Comments - नवगीत- आया जाड़ा हाड़ कँपाने - Open Books Online2024-03-28T11:51:44Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A830771&xn_auth=noआद गिरिराज जी। आपकी टिप्पणी स…tag:www.openbooksonline.com,2017-01-27:5170231:Comment:8315612017-01-27T08:12:02.111Zडॉ पवन मिश्रhttp://www.openbooksonline.com/profile/2tllvricxnsjg
<p>आद गिरिराज जी। आपकी टिप्पणी से नव ऊर्जा का संचार होता है। लिखना सार्थक सा लगने लगता है। हार्दिक आभार</p>
<p>आद गिरिराज जी। आपकी टिप्पणी से नव ऊर्जा का संचार होता है। लिखना सार्थक सा लगने लगता है। हार्दिक आभार</p> आद डॉ आशुतोष जी। आपकी टिप्पणि…tag:www.openbooksonline.com,2017-01-27:5170231:Comment:8314892017-01-27T08:10:17.014Zडॉ पवन मिश्रhttp://www.openbooksonline.com/profile/2tllvricxnsjg
<p>आद डॉ आशुतोष जी। आपकी टिप्पणियों के लिये हार्दिक आभार। लेखन की कक्षा का मैं भी एक नव शिक्षार्थी हूँ इसलिये आपके प्रश्न का यथोचित उत्तर नहीं है मेरे पास। शायद गीत वह विधा है, जिसमे मुखड़े और अन्तरे के चरण निश्चित होते हैं और नवगीत में पंक्तियों की बाध्यता नही होती है, दो पंक्तियों का मुखड़ा भी हो सकता है और दस का अंतरा भी,,,,शेष सुधीजन के हवाले</p>
<p>आद डॉ आशुतोष जी। आपकी टिप्पणियों के लिये हार्दिक आभार। लेखन की कक्षा का मैं भी एक नव शिक्षार्थी हूँ इसलिये आपके प्रश्न का यथोचित उत्तर नहीं है मेरे पास। शायद गीत वह विधा है, जिसमे मुखड़े और अन्तरे के चरण निश्चित होते हैं और नवगीत में पंक्तियों की बाध्यता नही होती है, दो पंक्तियों का मुखड़ा भी हो सकता है और दस का अंतरा भी,,,,शेष सुधीजन के हवाले</p> आद मिथिलेश जी, इस उत्साहवर्धन…tag:www.openbooksonline.com,2017-01-27:5170231:Comment:8317442017-01-27T08:06:35.858Zडॉ पवन मिश्रhttp://www.openbooksonline.com/profile/2tllvricxnsjg
<p>आद मिथिलेश जी, इस उत्साहवर्धन के लिये हृदयतल से आभार</p>
<p>आद मिथिलेश जी, इस उत्साहवर्धन के लिये हृदयतल से आभार</p> आदरणीय पवन भाई , बढ़िया गीत रच…tag:www.openbooksonline.com,2017-01-26:5170231:Comment:8313732017-01-26T14:48:32.100Zगिरिराज भंडारीhttp://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय पवन भाई , बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार कीजिये ।</p>
<p>आदरणीय पवन भाई , बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार कीजिये ।</p> आदरणीय पवन जी ..जाड़े का मंजर…tag:www.openbooksonline.com,2017-01-25:5170231:Comment:8312312017-01-25T11:49:50.014ZDr Ashutosh Mishrahttp://www.openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय पवन जी ..जाड़े का मंजर आँखों के सामने हू बहू उतारते इस शानदार नव गीत के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें...इस आदरणीय मंच पर सीखने सिखाने के अद्भुत तरीके के बाद भी मैं आज तक गीत और नवगीत के प्रसंग पर थोडा उलझ जाता हूँ ..कृपया इस उलझन का निवारण करने का कष्ट करें .. मेरे निवेदन को अन्यथा मत लीजियेगा ...रचना पर ढेर सारी बधाई के साथ सादर</p>
<p>आदरणीय पवन जी ..जाड़े का मंजर आँखों के सामने हू बहू उतारते इस शानदार नव गीत के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें...इस आदरणीय मंच पर सीखने सिखाने के अद्भुत तरीके के बाद भी मैं आज तक गीत और नवगीत के प्रसंग पर थोडा उलझ जाता हूँ ..कृपया इस उलझन का निवारण करने का कष्ट करें .. मेरे निवेदन को अन्यथा मत लीजियेगा ...रचना पर ढेर सारी बधाई के साथ सादर</p> आदरणीय पवन जी, जाड़े पर बढ़िया…tag:www.openbooksonline.com,2017-01-24:5170231:Comment:8309942017-01-24T19:16:01.144Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय पवन जी, जाड़े पर बढ़िया गीत लिखा है. हार्दिक बधाई. सादर </p>
<p>आदरणीय पवन जी, जाड़े पर बढ़िया गीत लिखा है. हार्दिक बधाई. सादर </p> आद. समर साहब। आपकी टिप्पणी सद…tag:www.openbooksonline.com,2017-01-24:5170231:Comment:8312092017-01-24T15:49:05.027Zडॉ पवन मिश्रhttp://www.openbooksonline.com/profile/2tllvricxnsjg
<p>आद. समर साहब। आपकी टिप्पणी सदैव ही उत्साह बढ़ाती है। आपका मार्गदर्शन और उत्साहवर्धन सदैव मिलता रहे, यही कामना है। हार्दिक आभार</p>
<p>आद. समर साहब। आपकी टिप्पणी सदैव ही उत्साह बढ़ाती है। आपका मार्गदर्शन और उत्साहवर्धन सदैव मिलता रहे, यही कामना है। हार्दिक आभार</p> आद सुरेन्द्र नाथ जी। आपकी उत्…tag:www.openbooksonline.com,2017-01-24:5170231:Comment:8309852017-01-24T15:47:24.088Zडॉ पवन मिश्रhttp://www.openbooksonline.com/profile/2tllvricxnsjg
<p>आद सुरेन्द्र नाथ जी। आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी का हृदय से आभार</p>
<p>आद सुरेन्द्र नाथ जी। आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी का हृदय से आभार</p> आद. प्रतिभा पाण्डेय जी। पंक्त…tag:www.openbooksonline.com,2017-01-24:5170231:Comment:8310242017-01-24T15:46:38.608Zडॉ पवन मिश्रhttp://www.openbooksonline.com/profile/2tllvricxnsjg
<p>आद. प्रतिभा पाण्डेय जी। पंक्तियों के भाव आप तक पहुंच गए। लिखना सार्थक हुआ। हार्दिक आभार</p>
<p>आद. प्रतिभा पाण्डेय जी। पंक्तियों के भाव आप तक पहुंच गए। लिखना सार्थक हुआ। हार्दिक आभार</p> जनाब डॉ.पवन मिश्र जी आदाब,जाड़…tag:www.openbooksonline.com,2017-01-24:5170231:Comment:8308922017-01-24T09:10:54.457ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब डॉ.पवन मिश्र जी आदाब,जाड़े के मौसम को लेकर अच्छा नवगीत लिखा आपने,बधाई स्वीकार करें ।
जनाब डॉ.पवन मिश्र जी आदाब,जाड़े के मौसम को लेकर अच्छा नवगीत लिखा आपने,बधाई स्वीकार करें ।