Comments - पत्ता था, सब्ज़, टूटके खिड़की में आ गया - Open Books Online2024-03-29T09:09:12Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A843108&xn_auth=noग़ज़ल को समय देने के लिए आप सभी…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-23:5170231:Comment:8440472017-03-23T16:04:46.750Zशिज्जु "शकूर"http://www.openbooksonline.com/profile/ShijjuS
ग़ज़ल को समय देने के लिए आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया
ग़ज़ल को समय देने के लिए आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया आदरणीय शिज्जु भाई इस उम्दा गज…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-21:5170231:Comment:8438182017-03-21T06:27:38.732ZRavi Shuklahttp://www.openbooksonline.com/profile/RaviShukla
<p>आदरणीय शिज्जु भाई इस उम्दा गजल के लिए दिली मुबारकबाद कुबूल करें हर शेर कमाल का है</p>
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<p>आदरणीय शिज्जु भाई इस उम्दा गजल के लिए दिली मुबारकबाद कुबूल करें हर शेर कमाल का है</p>
<p></p> वाह आदरणीय बेहतरीन गजल बधाईtag:www.openbooksonline.com,2017-03-19:5170231:Comment:8434952017-03-19T11:46:37.444Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
वाह आदरणीय बेहतरीन गजल बधाई
वाह आदरणीय बेहतरीन गजल बधाई वाह शिज्जु शकूर साहिब बहुत ही…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-19:5170231:Comment:8434912017-03-19T04:34:17.676Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'http://www.openbooksonline.com/profile/Basudeo
वाह शिज्जु शकूर साहिब बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं। मतला और मकता के शेरों का तो क्या कहना। बहुत खूब।
वाह शिज्जु शकूर साहिब बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं। मतला और मकता के शेरों का तो क्या कहना। बहुत खूब। हार्दिक बधाई शिज्जु "शकूर" जी…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-18:5170231:Comment:8435172017-03-18T09:17:01.379ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई शिज्जु "शकूर" जी ।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p>ख़्वाबों को ज़िन्दा करके भी क्या होता, दोस्तो!</p>
<p>मेरा जो वक्त था वो तो कब का चला गया</p>
<p>हार्दिक बधाई शिज्जु "शकूर" जी ।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p>ख़्वाबों को ज़िन्दा करके भी क्या होता, दोस्तो!</p>
<p>मेरा जो वक्त था वो तो कब का चला गया</p> आ. सतविंदर जी आपका बहुत बहुत…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-18:5170231:Comment:8433012017-03-18T04:15:06.652Zशिज्जु "शकूर"http://www.openbooksonline.com/profile/ShijjuS
आ. सतविंदर जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आ. सतविंदर जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम मोहम्मद आरिफ़ साहिब आपक…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-18:5170231:Comment:8432992017-03-18T04:14:24.921Zशिज्जु "शकूर"http://www.openbooksonline.com/profile/ShijjuS
मोहतरम मोहम्मद आरिफ़ साहिब आपका तहेदिल से शुक्रिया
मोहतरम मोहम्मद आरिफ़ साहिब आपका तहेदिल से शुक्रिया आदरणीय शिज्जु शकूर सर,सादर वन…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-17:5170231:Comment:8432272017-03-17T13:20:59.656Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://www.openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
आदरणीय शिज्जु शकूर सर,सादर वन्दन!इस उम्दा गजल के लिए दिली मुबारकबाद!
आदरणीय शिज्जु शकूर सर,सादर वन्दन!इस उम्दा गजल के लिए दिली मुबारकबाद! आदरणीय शिज्जू शकूर जी आदाब,बे…tag:www.openbooksonline.com,2017-03-17:5170231:Comment:8430572017-03-17T12:28:53.104ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
आदरणीय शिज्जू शकूर जी आदाब,बेहतरीन ग़ज़ल । शेर दर शेर दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल कीजिए ।
आदरणीय शिज्जू शकूर जी आदाब,बेहतरीन ग़ज़ल । शेर दर शेर दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल कीजिए ।