Comments - भले ही रंग कुछ भरते - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T20:16:57Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A747861&xn_auth=noआ० राहिला जी ग़ज़ल पर उपस्थिति…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-10:5170231:Comment:7483542016-03-10T05:24:31.855Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ० राहिला जी ग़ज़ल पर उपस्थिति और प्रशंशा के लिए हार्दिक धन्यवाद l</p>
<p>आ० राहिला जी ग़ज़ल पर उपस्थिति और प्रशंशा के लिए हार्दिक धन्यवाद l</p> "हकीकत आप समझो या न समझो आप प…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-09:5170231:Comment:7480622016-03-09T07:27:32.664ZRahilahttp://www.openbooksonline.com/profile/Rahila
"हकीकत आप समझो या न समझो आप पर निर्भर<br />
हमारा जो भी रिश्ता है महज उस सादगी से है"वाह. .बहुत ही शानदार शेर हुआ।<br />
<br />
"किसी का दर्द अपना सा लगा करता किसे यारो<br />
सभी को आज मतलब क्यों महज अपनी खुशी से है "वाह-वाह ये तो बहुत ही जबरदस्त शेर हुआ आदरणीय सर जी! बहुत बधाई, पूरी ग़ज़ल ही काबिले तारीफ है।सादर
"हकीकत आप समझो या न समझो आप पर निर्भर<br />
हमारा जो भी रिश्ता है महज उस सादगी से है"वाह. .बहुत ही शानदार शेर हुआ।<br />
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"किसी का दर्द अपना सा लगा करता किसे यारो<br />
सभी को आज मतलब क्यों महज अपनी खुशी से है "वाह-वाह ये तो बहुत ही जबरदस्त शेर हुआ आदरणीय सर जी! बहुत बधाई, पूरी ग़ज़ल ही काबिले तारीफ है।सादर आ० भाई तेज वीर जी . ग़ज़ल की प्…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-09:5170231:Comment:7482152016-03-09T05:57:15.298Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ० भाई तेज वीर जी . ग़ज़ल की प्रशंशा के लिए हार्दिक आभार l</p>
<p>आ० भाई तेज वीर जी . ग़ज़ल की प्रशंशा के लिए हार्दिक आभार l</p> आ० भाई राजेश जी , हार्दिक आभा…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-09:5170231:Comment:7482142016-03-09T05:56:24.108Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ० भाई राजेश जी , हार्दिक आभार .</p>
<p>आ० भाई राजेश जी , हार्दिक आभार .</p> आ० भाई शुशील जी , उपस्थिति और…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-09:5170231:Comment:7482122016-03-09T05:55:47.620Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ० भाई शुशील जी , उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद l</p>
<p>आ० भाई शुशील जी , उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद l</p> हार्दिक बधाई लक्ष्मण धामी जी!…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-08:5170231:Comment:7477972016-03-08T16:14:58.401ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई लक्ष्मण धामी जी!बेहतरीन गज़ल!</p>
<p>हार्दिक बधाई लक्ष्मण धामी जी!बेहतरीन गज़ल!</p> बेहद खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय tag:www.openbooksonline.com,2016-03-08:5170231:Comment:7477892016-03-08T13:19:15.083Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p><span>बेहद खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय </span></p>
<p><span>बेहद खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय </span></p> किसी का दर्द अपना सा लगा करता…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-08:5170231:Comment:7480272016-03-08T12:05:36.362ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>किसी का दर्द अपना सा लगा करता किसे यारो <br/>सभी को आज मतलब क्यों महज अपनी खुशी से है /6</p>
<p>वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत खूब .... आपने प्रस्तुत ग़ज़ल में मानवीय अहसासों का बहुत सुंदर चित्रण किया है। दिली मुबारकबाद कबूल फरमाएँ सर।</p>
<p>किसी का दर्द अपना सा लगा करता किसे यारो <br/>सभी को आज मतलब क्यों महज अपनी खुशी से है /6</p>
<p>वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत खूब .... आपने प्रस्तुत ग़ज़ल में मानवीय अहसासों का बहुत सुंदर चित्रण किया है। दिली मुबारकबाद कबूल फरमाएँ सर।</p>