Comments - अतुकांत कविता : प्रतिनिधि (गणेश जी बागी) - Open Books Online2024-03-28T10:15:09Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A718878&xn_auth=noवास्तविकता को समेटे अद्भुत रच…tag:www.openbooksonline.com,2016-01-18:5170231:Comment:7326612016-01-18T13:03:11.811Zसतविन्द्र कुमार राणाhttp://www.openbooksonline.com/profile/28fn40mg3o5v9
वास्तविकता को समेटे अद्भुत रचना।हार्दिक बधाई आदरणीय बागी सर।
वास्तविकता को समेटे अद्भुत रचना।हार्दिक बधाई आदरणीय बागी सर। फिर भी.....मैं सहिष्णु हूँयाअ…tag:www.openbooksonline.com,2016-01-08:5170231:Comment:7305982016-01-08T12:33:41.886ZLOON KARAN CHHAJERhttp://www.openbooksonline.com/profile/LOONKARANCHHAJER
<p>फिर भी.....<br/><br/>मैं सहिष्णु हूँ<br/>या<br/>असहिष्णु !<br/>यह तय करते हैं<br/>कथित बुद्धिजीवी.<br/><br/><br/>वाहा। गणेश जी बहुत मार्मिक। .......</p>
<p>फिर भी.....<br/><br/>मैं सहिष्णु हूँ<br/>या<br/>असहिष्णु !<br/>यह तय करते हैं<br/>कथित बुद्धिजीवी.<br/><br/><br/>वाहा। गणेश जी बहुत मार्मिक। .......</p> सम्पूर्ण रचना बार-बार पढ़कर ग…tag:www.openbooksonline.com,2016-01-04:5170231:Comment:7298342016-01-04T12:28:44.471ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
सम्पूर्ण रचना बार-बार पढ़कर गहराई में उतरने को जी चाहता है....इसी भाव व कथ्य को आपकी लेखनी से उत्कृष्ट लघुकथा में उतरते देखने को जो चाहता है!! इस कृति की तारीफ़ में लफ़्ज़ ढूंढने को जी चाहता है आदरणीय गणेश जी "बागी" जी ।
सम्पूर्ण रचना बार-बार पढ़कर गहराई में उतरने को जी चाहता है....इसी भाव व कथ्य को आपकी लेखनी से उत्कृष्ट लघुकथा में उतरते देखने को जो चाहता है!! इस कृति की तारीफ़ में लफ़्ज़ ढूंढने को जी चाहता है आदरणीय गणेश जी "बागी" जी । सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बध…tag:www.openbooksonline.com,2015-12-16:5170231:Comment:7239062015-12-16T09:54:36.681Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय गणेश जी।</p>
<p>सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय गणेश जी।</p> सड़क एक प्रतीक तो है ही, आपने,…tag:www.openbooksonline.com,2015-12-05:5170231:Comment:7218212015-12-05T18:02:41.639ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>सड़क एक प्रतीक तो है ही, आपने, गणेशभाई, बिम्बात्मक तौर पर जिस तरह से प्रयुक्त किया है वह आपकी संवेदनशीलता का सटीक उदाहरण है. समसामयिकता कई बार, विशेषकर नयी कविताओं में, सपाटबयानी के कारण उबाऊ हो जाती है. लेकिन इस रचना में सामयिक तौर पर आम हो चले शब्दों का जिस तरह से उपयोग किया गया है वह प्रासंगिकता को नये आयाम देता है.</p>
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<p>समस्त विसंगतियों को झेलती हुई एक सड़क किस तरह से हम-आपके भावनाओं की उद्घोषणा हो जाती है यह पता भी नहीं चलता. लेकिन इन पंक्तियों के सापेक्ष आमजन की मानसिक सीमाओं…</p>
<p>सड़क एक प्रतीक तो है ही, आपने, गणेशभाई, बिम्बात्मक तौर पर जिस तरह से प्रयुक्त किया है वह आपकी संवेदनशीलता का सटीक उदाहरण है. समसामयिकता कई बार, विशेषकर नयी कविताओं में, सपाटबयानी के कारण उबाऊ हो जाती है. लेकिन इस रचना में सामयिक तौर पर आम हो चले शब्दों का जिस तरह से उपयोग किया गया है वह प्रासंगिकता को नये आयाम देता है.</p>
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<p>समस्त विसंगतियों को झेलती हुई एक सड़क किस तरह से हम-आपके भावनाओं की उद्घोषणा हो जाती है यह पता भी नहीं चलता. लेकिन इन पंक्तियों के सापेक्ष आमजन की मानसिक सीमाओं को करारे ढंग से सामने लाया गया है --</p>
<p>फिर भी.....</p>
<p>मैं सहिष्णु हूँ<br/>या<br/>असहिष्णु !<br/>यह तय करते हैं<br/>कथित बुद्धिजीवी.</p>
<p></p>
<p>एक अरसे बाद आपकी प्रस्तुति आयी है. लेकिन कई शिकायतों का निवारण करती हुई.</p>
<p>हार्दिक शुभकामनाएँ व ढेर सारी बधाइयाँ, गणेश भाई</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p> </p> उत्साहवर्धन और सराहना हेतु हृ…tag:www.openbooksonline.com,2015-12-05:5170231:Comment:7217472015-12-05T17:50:10.417ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>उत्साहवर्धन और सराहना हेतु हृदय से आभार आदरणीय सुनील जी.</p>
<p>उत्साहवर्धन और सराहना हेतु हृदय से आभार आदरणीय सुनील जी.</p> आदरणीय गणेश जी, इस सुन्दर, सम…tag:www.openbooksonline.com,2015-12-05:5170231:Comment:7215862015-12-05T15:18:46.579Zshree suneelhttp://www.openbooksonline.com/profile/shreesuneel
आदरणीय गणेश जी, इस सुन्दर, समर्थ अतुकांत कविता के लिए बहुत-बहुत बधाई आपको. सादर.
आदरणीय गणेश जी, इस सुन्दर, समर्थ अतुकांत कविता के लिए बहुत-बहुत बधाई आपको. सादर. सराहना हेतु आभार आदरणीय राम आ…tag:www.openbooksonline.com,2015-12-05:5170231:Comment:7215632015-12-05T06:43:41.893ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>सराहना हेतु आभार आदरणीय राम आश्रय जी.</p>
<p>सराहना हेतु आभार आदरणीय राम आश्रय जी.</p> अति उत्तम रचना आपको बहुत बहुत…tag:www.openbooksonline.com,2015-12-04:5170231:Comment:7213832015-12-04T16:00:39.901ZRam Asheryhttp://www.openbooksonline.com/profile/RamAshery918
<p>अति उत्तम रचना आपको बहुत बहुत बधाई स्वीकार हो </p>
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<p>अति उत्तम रचना आपको बहुत बहुत बधाई स्वीकार हो </p>
<p></p> आदरणीया राजेश जी, आपकी सराहना…tag:www.openbooksonline.com,2015-12-03:5170231:Comment:7210632015-12-03T08:52:22.410ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीया राजेश जी, आपकी सराहना कविता को पुरुस्कृत कर गयी, आपने रचना की आत्मा तक जाकर प्रतिक्रिया की है इसके लिए बहुत बहुत आभार.</p>
<p>आदरणीया राजेश जी, आपकी सराहना कविता को पुरुस्कृत कर गयी, आपने रचना की आत्मा तक जाकर प्रतिक्रिया की है इसके लिए बहुत बहुत आभार.</p>