँगा!
आदरणीया राजेश दीदी,प्रयास को प्रोत्साहित करने के लिए सादर हार्दिक आभार!निस्संदेह आदरणीय रवि प्रभाकर सर के सुझाव मेरे लिए गुरूवाक्य हैं,उनके द्वारा सुझायी बातों को मैं ताउम्र ध्यान रखूँगा! आद0 सतविंदर भाई जी सादर अभिवा…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-18:5170231:Comment:8574582017-05-18T22:20:44.695Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 सतविंदर भाई जी सादर अभिवादन, उम्दा लघुकथा के लिए बधाई स्वीकारें। सादर
आद0 सतविंदर भाई जी सादर अभिवादन, उम्दा लघुकथा के लिए बधाई स्वीकारें। सादर लघु कथा शीर्षक से पूर्णतः न्…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-18:5170231:Comment:8571882017-05-18T07:21:17.921Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>लघु कथा शीर्षक से पूर्णतः न्याय कर रही है बहुत खूब हार्दिक बधाई आपको आद० सतविन्द्र भैया | आद० रवि प्रभाकर जी की बात काबिले गौर है |</p>
<p>लघु कथा शीर्षक से पूर्णतः न्याय कर रही है बहुत खूब हार्दिक बधाई आपको आद० सतविन्द्र भैया | आद० रवि प्रभाकर जी की बात काबिले गौर है |</p> आदरणीय रवि प्रभाकर सर,आपकी प्…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-16:5170231:Comment:8570002017-05-16T17:09:55.860Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://www.openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
आदरणीय रवि प्रभाकर सर,आपकी प्रोत्साहक टिप्पणी के लिए सादर हार्दिक आभार।आपकी समीक्षा मुग्धकारी है और मार्गदर्शन सदैव वांछित।आप द्वारा सुझाई बातें भविष्य में याद रखूँगा और इस प्रकार की त्रुटि न हो इसका ध्यान रखूँगा
आदरणीय रवि प्रभाकर सर,आपकी प्रोत्साहक टिप्पणी के लिए सादर हार्दिक आभार।आपकी समीक्षा मुग्धकारी है और मार्गदर्शन सदैव वांछित।आप द्वारा सुझाई बातें भविष्य में याद रखूँगा और इस प्रकार की त्रुटि न हो इसका ध्यान रखूँगा प्रिय भाई सतविन्द्र जी, प्रस…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-16:5170231:Comment:8571382017-05-16T15:54:32.258ZRavi Prabhakarhttp://www.openbooksonline.com/profile/RaviPrabhakar
<p>प्रिय भाई सतविन्द्र जी, प्रस्तुत लघुकथा का शीर्षक अत्यंत उपयुक्त व प्रभावशाली है। लघुकथा का कथानक कथनी-करनी में अंतर के पुराने ढर्रे पर आधारित है परन्तु सधे तरीके से लिखने की वजह से लघुकथा प्रभावित करती है। आपका ध्यान भाषा की तरफ आकृष्ट करना चाहूंगा: भाषा भाव सम्प्रेषण और अनुभूति की अभिव्यक्ित का एक सशक्त माध्यम है। ग्रामीण (आंचलिक) पृष्ठभूमि पर आधारित लघुकथा में ग्रामीण परिवेश के अनुकूल भाषा का प्रयोग वहां के जीवन चित्रण को सजीव रूप प्रदान करता है। आपकी लघुकथा में <em>/माँ ने…</em></p>
<p>प्रिय भाई सतविन्द्र जी, प्रस्तुत लघुकथा का शीर्षक अत्यंत उपयुक्त व प्रभावशाली है। लघुकथा का कथानक कथनी-करनी में अंतर के पुराने ढर्रे पर आधारित है परन्तु सधे तरीके से लिखने की वजह से लघुकथा प्रभावित करती है। आपका ध्यान भाषा की तरफ आकृष्ट करना चाहूंगा: भाषा भाव सम्प्रेषण और अनुभूति की अभिव्यक्ित का एक सशक्त माध्यम है। ग्रामीण (आंचलिक) पृष्ठभूमि पर आधारित लघुकथा में ग्रामीण परिवेश के अनुकूल भाषा का प्रयोग वहां के जीवन चित्रण को सजीव रूप प्रदान करता है। आपकी लघुकथा में <em>/माँ ने जोर देते हुए कहा,"बेटा!बिना पढ़ाई के आज कोई इज्जत नहीं है।तुझे यह कितनी बार समझाऊँ?"/</em> और /<em>"बेटा!मैं ना पढ़ पायी मने इस बात का मलाल है।बड़ी समझायी थी मेरे बाप-भाइयाँ ने।मैं चाहूँ हूँ कि मेरी बेटी मेरी तरह ना पछतावे।"/</em> इन दो संवादों में मां की भाषा में कही तो मां सीधे लहजे से बात करती है और कहीं 'मने' शब्द यानि आंचलिक भाषा इस्तेमाल कर रही है । बेटी के संवादों <em>/"अरी माँ!जरूरी तो नहीं कोई मने मेरे पैरों पर खड़ा होने देगा,आगे क्या पता लगाम किन हाथों में हो? बढ़िया तरह पढ़-लिखकर भी पछताना ही पड़ेगा.."</em><br/> <em>माँ और पिता भी बहू की तरफ देखने लगे।</em><br/> <em>वह झट से बोली,"इससे खरा तो है कि मैं भी तेरी तरह बिना पढ़े ही पछता लूँगी।"/</em> में भी यह कमी महसूस हो रही है। बेटी 'मने' और 'खरा' जैसे आंचलिक शब्दों का प्रयोग भी कर रही है। एक ही संवाद में आंचलिक और सपाट भाषा का प्रयोग सहज नहीं लग रहा। बेटी के संदर्भ में तो चलो ये समझ सकते हैं कि पढ़ी लिखी बेटी बीच बीच में ही ऐसे शब्दों का प्रयोग करती होगी परन्तु माता व पिता के संदर्भ में भाषा बनावटी लग रही है उसमें सहजता नहीं है। उम्मीद है आप सहमत होंगे और भविष्य में भाषा के प्रति अतिरिक्त सर्तकता बरतेंगे । सादर</p>
<p></p> आदरणीय विजय निकोरे सर,उत्साहव…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-16:5170231:Comment:8571252017-05-16T09:12:41.143Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://www.openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
आदरणीय विजय निकोरे सर,उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया,सादर
आदरणीय विजय निकोरे सर,उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया,सादर कघु कथा बहुत अच्छी लिखी है। ह…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-16:5170231:Comment:8570862017-05-16T08:20:30.402Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>कघु कथा बहुत अच्छी लिखी है। हार्दिक बधाई, आदरणीय सतविन्द्र जी।</p>
<p>कघु कथा बहुत अच्छी लिखी है। हार्दिक बधाई, आदरणीय सतविन्द्र जी।</p> पुनः समय देने के लिए सादर हार…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-16:5170231:Comment:8570732017-05-16T05:29:31.502Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://www.openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
पुनः समय देने के लिए सादर हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी!
पुनः समय देने के लिए सादर हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी! एक हांडी दो पेट = दोहरे मापदं…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-16:5170231:Comment:8569672017-05-16T02:31:41.723ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>एक हांडी दो पेट = दोहरे मापदंड. इस हरियाणवी कहावत से परिचय कराने का बहुत-बहुत शुक्रिया आ. सतविन्द्र भाई जी. पुनः बधाई. सादर. </p>
<p>एक हांडी दो पेट = दोहरे मापदंड. इस हरियाणवी कहावत से परिचय कराने का बहुत-बहुत शुक्रिया आ. सतविन्द्र भाई जी. पुनः बधाई. सादर. </p>