Comments - पता(पता) - Open Books Online2024-03-29T08:55:26Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A694494&xn_auth=noआदरणीय सौरभजी, लघु कथा को मान…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-10:5170231:Comment:6958842015-09-10T02:59:05.617ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
आदरणीय सौरभजी, लघु कथा को मान देने के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूँ,सादर।
आदरणीय सौरभजी, लघु कथा को मान देने के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूँ,सादर। श्रद्धेय मोहनजी,अर्चनजी,गिरिर…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-10:5170231:Comment:6959692015-09-10T02:53:47.059ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
श्रद्धेय मोहनजी,अर्चनजी,गिरिराज भाई स्नेह अजर मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
श्रद्धेय मोहनजी,अर्चनजी,गिरिराज भाई स्नेह अजर मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। चैट बॉक्स की नयी दुनिया का यह…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-06:5170231:Comment:6952862015-09-06T18:14:11.862ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>चैट बॉक्स की नयी दुनिया का यह आधुनिक पहलू है, आदरणीय मननजी, जो दमित इच्छाओं को कुरेद-कुरेद कर, वायवीय ही सही, आकार देना चाहता है. एक बड़ा वर्ग इस ’वर्चुअल वर्ल्ड’ को अपने लिहाज से जीता है. वर्जनाओं को नकारने के फेर में कुत्सित विचारों को स्वर पाता हुआ देखता है. उसकी ’नवी मुम्बई’ कई बार अनुत्तरित रह जाती है तो कई बार, मानसिक ही सही, महालक्ष्मी-ग्राण्ट रोड के दरम्यान की बस्ती के स्तर को जीने लगती है. </p>
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<p>आपकी इस लघुकथा को अबतक की प्रस्तुत हुई सर्वश्रेष्ठ लघुकथा के तौर पर स्वीकार कर…</p>
<p>चैट बॉक्स की नयी दुनिया का यह आधुनिक पहलू है, आदरणीय मननजी, जो दमित इच्छाओं को कुरेद-कुरेद कर, वायवीय ही सही, आकार देना चाहता है. एक बड़ा वर्ग इस ’वर्चुअल वर्ल्ड’ को अपने लिहाज से जीता है. वर्जनाओं को नकारने के फेर में कुत्सित विचारों को स्वर पाता हुआ देखता है. उसकी ’नवी मुम्बई’ कई बार अनुत्तरित रह जाती है तो कई बार, मानसिक ही सही, महालक्ष्मी-ग्राण्ट रोड के दरम्यान की बस्ती के स्तर को जीने लगती है. </p>
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<p>आपकी इस लघुकथा को अबतक की प्रस्तुत हुई सर्वश्रेष्ठ लघुकथा के तौर पर स्वीकार कर रहा हूँ. संवादों में चुटीलापन और कथ्य में पैनापन इस लघुकथा की विशेषता है. </p>
<p>सादर शुभकामनाएँ व बधाइयाँ </p>
<p></p> आदरणीय मनन भाई , अच्छी लगी आप…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-06:5170231:Comment:6953412015-09-06T15:26:11.925Zगिरिराज भंडारीhttp://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय मनन भाई , अच्छी लगी आपकी अनकही मुम्बई , बधाइयाँ ।</p>
<p>आदरणीय मनन भाई , अच्छी लगी आपकी अनकही मुम्बई , बधाइयाँ ।</p> आदरणीय मनन कुमार सिंह जी ,खूब…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-05:5170231:Comment:6951902015-09-05T19:28:49.927ZArchana Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/ArchanaTripathi
आदरणीय मनन कुमार सिंह जी ,खूबसूरत लघुकथा के लिए हसर्दिक बधाई ।
आदरणीय मनन कुमार सिंह जी ,खूबसूरत लघुकथा के लिए हसर्दिक बधाई । आदरनीय मनन जी, इस लघुकथा के…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-04:5170231:Comment:6949462015-09-04T17:05:14.431Zमोहन बेगोवालhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrMohanlal
<p> आदरनीय मनन जी, इस लघुकथा के लिए बधाई</p>
<p> आदरनीय मनन जी, इस लघुकथा के लिए बधाई</p> आदरणीय तेज प्रताप जी,मिथिलेश…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-03:5170231:Comment:6948402015-09-03T17:50:46.097ZManan Kumar singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/MananKumarsingh
आदरणीय तेज प्रताप जी,मिथिलेश जी तथा आदरणीया कांता जी सादर आभार आपका,प्रेरणा प्रदान करने के लिए।वस्तुतः चलते-चलते कथा बानी है।
आदरणीय तेज प्रताप जी,मिथिलेश जी तथा आदरणीया कांता जी सादर आभार आपका,प्रेरणा प्रदान करने के लिए।वस्तुतः चलते-चलते कथा बानी है। वाह ! क्या नवी मुंबई का अनकही…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-03:5170231:Comment:6948012015-09-03T16:53:01.977Zkanta royhttp://www.openbooksonline.com/profile/kantaroy
<p>वाह ! क्या नवी मुंबई का अनकही भी सब कह गया । बेहतरीन लघुकथा हुई है ये आदरणीय मनन कुमार जी । बधाई ।</p>
<p>वाह ! क्या नवी मुंबई का अनकही भी सब कह गया । बेहतरीन लघुकथा हुई है ये आदरणीय मनन कुमार जी । बधाई ।</p> इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-03:5170231:Comment:6947932015-09-03T12:47:35.818Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन जी </p>
<p>इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन जी </p> हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुम…tag:www.openbooksonline.com,2015-09-03:5170231:Comment:6947722015-09-03T09:06:43.370ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमर सिंह जी!</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमर सिंह जी!</p>