Comments - बुनियाद (लघुकथा) - मिथिलेश वामनकर [अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस पर ] - Open Books Online2024-03-28T21:14:49Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A682396&xn_auth=noलघुकथा की सराहना और सकारात्मक…tag:www.openbooksonline.com,2015-08-12:5170231:Comment:6886082015-08-12T16:24:43.119Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आदरणीय ओमप्रकाश जी</p>
<p>लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आदरणीय ओमप्रकाश जी</p> आ मिथिलेश जी आप की जोरदार और…tag:www.openbooksonline.com,2015-08-12:5170231:Comment:6884012015-08-12T15:54:38.828ZOmprakash Kshatriyahttp://www.openbooksonline.com/profile/OmprakashKshatriya
<p>आ मिथिलेश जी आप की जोरदार और व्यंगात्मक लघुकथा हुई है. बधाई आप को</p>
<p>आ मिथिलेश जी आप की जोरदार और व्यंगात्मक लघुकथा हुई है. बधाई आप को</p> आदरणीय गिरिराज सर, लघुकथा आप…tag:www.openbooksonline.com,2015-08-04:5170231:Comment:6850972015-08-04T08:07:25.726Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari" class="fn url">गिरिराज</a> सर, लघुकथा आपको पसंद आई, लिखना सार्थक हुआ. <span> </span><span>लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..</span></p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari" class="fn url">गिरिराज</a> सर, लघुकथा आपको पसंद आई, लिखना सार्थक हुआ. <span> </span><span>लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..</span></p> आदरणीय हर्ष जी, लघुकथा की सरा…tag:www.openbooksonline.com,2015-08-04:5170231:Comment:6851892015-08-04T08:06:21.751Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय हर्ष जी, <span>लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..</span></p>
<p>आदरणीय हर्ष जी, <span>लघुकथा की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..</span></p> आदरणीय तेजवीर सिंह जी, लघुकथा…tag:www.openbooksonline.com,2015-08-04:5170231:Comment:6851882015-08-04T08:05:52.259Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी, लघुकथा पर आपका अनुमोदन मुग्ध कर रहा है. <span> </span><span>लघुकथा की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..</span></p>
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी, लघुकथा पर आपका अनुमोदन मुग्ध कर रहा है. <span> </span><span>लघुकथा की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. आपका बहुत बहुत धन्यवाद ..</span></p> आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीव…tag:www.openbooksonline.com,2015-08-04:5170231:Comment:6853252015-08-04T08:04:43.854Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA" class="fn url">डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव</a><span> सर, आपका आत्मीय अनुमोदन पाकर मन झूम गया. हार्दिक आभार. नमन </span></p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA" class="fn url">डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव</a><span> सर, आपका आत्मीय अनुमोदन पाकर मन झूम गया. हार्दिक आभार. नमन </span></p> आदरनीय मिथिलेश भाई , लघुकथा क…tag:www.openbooksonline.com,2015-08-04:5170231:Comment:6851862015-08-04T07:56:43.907Zगिरिराज भंडारीhttp://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरनीय मिथिलेश भाई , लघुकथा का विषय बहुत पसन्द आया , लाजावाब ! हार्दिक बधाइयाँ</p>
<p>आदरनीय मिथिलेश भाई , लघुकथा का विषय बहुत पसन्द आया , लाजावाब ! हार्दिक बधाइयाँ</p> एक सशक्त लघुकथा आदरणीय मिथिले…tag:www.openbooksonline.com,2015-08-04:5170231:Comment:6852412015-08-04T05:00:06.509ZHarash Mahajanhttp://www.openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>एक सशक्त लघुकथा आदरणीय मिथिलेश जी बधाई !!</p>
<p>एक सशक्त लघुकथा आदरणीय मिथिलेश जी बधाई !!</p> आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत शानदा…tag:www.openbooksonline.com,2015-08-04:5170231:Comment:6850872015-08-04T04:54:52.747ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत शानदार लघुकथा!हार्दिक बधाई!बहुत गंभीर विषय पर तीखा प्रहार किया है!पुनः बधाई!</p>
<p>आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत शानदार लघुकथा!हार्दिक बधाई!बहुत गंभीर विषय पर तीखा प्रहार किया है!पुनः बधाई!</p> वाऊ ----- कमाल कर दिया मित्र…tag:www.openbooksonline.com,2015-08-04:5170231:Comment:6851752015-08-04T04:41:22.152Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>वाऊ ----- कमाल कर दिया मित्र . भाव विषय शिल्प सब पर आपने बाजी मारी . मेरी और से शत शत बधाई </p>
<p>वाऊ ----- कमाल कर दिया मित्र . भाव विषय शिल्प सब पर आपने बाजी मारी . मेरी और से शत शत बधाई </p>