Comments - *माटी का गुरूर* राहिला (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-28T22:42:33Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A847354&xn_auth=noआप सभी आदरणीय सुधीजनों का दिल…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-13:5170231:Comment:8562022017-05-13T10:31:16.880ZRahilahttp://www.openbooksonline.com/profile/Rahila
आप सभी आदरणीय सुधीजनों का दिल से आभार ।आप सभी की सलाह को हमेशा संज्ञान में रखूंगी। सादर
आप सभी आदरणीय सुधीजनों का दिल से आभार ।आप सभी की सलाह को हमेशा संज्ञान में रखूंगी। सादर राहिला आप बहुत अच्छा लिखती है…tag:www.openbooksonline.com,2017-04-08:5170231:Comment:8480622017-04-08T14:15:22.155ZSeema Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/Seemasingh
राहिला आप बहुत अच्छा लिखती हैं।पर ये कथा आपके स्तर को छू नहीं पाई है। अनावश्यक विस्तार के चलते कथा में संदेश ही संदेश है कथा नज़र नही आ रही। आशा है आप मेरी बात को सकारात्मक रूप से ही लेंगी।
राहिला आप बहुत अच्छा लिखती हैं।पर ये कथा आपके स्तर को छू नहीं पाई है। अनावश्यक विस्तार के चलते कथा में संदेश ही संदेश है कथा नज़र नही आ रही। आशा है आप मेरी बात को सकारात्मक रूप से ही लेंगी। बढ़िया कथाtag:www.openbooksonline.com,2017-04-08:5170231:Comment:8478942017-04-08T10:34:49.731ZArchana Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/ArchanaTripathi
बढ़िया कथा
बढ़िया कथा आदरणीया राहिला जी, //"फ़िक्र न…tag:www.openbooksonline.com,2017-04-06:5170231:Comment:8476772017-04-06T17:14:18.257ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
आदरणीया राहिला जी, //"फ़िक्र ना कर, बलवीर सर इसी गाँव का तो हैं जिन्होंने मुझे इस वैध के बारे में बताया था। उन्हीं के घर रूक जाते हैं|"// "आपके इस संवाद को, "फ़िक्र ना कर, बलवीर सर इसी गाँव के तो हैं जिन्होंने मुझे इस वैध के बारे में बताया था। उन्हीं के घर रुक जाते हैं|" होना चाहिए। इसी प्रकार, //लकीरें खींच गयी।// को "लकीरें खिंच गयीं।" होना चाहिए। ऐसी ही अन्य टंकण त्रुटियाँ हैं। देख लीजिए। आपकी लघुकथा एक अच्छा सन्देश दे रही है। इस बढ़िया प्रस्तुति के लिए मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए।…
आदरणीया राहिला जी, //"फ़िक्र ना कर, बलवीर सर इसी गाँव का तो हैं जिन्होंने मुझे इस वैध के बारे में बताया था। उन्हीं के घर रूक जाते हैं|"// "आपके इस संवाद को, "फ़िक्र ना कर, बलवीर सर इसी गाँव के तो हैं जिन्होंने मुझे इस वैध के बारे में बताया था। उन्हीं के घर रुक जाते हैं|" होना चाहिए। इसी प्रकार, //लकीरें खींच गयी।// को "लकीरें खिंच गयीं।" होना चाहिए। ऐसी ही अन्य टंकण त्रुटियाँ हैं। देख लीजिए। आपकी लघुकथा एक अच्छा सन्देश दे रही है। इस बढ़िया प्रस्तुति के लिए मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर। बहुत बढ़िया प्रस्तुति हेतु तह…tag:www.openbooksonline.com,2017-04-06:5170231:Comment:8477352017-04-06T16:09:58.776ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
बहुत बढ़िया प्रस्तुति हेतु तहे दिल से बहुत बहुत बधाई आदरणीय राहिला जी।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति हेतु तहे दिल से बहुत बहुत बधाई आदरणीय राहिला जी। बेहतरीन एवम संदेश प्रद लघुकथा…tag:www.openbooksonline.com,2017-04-06:5170231:Comment:8476582017-04-06T10:56:40.311ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>बेहतरीन एवम संदेश प्रद लघुकथा आदरणीय राहिला आसिफ़ जी।हार्दिक बधाई।</p>
<p>बेहतरीन एवम संदेश प्रद लघुकथा आदरणीय राहिला आसिफ़ जी।हार्दिक बधाई।</p> इंसानियत जात पात से कहीं ऊंची…tag:www.openbooksonline.com,2017-04-06:5170231:Comment:8477172017-04-06T05:09:22.537Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>इंसानियत जात पात से कहीं ऊंची होती है पंच लाइन से बेहतरीन सन्देश निस्सृत हुआ है लघु कथा से बहुत खूब प्रिय राहिला जी बहुत बहुत बधाई </p>
<p>इंसानियत जात पात से कहीं ऊंची होती है पंच लाइन से बेहतरीन सन्देश निस्सृत हुआ है लघु कथा से बहुत खूब प्रिय राहिला जी बहुत बहुत बधाई </p> कथा संदेशप्रद है पर अंतिम पंक…tag:www.openbooksonline.com,2017-04-05:5170231:Comment:8475412017-04-05T10:25:47.082ZNita Kasarhttp://www.openbooksonline.com/profile/NitaKasar
कथा संदेशप्रद है पर अंतिम पंक्तियों में लेखिका का समावेश,और थोड़ा भाषण हो गया ।ईमानदारी से कहूँ आप लिखती बहुत अच्छा है,बधाई आद० प्रिय राहिला जी ।
कथा संदेशप्रद है पर अंतिम पंक्तियों में लेखिका का समावेश,और थोड़ा भाषण हो गया ।ईमानदारी से कहूँ आप लिखती बहुत अच्छा है,बधाई आद० प्रिय राहिला जी । आदरनीय सर जी ! बहुत आभार सराह…tag:www.openbooksonline.com,2017-04-05:5170231:Comment:8474532017-04-05T06:04:13.205ZRahilahttp://www.openbooksonline.com/profile/Rahila
आदरनीय सर जी ! बहुत आभार सराहना के लिए।<br />
मैं आपकी बात से भी सहमत हूँ। सादर
आदरनीय सर जी ! बहुत आभार सराहना के लिए।<br />
मैं आपकी बात से भी सहमत हूँ। सादर प्रिय कल्पना दीदी!आप की बात स…tag:www.openbooksonline.com,2017-04-05:5170231:Comment:8473872017-04-05T06:02:36.125ZRahilahttp://www.openbooksonline.com/profile/Rahila
प्रिय कल्पना दीदी!आप की बात से सहमत हूँ।सादर
प्रिय कल्पना दीदी!आप की बात से सहमत हूँ।सादर