Comments - गजल(कुर्सियाँ किसकी हुईं हैं बोलिये भी) - Open Books Online2024-03-29T13:31:26Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A845117&xn_auth=noवाह बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई आदरणीय…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-28:5170231:Comment:8452412017-03-28T04:59:40.528Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
वाह बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई आदरणीय..
वाह बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई आदरणीय.. आदरणीय सुशील सरना जी,स्नेह जा…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-27:5170231:Comment:8450852017-03-27T14:18:47.939ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
आदरणीय सुशील सरना जी,स्नेह जाहिर करने के लिए शुक्रिया।
आदरणीय सुशील सरना जी,स्नेह जाहिर करने के लिए शुक्रिया। आदरणीय सुशील सरना जी,स्नेह जा…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-27:5170231:Comment:8451362017-03-27T14:18:42.851ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
आदरणीय सुशील सरना जी,स्नेह जाहिर करने के लिए शुक्रिया।
आदरणीय सुशील सरना जी,स्नेह जाहिर करने के लिए शुक्रिया। आदरणीय सुशील सरना जी,स्नेह जा…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-27:5170231:Comment:8453112017-03-27T14:18:40.957ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
आदरणीय सुशील सरना जी,स्नेह जाहिर करने के लिए शुक्रिया।
आदरणीय सुशील सरना जी,स्नेह जाहिर करने के लिए शुक्रिया। आदरणीय समर साहिब,नज्र बख्शने…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-27:5170231:Comment:8452332017-03-27T14:10:32.614ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
आदरणीय समर साहिब,नज्र बख्शने का शुक्रिया!'गो'लेना,मतलब मन मारकर/ध्यान न देकर सह लेना/बर्दास्त कर लेना,सादर।
आदरणीय समर साहिब,नज्र बख्शने का शुक्रिया!'गो'लेना,मतलब मन मारकर/ध्यान न देकर सह लेना/बर्दास्त कर लेना,सादर। आपका आभार आ दर णीय आ रि फ भाई।tag:www.openbooksonline.com,2017-03-27:5170231:Comment:8450832017-03-27T14:06:41.197ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
आपका आभार आ दर णीय आ रि फ भाई।
आपका आभार आ दर णीय आ रि फ भाई। कुर्सियाँ किसकी हुई हैं बोलिय…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-27:5170231:Comment:8450762017-03-27T10:19:31.313ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>कुर्सियाँ किसकी हुई हैं बोलिये भी<br/>गाँठ में क्या-क्या छिपा है खोलिये भी।1</p>
<p>वाह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल और भाव। ... हार्दिक बधाई आदरणीय।</p>
<p>कुर्सियाँ किसकी हुई हैं बोलिये भी<br/>गाँठ में क्या-क्या छिपा है खोलिये भी।1</p>
<p>वाह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल और भाव। ... हार्दिक बधाई आदरणीय।</p> जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-27:5170231:Comment:8452242017-03-27T09:50:45.915ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़ज़ल अच्छी हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।<br />
रदीफ़ में 'भी'शब्द के बग़ैर भी काम बन जाता ?<br />
'चोट खाई ख़ूब हमने गो लिये भी'<br />
इस मिसरे में 'गो लिये'का अर्थ बताने का कष्ट करें ।<br />
नियमानुसार ग़ज़ल के साथ अरकान नहीं लिखे आपने ?
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़ज़ल अच्छी हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।<br />
रदीफ़ में 'भी'शब्द के बग़ैर भी काम बन जाता ?<br />
'चोट खाई ख़ूब हमने गो लिये भी'<br />
इस मिसरे में 'गो लिये'का अर्थ बताने का कष्ट करें ।<br />
नियमानुसार ग़ज़ल के साथ अरकान नहीं लिखे आपने ? आदरणीय मनन कुमार जी आदाब, शान…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-27:5170231:Comment:8451202017-03-27T08:40:15.432ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीय मनन कुमार जी आदाब, शानदार ग़ज़ल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय मनन कुमार जी आदाब, शानदार ग़ज़ल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।