Comments - महज इक हार से जीवन नहीं बुनियाद खो देता -ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T07:33:13Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A746590&xn_auth=noआ० भाई मनोज जी हार्दिक आभार ltag:www.openbooksonline.com,2016-03-03:5170231:Comment:7470642016-03-03T06:32:22.354Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ० भाई मनोज जी हार्दिक आभार l</p>
<p>आ० भाई मनोज जी हार्दिक आभार l</p> आ0 भाई धर्मेन्द्र कुमार जी, उ…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-03:5170231:Comment:7469842016-03-03T06:31:50.192Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ0 भाई धर्मेन्द्र कुमार जी, उत्साहर्धन के लिए आभार ।<br/><br/></p>
<p>आ0 भाई धर्मेन्द्र कुमार जी, उत्साहर्धन के लिए आभार ।<br/><br/></p> आ0 भाई गिरिराज जी , आपकी उपस्…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-03:5170231:Comment:7471692016-03-03T06:31:36.494Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ0 भाई गिरिराज जी , आपकी उपस्थिति और सकारात्मक प्रतिक्रिया से उत्साहदूना हुआ । इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद ।<br/><br/></p>
<p>आ0 भाई गिरिराज जी , आपकी उपस्थिति और सकारात्मक प्रतिक्रिया से उत्साहदूना हुआ । इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद ।<br/><br/></p> आ0 भाई रवि शुक्ला जी, गजल पर…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-03:5170231:Comment:7471682016-03-03T06:31:22.049Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ0 भाई रवि शुक्ला जी, गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। स्नेह बनाए रखें। <br/><br/></p>
<p>आ0 भाई रवि शुक्ला जी, गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। स्नेह बनाए रखें। <br/><br/></p> आ0 भाई नादिर खान जी आपकी विस्…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-03:5170231:Comment:7471672016-03-03T06:31:10.424Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ0 भाई नादिर खान जी आपकी विस्तृत और सकारात्मक प्रतिक्रिखा से अत्यधिक उत्साहवर्धन हुआ । हार्दिक धन्यवाद ।</p>
<p>आ0 भाई नादिर खान जी आपकी विस्तृत और सकारात्मक प्रतिक्रिखा से अत्यधिक उत्साहवर्धन हुआ । हार्दिक धन्यवाद ।</p> आ0 भाई समर कबीर जी गजल पर उपस…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-03:5170231:Comment:7469822016-03-03T06:30:44.181Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ0 भाई समर कबीर जी गजल पर उपस्थिति और अनुमोदन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।<br/><br/></p>
<p>आ0 भाई समर कबीर जी गजल पर उपस्थिति और अनुमोदन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।<br/><br/></p> बहुत बहुत बहुत बधाई
सादरtag:www.openbooksonline.com,2016-03-02:5170231:Comment:7470372016-03-02T10:27:20.403Zमनोज अहसासhttp://www.openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
बहुत बहुत बहुत बधाई<br />
सादर
बहुत बहुत बहुत बधाई<br />
सादर अच्छे अश’आर हुए हैं आदरणीय लक…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-02:5170231:Comment:7470342016-03-02T04:55:02.817Zधर्मेन्द्र कुमार सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/249pje3yd1r3m
<p>अच्छे अश’आर हुए हैं आदरणीय लक्ष्मण जी, दाद कुबूल करें।</p>
<p>अच्छे अश’आर हुए हैं आदरणीय लक्ष्मण जी, दाद कुबूल करें।</p> महज इक हार से जीवन नहीं बुनिय…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-01:5170231:Comment:7470142016-03-01T15:13:37.701Zगिरिराज भंडारीhttp://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>महज इक हार से जीवन नहीं बुनियाद खो देता <br/>हमारे हौसले पर फिर न कोई मात भारी हो -- बेहतरीन बात कही ! बहुत सुन्दर गज़ल कही है , गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाई ।</p>
<p>महज इक हार से जीवन नहीं बुनियाद खो देता <br/>हमारे हौसले पर फिर न कोई मात भारी हो -- बेहतरीन बात कही ! बहुत सुन्दर गज़ल कही है , गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाई ।</p> आदरणीय लक्ष्मण जी बढिया अशआर…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-01:5170231:Comment:7469092016-03-01T12:32:08.255ZRavi Shuklahttp://www.openbooksonline.com/profile/RaviShukla
<p>आदरणीय लक्ष्मण जी बढिया अशआर हुए है शेर दर शेर बधाई कुबूल करें</p>
<p></p>
<p>न तो धर्मों का हमला हो न ही पंथों से हो खतरा<br/>न इस जम्हूरियत पर अब किसी की जात भारी हो ......आमीन</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण जी बढिया अशआर हुए है शेर दर शेर बधाई कुबूल करें</p>
<p></p>
<p>न तो धर्मों का हमला हो न ही पंथों से हो खतरा<br/>न इस जम्हूरियत पर अब किसी की जात भारी हो ......आमीन</p>