Comments - गुरु गोविन्द (लघुकथा) - शिक्षक दिवस पर विशेष - Open Books Online2024-03-28T12:21:51Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A695212&xn_auth=noलेखन सन्दर्भ में , जब भी कुछ…tag:www.openbooksonline.com,2016-03-05:5170231:Comment:7472812016-03-05T06:38:35.509Zkanta royhttp://www.openbooksonline.com/profile/kantaroy
<p>लेखन सन्दर्भ में , जब भी कुछ समझ में नहीं आता है ,आपकी रचनायें पढ़ने लगती हूँ और बहुत कुछ सीखते हुए , स्वयं के लिए हमेशा एक पाठ पा जाती हूँ। वंदन सर जी आपको । </p>
<p>लेखन सन्दर्भ में , जब भी कुछ समझ में नहीं आता है ,आपकी रचनायें पढ़ने लगती हूँ और बहुत कुछ सीखते हुए , स्वयं के लिए हमेशा एक पाठ पा जाती हूँ। वंदन सर जी आपको । </p> आपकी इस लघुकथा ने हृदय को ह…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-18:5170231:Comment:6994192015-09-18T18:08:44.418ZDr. Chandresh Kumar Chhatlanihttp://www.openbooksonline.com/profile/ChandreshKumarChhatlani
<p>आपकी इस लघुकथा ने हृदय को हिला सा दिया आदरणीय सर, एक-एक शब्द जैसे माला के उस रूद्राक्ष जैसा है जो 108 मनकों में से एक मनका है, यदि एक भी कम ज़्यादा हो जाये तो माला किसी काम की नहीं| नमन सर |</p>
<p>आपकी इस लघुकथा ने हृदय को हिला सा दिया आदरणीय सर, एक-एक शब्द जैसे माला के उस रूद्राक्ष जैसा है जो 108 मनकों में से एक मनका है, यदि एक भी कम ज़्यादा हो जाये तो माला किसी काम की नहीं| नमन सर |</p> आदरणीय योगराज जी बहुत ही संदे…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-16:5170231:Comment:6985482015-09-16T15:00:58.321Zshashi bansal goyalhttp://www.openbooksonline.com/profile/shashibansal
आदरणीय योगराज जी बहुत ही संदेशपरक सारगर्भित रचना हुई है । गुरु ने न केवल ग़ज़ल विधा का ज्ञान दिया बल्कि सच्चाई और स्पष्टतावादी होने का नैतिक गुण भी सिखाया । साथ ही गुरु ने भी उसकी प्रशंसा कर अपना उत्तराधिकारी घोषित कर सन्देश दिया कि उसे चापलूसों की नहीं सच्चे शिष्य की तलाश थी । यहाँ गुरु और शिष्य दोनों का ही उज्जवल पक्ष और चरित्र उजागर हुआ है । सादर ।
आदरणीय योगराज जी बहुत ही संदेशपरक सारगर्भित रचना हुई है । गुरु ने न केवल ग़ज़ल विधा का ज्ञान दिया बल्कि सच्चाई और स्पष्टतावादी होने का नैतिक गुण भी सिखाया । साथ ही गुरु ने भी उसकी प्रशंसा कर अपना उत्तराधिकारी घोषित कर सन्देश दिया कि उसे चापलूसों की नहीं सच्चे शिष्य की तलाश थी । यहाँ गुरु और शिष्य दोनों का ही उज्जवल पक्ष और चरित्र उजागर हुआ है । सादर । बहुत ही सकारात्मक सोच वाली प्…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-16:5170231:Comment:6985442015-09-16T14:34:12.540Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>बहुत ही सकारात्मक सोच वाली प्रेरणास्पद लघु कथा हुई आ० योगराज जी बहुत बहुत बधाई आपको इस शानदार प्रस्तुति के लिए |</p>
<p>बहुत ही सकारात्मक सोच वाली प्रेरणास्पद लघु कथा हुई आ० योगराज जी बहुत बहुत बधाई आपको इस शानदार प्रस्तुति के लिए |</p> शिष्य को शिक्षक तो बहुत मिलते…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-09:5170231:Comment:6959382015-09-09T10:00:30.542ZNita Kasarhttp://www.openbooksonline.com/profile/NitaKasar
शिष्य को शिक्षक तो बहुत मिलते है हर कक्षा में पर सच्चे गुरू ख़ुशनसीबी और माता,पिता के ज़रिये बतौर मार्गदर्शक मिलते है वे ही शिष्यों के सच्चे पथप्रदर्शक होते है कथा सराहनीय ही नहीं सारगर्भित भी है मेरा नमन स्वीकार करिये आदरणीय योगराज प्रभाकर जी ।
शिष्य को शिक्षक तो बहुत मिलते है हर कक्षा में पर सच्चे गुरू ख़ुशनसीबी और माता,पिता के ज़रिये बतौर मार्गदर्शक मिलते है वे ही शिष्यों के सच्चे पथप्रदर्शक होते है कथा सराहनीय ही नहीं सारगर्भित भी है मेरा नमन स्वीकार करिये आदरणीय योगराज प्रभाकर जी । छद्म आवरण ओढ़े स्वयंभू गुरुओं…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-06:5170231:Comment:6955222015-09-06T15:29:09.361Zशिज्जु "शकूर"http://www.openbooksonline.com/profile/ShijjuS
छद्म आवरण ओढ़े स्वयंभू गुरुओं के लिये सटीक संदेश है इसके अलावा ये लघुकथा नये रचनाकारों के लिये भी प्रेरक है दिली बधाई आपको इस लघुकथा के लिये
छद्म आवरण ओढ़े स्वयंभू गुरुओं के लिये सटीक संदेश है इसके अलावा ये लघुकथा नये रचनाकारों के लिये भी प्रेरक है दिली बधाई आपको इस लघुकथा के लिये वाह !!!!!! अद्वितीय लघुकथा ।…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-06:5170231:Comment:6953322015-09-06T13:12:42.666Zkanta royhttp://www.openbooksonline.com/profile/kantaroy
वाह !!!!!! अद्वितीय लघुकथा । साहित्य सेवा की सच्ची विद्या का दान देकर गरू सदा ही शीर्ष विराजमान रहते है । शिष्य का बिना भेद भाव विधा का आकलन करने का जो ज्ञान गुरू से मिला वो गुरू चरणों में ही अर्पित हुआ । सच्चे शिष्य गुरू के रिश्ते का आकलन किसी सामान्य व्यक्ति के वश की बात नहीं है । बहुत ही शानदार लेखनी हुई है सर जी । बेहद ही गाम्भीर्य - भाव का संवहन हुआ है इस लघुकथा में । दिल को आनंदित कर गया ।
वाह !!!!!! अद्वितीय लघुकथा । साहित्य सेवा की सच्ची विद्या का दान देकर गरू सदा ही शीर्ष विराजमान रहते है । शिष्य का बिना भेद भाव विधा का आकलन करने का जो ज्ञान गुरू से मिला वो गुरू चरणों में ही अर्पित हुआ । सच्चे शिष्य गुरू के रिश्ते का आकलन किसी सामान्य व्यक्ति के वश की बात नहीं है । बहुत ही शानदार लेखनी हुई है सर जी । बेहद ही गाम्भीर्य - भाव का संवहन हुआ है इस लघुकथा में । दिल को आनंदित कर गया । बहुत ही सुंदर कथा आदरणीय योगर…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-06:5170231:Comment:6954142015-09-06T11:03:54.372Zjyotsna Kapilhttp://www.openbooksonline.com/profile/jyotsnaKapil
बहुत ही सुंदर कथा आदरणीय योगराज सर।ऐसे गुरु ही सच्चे अर्थों में शिष्य के हितचिंतक होते हैं।ऐसी सोच आप जैसा व्यक्ति ही रख सकता है जो सदैव नवांकुरों के हित के लिए प्रयत्नशील रहता है।
बहुत ही सुंदर कथा आदरणीय योगराज सर।ऐसे गुरु ही सच्चे अर्थों में शिष्य के हितचिंतक होते हैं।ऐसी सोच आप जैसा व्यक्ति ही रख सकता है जो सदैव नवांकुरों के हित के लिए प्रयत्नशील रहता है। बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना क…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-06:5170231:Comment:6954092015-09-06T10:56:50.815ZTanuja Upretihttp://www.openbooksonline.com/profile/TanujaUpreti
<p>बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना के लिए शुभकामनाएँ आदरणीय योगेन्द्र जी</p>
<p>बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना के लिए शुभकामनाएँ आदरणीय योगेन्द्र जी</p> वाह आदरणीय ऐसे महान विचार आप…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-06:5170231:Comment:6952592015-09-06T10:17:00.217Zram shiromani pathakhttp://www.openbooksonline.com/profile/ramshiromanipathak
वाह आदरणीय ऐसे महान विचार आप जैसे गुरु के ही हो सकते है।।आपकी ये लघुकथा मुझे बहुत पसंद आई।।सादर
वाह आदरणीय ऐसे महान विचार आप जैसे गुरु के ही हो सकते है।।आपकी ये लघुकथा मुझे बहुत पसंद आई।।सादर