Comments - धन के बल पर नदी मुहाने -ग़ज़ल-(लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ) - Open Books Online2024-03-28T21:53:30Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A740802&xn_auth=noआ० भाई सतविंदर जी ग़ज़ल पर उपस्…tag:www.openbooksonline.com,2016-02-24:5170231:Comment:7426782016-02-24T06:18:27.931Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ० भाई सतविंदर जी ग़ज़ल पर उपस्थिति, प्रशंसा और त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार l</p>
<p>आ० भाई सतविंदर जी ग़ज़ल पर उपस्थिति, प्रशंसा और त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार l</p> आ० भाई बैजनाथ जी हार्दिक आभार…tag:www.openbooksonline.com,2016-02-24:5170231:Comment:7428562016-02-24T06:16:50.116Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ० भाई बैजनाथ जी हार्दिक आभार l</p>
<p>आ० भाई बैजनाथ जी हार्दिक आभार l</p> बेहद सुंदर ग़ज़ल।हार्दिक बधाई आ…tag:www.openbooksonline.com,2016-02-21:5170231:Comment:7424162016-02-21T16:22:13.930Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://www.openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
बेहद सुंदर ग़ज़ल।हार्दिक बधाई आदरणीय धामी जी।<br />
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//राह रही जो नदिया की वो घर आगन सब रोक रहे//<br />
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में शब्द आगन है या आँगन कृपया देख लें।
बेहद सुंदर ग़ज़ल।हार्दिक बधाई आदरणीय धामी जी।<br />
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//राह रही जो नदिया की वो घर आगन सब रोक रहे//<br />
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में शब्द आगन है या आँगन कृपया देख लें। आदरणीय लक्ष्मण साहेब ........…tag:www.openbooksonline.com,2016-02-20:5170231:Comment:7417772016-02-20T09:40:11.727ZDR. BAIJNATH SHARMA'MINTU'http://www.openbooksonline.com/profile/BAIJNATHSHARMAMINTU
<p>आदरणीय लक्ष्मण साहेब ..........बहुत बढ़िया ....बधाई !!!</p>
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<p>आदरणीय लक्ष्मण साहेब ..........बहुत बढ़िया ....बधाई !!!</p>
<p></p> आ० भाई तेजवीर जी , ग़ज़ल को समय…tag:www.openbooksonline.com,2016-02-18:5170231:Comment:7411002016-02-18T07:08:38.311Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ० भाई तेजवीर जी , ग़ज़ल को समय देने के लिए हार्दिक आभार l</p>
<p>आ० भाई तेजवीर जी , ग़ज़ल को समय देने के लिए हार्दिक आभार l</p> हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण ध…tag:www.openbooksonline.com,2016-02-17:5170231:Comment:7411312016-02-17T05:53:39.081ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!बेहतरीन गज़ल!</p>
<p><span>हम को नादाँ कहकर कोई बात न कहने देते पर</span><br/><span>यार सयानों ने हर दम ही बात बहुत बचकानी की </span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!बेहतरीन गज़ल!</p>
<p><span>हम को नादाँ कहकर कोई बात न कहने देते पर</span><br/><span>यार सयानों ने हर दम ही बात बहुत बचकानी की </span></p>