Comments - सैंटा क्लॉज़ (अतुकान्त कविता) - Open Books Online2024-03-29T08:54:04Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A821622&xn_auth=noआपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय डॉ…tag:www.openbooksonline.com,2016-12-26:5170231:Comment:8226612016-12-26T01:26:53.277ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
आपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय डॉ. गोपाल नारायन जी। सादर।
आपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय डॉ. गोपाल नारायन जी। सादर। आहा महेंद्र जी , शब्द दर शब्द…tag:www.openbooksonline.com,2016-12-25:5170231:Comment:8227392016-12-25T12:50:56.434Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आहा महेंद्र जी , शब्द दर शब्द आप हृदय में उतारते चले गए . इस प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई.</p>
<p>आहा महेंद्र जी , शब्द दर शब्द आप हृदय में उतारते चले गए . इस प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई.</p> आदरणीया प्रतिभा जी, रचना को प…tag:www.openbooksonline.com,2016-12-25:5170231:Comment:8227272016-12-25T11:07:06.146ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
आदरणीया प्रतिभा जी, रचना को पसंद करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार। सादर।
आदरणीया प्रतिभा जी, रचना को पसंद करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार। सादर। //मुझे लगा जैसे आपने मेरे दिल…tag:www.openbooksonline.com,2016-12-25:5170231:Comment:8228212016-12-25T11:03:58.740ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
//मुझे लगा जैसे आपने मेरे दिल के दर्द को शब्द दे दिए// यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है आदरणीय मिथिलेश सर। आपके शब्दों ने मुझे लिखने की प्रेरणा दी है। आपका हृदय ताल से बहुत-बहुत आभारी हूँ। सादर धन्यवाद।
//मुझे लगा जैसे आपने मेरे दिल के दर्द को शब्द दे दिए// यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है आदरणीय मिथिलेश सर। आपके शब्दों ने मुझे लिखने की प्रेरणा दी है। आपका हृदय ताल से बहुत-बहुत आभारी हूँ। सादर धन्यवाद। हार्दिक आभार आदरणीय आशीष जी।…tag:www.openbooksonline.com,2016-12-25:5170231:Comment:8226382016-12-25T10:58:41.742ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
हार्दिक आभार आदरणीय आशीष जी। सादर।
हार्दिक आभार आदरणीय आशीष जी। सादर। बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय समर…tag:www.openbooksonline.com,2016-12-25:5170231:Comment:8227252016-12-25T10:57:59.675ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय समर कबीर सर। सादर।
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय समर कबीर सर। सादर। ये सारे सेंटा हमारे सपनों में…tag:www.openbooksonline.com,2016-12-24:5170231:Comment:8223242016-12-24T03:39:04.381Zpratibha pandehttp://www.openbooksonline.com/profile/pratibhapande
<p>ये सारे सेंटा हमारे सपनों में सेंध लगाते आये हैं और आगे भी लगाते रहेंगे ..जरूरत है हम खुद अपने सेंटा बन जाएँ ...इस वैचारिक अतुकांत के लिए बधाई आपको आदरणीय महेंद्र जी </p>
<p>ये सारे सेंटा हमारे सपनों में सेंध लगाते आये हैं और आगे भी लगाते रहेंगे ..जरूरत है हम खुद अपने सेंटा बन जाएँ ...इस वैचारिक अतुकांत के लिए बधाई आपको आदरणीय महेंद्र जी </p> आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अतु…tag:www.openbooksonline.com,2016-12-23:5170231:Comment:8219892016-12-23T20:01:34.576Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अतुकांत में ऐसा अद्भुत प्रवाह देखकर मुग्ध हो गया. और रूपक देखकर चकित हूँ. सैंटा के बहाने आपने क्या खूब कलई खोली है. परत दर परत जो और जैसा खुलना था खुलता गया है. वह प्रस्तुति श्रेष्ठ होती है जो पाठक को अपनी सी लगे. मुझे लगा जैसे आपने मेरे दिल के दर्द को शब्द दे दिए. बहुत बढ़िया. दिल बधाईयाँ स्वीकारें. सादर </p>
<p>आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अतुकांत में ऐसा अद्भुत प्रवाह देखकर मुग्ध हो गया. और रूपक देखकर चकित हूँ. सैंटा के बहाने आपने क्या खूब कलई खोली है. परत दर परत जो और जैसा खुलना था खुलता गया है. वह प्रस्तुति श्रेष्ठ होती है जो पाठक को अपनी सी लगे. मुझे लगा जैसे आपने मेरे दिल के दर्द को शब्द दे दिए. बहुत बढ़िया. दिल बधाईयाँ स्वीकारें. सादर </p> Bahut sundar roopak prastuti.…tag:www.openbooksonline.com,2016-12-22:5170231:Comment:8215972016-12-22T20:30:27.980Zआशीष यादवhttp://www.openbooksonline.com/profile/Ashishyadav
Bahut sundar roopak prastuti. Achchhi kawita hetu badhai.
Bahut sundar roopak prastuti. Achchhi kawita hetu badhai. जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,ब…tag:www.openbooksonline.com,2016-12-21:5170231:Comment:8214442016-12-21T11:36:52.428ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,बहुत बढ़िया कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,बहुत बढ़िया कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।