Comments - गजल(दूर कहीं से कौड़ी आई) - Open Books Online2024-03-29T14:08:34Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A845143&xn_auth=noआदरणीय मनन जी, इस बढ़िया ग़ज़ल क…tag:www.openbooksonline.com,2017-04-02:5170231:Comment:8469452017-04-02T13:39:30.067ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
आदरणीय मनन जी, इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
आदरणीय मनन जी, इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए। सादर। आद0 मनन जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-29:5170231:Comment:8451672017-03-29T01:55:38.437Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 मनन जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल के लिए बधाई, यह गजल आपके और ग़ज़ल से हटकर है,
आद0 मनन जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल के लिए बधाई, यह गजल आपके और ग़ज़ल से हटकर है, आदरणीय समर जी, आभार व नमन!परि…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-28:5170231:Comment:8452522017-03-28T14:03:01.108ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
आदरणीय समर जी, आभार व नमन!परिमार्जित करता हूँ।
आदरणीय समर जी, आभार व नमन!परिमार्जित करता हूँ। आदरणीय समर जी, आभार व नमन!परि…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-28:5170231:Comment:8453342017-03-28T14:02:54.311ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
आदरणीय समर जी, आभार व नमन!परिमार्जित करता हूँ।
आदरणीय समर जी, आभार व नमन!परिमार्जित करता हूँ। जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-28:5170231:Comment:8451552017-03-28T13:07:17.972ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़ज़ल अच्छी है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
किसी व्यक्ति विशेष का नाम लेकर कुछ कहना हमारे मंच की परम्परा के ख़िलाफ़ है, कृपा कर आख़री शैर ग़ज़ल से ख़ारिज कर दें ।
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़ज़ल अच्छी है,बधाई स्वीकार करें ।<br />
किसी व्यक्ति विशेष का नाम लेकर कुछ कहना हमारे मंच की परम्परा के ख़िलाफ़ है, कृपा कर आख़री शैर ग़ज़ल से ख़ारिज कर दें ।