Comments - तरही ग़ज़ल (212-212-212-212) - Open Books Online2024-03-29T11:04:59Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A837186&xn_auth=noआ. भाईगुरप्रीत जी सुंदर गजल…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-08:5170231:Comment:8548912017-05-08T06:14:54.494Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाईगुरप्रीत जी सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकारें ।</p>
<p>आ. भाईगुरप्रीत जी सुंदर गजल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकारें ।</p> आदरणीय गुरप्रीत जी मुबारक बाद…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-08:5170231:Comment:8549452017-05-08T04:04:15.305ZRavi Shuklahttp://www.openbooksonline.com/profile/RaviShukla
<p>आदरणीय गुरप्रीत जी मुबारक बाद कुबूल करें इस गजल के लिये और आपकी शेर कहने के प्रति लगन के लिये</p>
<p></p>
<p>मैने देखी है इक चलती फ़िरती ग़ज़ल<br/> है मिजाज इस लिए शायराना हुआ ॥ क्या कहने इस शेर के वाह बधाई</p>
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<p>कमोबेश शाईरी की शुरुआत इसी तरह के मिजाज़ से होती है :-)))</p>
<p>आदरणीय गुरप्रीत जी मुबारक बाद कुबूल करें इस गजल के लिये और आपकी शेर कहने के प्रति लगन के लिये</p>
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<p>मैने देखी है इक चलती फ़िरती ग़ज़ल<br/> है मिजाज इस लिए शायराना हुआ ॥ क्या कहने इस शेर के वाह बधाई</p>
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<p>कमोबेश शाईरी की शुरुआत इसी तरह के मिजाज़ से होती है :-)))</p> वाह क्या खूबसूरत अंदाज है आदर…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-05:5170231:Comment:8546582017-05-05T18:22:48.043Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
वाह क्या खूबसूरत अंदाज है आदरणीय..बहुत ही शानदार ग़ज़ल हुई सादर
वाह क्या खूबसूरत अंदाज है आदरणीय..बहुत ही शानदार ग़ज़ल हुई सादर बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिर…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-05:5170231:Comment:8546442017-05-05T15:15:04.310ZGurpreet Singh jammuhttp://www.openbooksonline.com/profile/GurpreetSingh624
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज जी
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज जी आदरणीय अनुराग जी बहुत बहुत धन…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-05:5170231:Comment:8547372017-05-05T15:14:27.659ZGurpreet Singh jammuhttp://www.openbooksonline.com/profile/GurpreetSingh624
आदरणीय अनुराग जी बहुत बहुत धन्यवाद...ऐसे प्रोत्साहन से ही मेरे जैसा कम क्षमता वाला भी कभी कभी अपनी क्षमता से बढ़ कर काम करने के काबिल हो जाता है.
आदरणीय अनुराग जी बहुत बहुत धन्यवाद...ऐसे प्रोत्साहन से ही मेरे जैसा कम क्षमता वाला भी कभी कभी अपनी क्षमता से बढ़ कर काम करने के काबिल हो जाता है. आदरणीय , गुरप्रीत भाई , बहुत…tag:www.openbooksonline.com,2017-05-05:5170231:Comment:8546422017-05-05T15:02:12.226Zगिरिराज भंडारीhttp://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय , गुरप्रीत भाई , बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने .. शे र दर शेर आपको हार्दिक बधाइयाँ ।</p>
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<p>आदरणीय , गुरप्रीत भाई , बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने .. शे र दर शेर आपको हार्दिक बधाइयाँ ।</p>
<div id="link64_adl_tabid" style="display: none;">295</div> जी आदरणीय सौरभ जी..बात अब कुछ…tag:www.openbooksonline.com,2017-04-19:5170231:Comment:8500352017-04-19T14:06:10.615ZGurpreet Singh jammuhttp://www.openbooksonline.com/profile/GurpreetSingh624
जी आदरणीय सौरभ जी..बात अब कुछ कुछ समझ में आई है.. बहुत बहुत शुक्रिया आपका..
जी आदरणीय सौरभ जी..बात अब कुछ कुछ समझ में आई है.. बहुत बहुत शुक्रिया आपका.. आप ओबीओ पर बने रहें आदरणीय गु…tag:www.openbooksonline.com,2017-04-19:5170231:Comment:8501142017-04-19T06:51:02.736ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आप ओबीओ पर बने रहें आदरणीय गुरप्रीत जी, समयानुसार आप बहुत कुछ सीखते जायेंगे. इस पटल पर ऐसे ही सभी सीखते हैं. </p>
<p>आपकी कोशिश क़ामयाब हुई है. और आपकी लगन का स्वागत है. </p>
<p></p>
<p>और देखिए, आ० नीलेश भाई ने किस मुलामियत से आपके उक्त शेर के सानी मिसरे में जान डाली है. यही ग़ज़ल कहने की ख़ासियत है. वैसे यह अंदाज़ सीखते-सीखते आती है. लेकिन इसका गुमान तो होना ही चाहिए. ग़ज़ल वस्तुतः बातचीत के अंदाज़ को मिसरों में पिरोने की कला है. इसीलिए ग़ज़लों में प्रयुक्त हुए शेरों के मिसरे किसी गेय कविता या गीत…</p>
<p>आप ओबीओ पर बने रहें आदरणीय गुरप्रीत जी, समयानुसार आप बहुत कुछ सीखते जायेंगे. इस पटल पर ऐसे ही सभी सीखते हैं. </p>
<p>आपकी कोशिश क़ामयाब हुई है. और आपकी लगन का स्वागत है. </p>
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<p>और देखिए, आ० नीलेश भाई ने किस मुलामियत से आपके उक्त शेर के सानी मिसरे में जान डाली है. यही ग़ज़ल कहने की ख़ासियत है. वैसे यह अंदाज़ सीखते-सीखते आती है. लेकिन इसका गुमान तो होना ही चाहिए. ग़ज़ल वस्तुतः बातचीत के अंदाज़ को मिसरों में पिरोने की कला है. इसीलिए ग़ज़लों में प्रयुक्त हुए शेरों के मिसरे किसी गेय कविता या गीत जैसी विधाओं की पंक्तियों से अलग हुआ करते हैं. इस तथ्य के प्रति सचेत रहा करें.</p>
<p>शुभेच्छाएँ </p>
<p></p> हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आ…tag:www.openbooksonline.com,2017-04-11:5170231:Comment:8483962017-04-11T05:26:49.247ZGurpreet Singh jammuhttp://www.openbooksonline.com/profile/GurpreetSingh624
<p>हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आदरणीय नीलेश जी,,,,आपकी बात का ध्यान रखूँगा...... हालाँकि फिलहाल मुझे यह समझना थोड़ा मुश्किल लग रहा है </p>
<p>हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आदरणीय नीलेश जी,,,,आपकी बात का ध्यान रखूँगा...... हालाँकि फिलहाल मुझे यह समझना थोड़ा मुश्किल लग रहा है </p> आ. गुरप्रीत जी..बहुत ख़ूब....आ…tag:www.openbooksonline.com,2017-04-11:5170231:Comment:8484392017-04-11T02:08:18.194ZNilesh Shevgaonkarhttp://www.openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. गुरप्रीत जी..<br/>बहुत ख़ूब....<br/>आप की उत्तरोत्तर प्रगति साफ़ दिखाई दे रही है ..<br/>.<br/><span>आइए हमनशी बैठिए पलकों पर</span><br/><span>बोलिए ख्वाब में कैसे आना हुआ ॥.... या <br/></span>.<br/><span>आइए हमनशी बैठिए पलकों पर</span><br/><span><strong>ये कहें!!</strong> ख्वाब में कैसे आना हुआ ॥ क्या अधिक ग़ज़ल जैसा है ....यहाँ थोडा वक़्त दिया कीजिये ..<br/></span>.<br/>सादर </p>
<p>आ. गुरप्रीत जी..<br/>बहुत ख़ूब....<br/>आप की उत्तरोत्तर प्रगति साफ़ दिखाई दे रही है ..<br/>.<br/><span>आइए हमनशी बैठिए पलकों पर</span><br/><span>बोलिए ख्वाब में कैसे आना हुआ ॥.... या <br/></span>.<br/><span>आइए हमनशी बैठिए पलकों पर</span><br/><span><strong>ये कहें!!</strong> ख्वाब में कैसे आना हुआ ॥ क्या अधिक ग़ज़ल जैसा है ....यहाँ थोडा वक़्त दिया कीजिये ..<br/></span>.<br/>सादर </p>