Comments - हम है राही मुहब्बत - Open Books Online2024-03-28T22:17:58Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A697618&xn_auth=noजानता हूँ तु वैद्यों के घर मे…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-17:5170231:Comment:6986632015-09-17T04:07:12.139Zamod shrivastav (bindouri)http://www.openbooksonline.com/profile/amodbindouri
जानता हूँ तु वैद्यों के घर में जन्मी<br />
पर मेरे हमनशीं जख्म खाया न कर<br />
या<br />
जानता हूँ तु वैद्यों के घर से जुडी<br />
पर मेरे हमनशीं जख्म खाया न कर
जानता हूँ तु वैद्यों के घर में जन्मी<br />
पर मेरे हमनशीं जख्म खाया न कर<br />
या<br />
जानता हूँ तु वैद्यों के घर से जुडी<br />
पर मेरे हमनशीं जख्म खाया न कर जानता हूँ तु वैद्यों के घर मे…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-17:5170231:Comment:6987772015-09-17T04:05:48.037Zamod shrivastav (bindouri)http://www.openbooksonline.com/profile/amodbindouri
जानता हूँ तु वैद्यों के घर में जन्मी<br />
पर मेरे हमनशीं जख्म खाया न कर
जानता हूँ तु वैद्यों के घर में जन्मी<br />
पर मेरे हमनशीं जख्म खाया न कर प्यार की राह पर साथ दे हम सफ़र…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-17:5170231:Comment:6986622015-09-17T03:57:27.417Zamod shrivastav (bindouri)http://www.openbooksonline.com/profile/amodbindouri
प्यार की राह पर साथ दे हम सफ़र<br />
पास रह के तु दूरी बनाया न कर
प्यार की राह पर साथ दे हम सफ़र<br />
पास रह के तु दूरी बनाया न कर आ गिरिराज सर
आप के स्नेह और म…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-17:5170231:Comment:6986612015-09-17T03:53:15.676Zamod shrivastav (bindouri)http://www.openbooksonline.com/profile/amodbindouri
आ गिरिराज सर<br />
आप के स्नेह और मार्ग दर्शन के लिए<br />
सादर आभार<br />
आप ने वो कमिया बताई जो सिर्फ एक<br />
उस्तज ही बता सकता था<br />
सर सादर आभार नमन<br />
<br />
सर बदलाव मतले पर बदलाव की बात की<br />
तो फिर एक प्रयास---<br />
<br />
ऐ मेरे हमसफ़र वक्त ज्याया न कर<br />
प्यार हैरत से इतने जताया न कर<br />
<br />
अब सर सायद अताया<br />
ख़त्म हो आया हो जाये<br />
सर एक बार देखिये गया<br />
कुछ सही हुआ
आ गिरिराज सर<br />
आप के स्नेह और मार्ग दर्शन के लिए<br />
सादर आभार<br />
आप ने वो कमिया बताई जो सिर्फ एक<br />
उस्तज ही बता सकता था<br />
सर सादर आभार नमन<br />
<br />
सर बदलाव मतले पर बदलाव की बात की<br />
तो फिर एक प्रयास---<br />
<br />
ऐ मेरे हमसफ़र वक्त ज्याया न कर<br />
प्यार हैरत से इतने जताया न कर<br />
<br />
अब सर सायद अताया<br />
ख़त्म हो आया हो जाये<br />
सर एक बार देखिये गया<br />
कुछ सही हुआ आदरनीय आमोद भाई . ग़ज़ल का प्रय…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-17:5170231:Comment:6985782015-09-17T02:06:22.725Zगिरिराज भंडारीhttp://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरनीय आमोद भाई . ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा हुआ है , आपको हार्दिक बधाइयाँ -</p>
<p>1- मतले मे आपने , बताया और जताया ले कर काफिया अताया तय कर लिया है , और बाक़ी शे र मे आपने केवल आया निभाया है , तो अभी फिल हाल आपके बाक़ी शे र काफिया के लिहाज़ से खारिज हो रहे हैं ।<br/>2- जिंदगी की राह पर साथ आ हमसफ़र -- ये मिसरा बे बहर है , देख लीजिये गा</p>
<p>3- ज़खम को ज़ख्म कर लीजियेगा , नही तो ये मिसरा भी बेबहर लगेगा ।</p>
<p>आदरनीय आमोद भाई . ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा हुआ है , आपको हार्दिक बधाइयाँ -</p>
<p>1- मतले मे आपने , बताया और जताया ले कर काफिया अताया तय कर लिया है , और बाक़ी शे र मे आपने केवल आया निभाया है , तो अभी फिल हाल आपके बाक़ी शे र काफिया के लिहाज़ से खारिज हो रहे हैं ।<br/>2- जिंदगी की राह पर साथ आ हमसफ़र -- ये मिसरा बे बहर है , देख लीजिये गा</p>
<p>3- ज़खम को ज़ख्म कर लीजियेगा , नही तो ये मिसरा भी बेबहर लगेगा ।</p> सर इस गजल के बारे में भी कुछ…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-16:5170231:Comment:6985632015-09-16T17:33:16.142Zamod shrivastav (bindouri)http://www.openbooksonline.com/profile/amodbindouri
सर इस गजल के बारे में भी कुछ जानकारी मिल जाती तो अच्छा होता
सर इस गजल के बारे में भी कुछ जानकारी मिल जाती तो अच्छा होता