Comments - ए-हुस्न-जाना...............'जान' गोरखपुरी - Open Books Online2024-03-28T11:57:23Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A632414&xn_auth=noयहाँ केवल रूह ही बात नही हो र…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-23:5170231:Comment:6340422015-03-23T14:49:35.533ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://www.openbooksonline.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>यहाँ केवल रूह ही बात नही हो रही है आदरणीय! ''रूहों की दुनिया'' का अर्थ पर मृत्युलोक के रूप में निकलता!</p>
<p>यहाँ केवल रूह ही बात नही हो रही है आदरणीय! ''रूहों की दुनिया'' का अर्थ पर मृत्युलोक के रूप में निकलता!</p> क्यों भाई जी ज़िंदा लोगों की र…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-23:5170231:Comment:6341272015-03-23T14:34:43.456Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
क्यों भाई जी ज़िंदा लोगों की रूह नहीं होती क्या?
क्यों भाई जी ज़िंदा लोगों की रूह नहीं होती क्या? सही कहा आपने आदरणीय मिथिलेश स…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-23:5170231:Comment:6339692015-03-23T14:28:47.980ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://www.openbooksonline.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>सही कहा आपने आदरणीय मिथिलेश सर! दुनिया-ए-रू का अर्थ चेहरे की दुनिया ही सीधे-सीधे निकलता है!</p>
<p>मै ''दुनिया-ए-रूह'' लिखना चाहता था लेकिन इसका अर्थ ''आत्मा की दुनिया'' यानी मौत के बाद की दुनिया के रूप में निकलता इसलिये दुनिया-ए-रू लिखा, ये मेरे द्वारा ही गढा शब्द है!ऐसा लिखना ही मुझे श्रेयस्कर लगा!! दुनिया-ए-''रू'' ज्यादा बेहतर रहता! आपका हार्दिक आभार आदरणीय!आपके माध्यम से मै जो कहना चाहता था,वो सबके सामने रख सका!!</p>
<p>सही कहा आपने आदरणीय मिथिलेश सर! दुनिया-ए-रू का अर्थ चेहरे की दुनिया ही सीधे-सीधे निकलता है!</p>
<p>मै ''दुनिया-ए-रूह'' लिखना चाहता था लेकिन इसका अर्थ ''आत्मा की दुनिया'' यानी मौत के बाद की दुनिया के रूप में निकलता इसलिये दुनिया-ए-रू लिखा, ये मेरे द्वारा ही गढा शब्द है!ऐसा लिखना ही मुझे श्रेयस्कर लगा!! दुनिया-ए-''रू'' ज्यादा बेहतर रहता! आपका हार्दिक आभार आदरणीय!आपके माध्यम से मै जो कहना चाहता था,वो सबके सामने रख सका!!</p> अपने अनुसार लुगत की गज़ब जुगत…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-23:5170231:Comment:6336862015-03-23T05:02:39.390Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>अपने अनुसार लुगत की गज़ब जुगत लगाई है भाईजी वैसे दुनिया-ए-रू को चेहरे की दुनिया कहना अधिक सही है </p>
<p>अपने अनुसार लुगत की गज़ब जुगत लगाई है भाईजी वैसे दुनिया-ए-रू को चेहरे की दुनिया कहना अधिक सही है </p> आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी, संद…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-22:5170231:Comment:6336002015-03-22T19:25:15.151ZHari Prakash Dubeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/HariPrakashDubey
<p><span> आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी, संदर प्रयास है ,हार्दिक बधाई आपको ! सादर </span></p>
<p><span> आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी, संदर प्रयास है ,हार्दिक बधाई आपको ! सादर </span></p> आदरणीय मिथिलेश जी गीत के रूप…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-22:5170231:Comment:6336582015-03-22T18:19:40.388ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://www.openbooksonline.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>आदरणीय मिथिलेश जी गीत के रूप में लिखने का प्रयास किया है!</p>
<p>आप जैसे गुनी मेरी रचना पर इतना समय दें यह देख मन हर्षित हुआ!आपके प्रेम का मै आभारी हूँ!! सादर!</p>
<p>आदरणीय मिथिलेश जी गीत के रूप में लिखने का प्रयास किया है!</p>
<p>आप जैसे गुनी मेरी रचना पर इतना समय दें यह देख मन हर्षित हुआ!आपके प्रेम का मै आभारी हूँ!! सादर!</p> आदरणीया rajesh kumari जी रचना…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-22:5170231:Comment:6337482015-03-22T18:12:34.750ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://www.openbooksonline.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>आदरणीया rajesh kumari जी रचना पर आपकी उपस्थिति से रचना को मान मिला! लिखना सार्थक हुआ१बहुत बहुत आभार!</p>
<p>आदरणीया rajesh kumari जी रचना पर आपकी उपस्थिति से रचना को मान मिला! लिखना सार्थक हुआ१बहुत बहुत आभार!</p> छोड़ कफ़स-ए-शम्मा-परवाना...
दुन…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-22:5170231:Comment:6337472015-03-22T18:03:31.537ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://www.openbooksonline.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>छोड़ कफ़स-ए-शम्मा-परवाना...</p>
<p>दुनिया-ए-रू में आ देख क्या आराम है।</p>
<p></p>
<p>भावार्थ- जिस तरह आग की ओर स्वाभाविक रूप से पतंगा अपनी दैहिक कैद के कारण आकृष्ट होता है! आओ इस कैद से मुक्त हो! आत्मिक शांति के संसार में मिले!</p>
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<p>छोड़ कफ़स-ए-शम्मा-परवाना...</p>
<p>दुनिया-ए-रू में आ देख क्या आराम है।</p>
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<p>भावार्थ- जिस तरह आग की ओर स्वाभाविक रूप से पतंगा अपनी दैहिक कैद के कारण आकृष्ट होता है! आओ इस कैद से मुक्त हो! आत्मिक शांति के संसार में मिले!</p>
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<p></p> ए-हुस्न-जाना = ए मेरी हुस्न र…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-22:5170231:Comment:6336552015-03-22T18:02:17.607ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://www.openbooksonline.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>ए-हुस्न-जाना = ए मेरी हुस्न रुपी प्रेमिका</p>
<p>दुनिया-ए-रू = आत्मिक संसार या आत्मिक शांति की दुनिया</p>
<p></p>
<p>कफ़स-ए-शम्मा-परवाना= जिस तरह आग की ओर स्वाभाविक रूप से पतंगा अपनी दैहिक कैद के कारण आकृष्ट होता है! आओ इस कैद से मुक्त हो! आत्मिक शांति के संसार में मिले!</p>
<p>ए-हुस्न-जाना = ए मेरी हुस्न रुपी प्रेमिका</p>
<p>दुनिया-ए-रू = आत्मिक संसार या आत्मिक शांति की दुनिया</p>
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<p>कफ़स-ए-शम्मा-परवाना= जिस तरह आग की ओर स्वाभाविक रूप से पतंगा अपनी दैहिक कैद के कारण आकृष्ट होता है! आओ इस कैद से मुक्त हो! आत्मिक शांति के संसार में मिले!</p> किसी के द्वारा पैदा किये गये…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-22:5170231:Comment:6337172015-03-22T03:44:58.404Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>किसी के द्वारा पैदा किये गये हालात-ए-तग़ाफुल के निमित्त भाव बढ़िया हैं रचना में .किन्तु मुझे भी मिथिलेश जी के प्रश्नों के उत्तर का इन्तजार है ताकि हमारा भी कुछ ज्ञान वर्धन हो सके|शुभ-शुभ </p>
<p>किसी के द्वारा पैदा किये गये हालात-ए-तग़ाफुल के निमित्त भाव बढ़िया हैं रचना में .किन्तु मुझे भी मिथिलेश जी के प्रश्नों के उत्तर का इन्तजार है ताकि हमारा भी कुछ ज्ञान वर्धन हो सके|शुभ-शुभ </p>