Comments - ग़ज़ल - घी डालना होगा................ (मिथिलेश वामनकर) - Open Books Online2024-03-29T07:16:10Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A631649&xn_auth=noआदरणीया निधि जी ग़ज़ल की सराहना…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-19:5170231:Comment:6323312015-03-19T15:15:43.870Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीया निधि जी ग़ज़ल की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.</p>
<p>आदरणीय निर्मल भाई जी के सुझाव में मतले को शब्दशः स्वीकार कर लिया यानी मुफ़्लिस के स्थान पर ग़रीबों लेकर भर्ती का शब्द हटा दिया. और लिंग दोष को इस प्रकार ठीक किया है- <span>मगर बच्चा ये बिगड़ा है, संभलकर पालना होगा। </span></p>
<p>सादर </p>
<p>आदरणीया निधि जी ग़ज़ल की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.</p>
<p>आदरणीय निर्मल भाई जी के सुझाव में मतले को शब्दशः स्वीकार कर लिया यानी मुफ़्लिस के स्थान पर ग़रीबों लेकर भर्ती का शब्द हटा दिया. और लिंग दोष को इस प्रकार ठीक किया है- <span>मगर बच्चा ये बिगड़ा है, संभलकर पालना होगा। </span></p>
<p>सादर </p> आदरणीय मिथिलेश जी बहुत उम्दा…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-19:5170231:Comment:6322022015-03-19T13:22:54.019ZNidhi Agrawalhttp://www.openbooksonline.com/profile/MamtaAgrawalNidhi
<p>आदरणीय मिथिलेश जी बहुत उम्दा ख़याल पिरोये हैं आपने ग़ज़ल में ... एक एक युग्म बेमिसाल है </p>
<p>बधाई एवं दाद कुबूल कीजिये </p>
<p></p>
<p>आदरणीय निर्मल जी की बात से कुछ कुछ सहमत हूँ ..</p>
<p></p>
<p>आदरणीय मिथिलेश जी बहुत उम्दा ख़याल पिरोये हैं आपने ग़ज़ल में ... एक एक युग्म बेमिसाल है </p>
<p>बधाई एवं दाद कुबूल कीजिये </p>
<p></p>
<p>आदरणीय निर्मल जी की बात से कुछ कुछ सहमत हूँ ..</p>
<p></p> आदरणीय निर्मल भाई जी मतला में…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-19:5170231:Comment:6321832015-03-19T06:06:38.371Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
आदरणीय निर्मल भाई जी मतला में का शब्द भर्ती का लग रहा है, सही कहा। मतले में आपका सुझाव स्वीकार है।<br />
दूसरे मिसरें को यूं कह सकते है जिससे लिंग दोष दूर हो जाए-<br />
मगर बच्चा ये बिगड़ा है, संभलकर पालना होगा।<br />
ग़ज़ल की सराहना, सकारात्मक प्रतिक्रिया और अमूल्य सलाह के लिए हार्दिक आभार।
आदरणीय निर्मल भाई जी मतला में का शब्द भर्ती का लग रहा है, सही कहा। मतले में आपका सुझाव स्वीकार है।<br />
दूसरे मिसरें को यूं कह सकते है जिससे लिंग दोष दूर हो जाए-<br />
मगर बच्चा ये बिगड़ा है, संभलकर पालना होगा।<br />
ग़ज़ल की सराहना, सकारात्मक प्रतिक्रिया और अमूल्य सलाह के लिए हार्दिक आभार। बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है भाई वाह…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-19:5170231:Comment:6321752015-03-19T05:43:08.257ZNirmal Nadeemhttp://www.openbooksonline.com/profile/NirmalNadeem
<p>बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है भाई वाह वाह बहुत बहुत खूबसूरत</p>
<p>मुबारक हो</p>
<p>दो मिसरों पर आपका ध्यान चाहूँगा।</p>
<p>१. हिदायत से जहाँ मुफ़लिस के आने का मना होगा।</p>
<p>इसको देखा जाय तो आपकी बात लिए आपने मिसरे को खींचा है। इस मिसरे में का शब्द भर्ती का हो गया है। यूँ भी आपकी बात पूरी हो रही है <br></br>हिदायत से जहां मुफ़लिस का आना मना होगा।</p>
<p>लेकिन ये बहर में नही हुआ इसलिए ये ग़ज़ल में नहीं लिया जा सकता , तो इसमें कुछ परिवर्तन इस तरह किया सकता है -</p>
<p>हिदायत से ग़रीबों का जहाँ आना मना…</p>
<p>बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है भाई वाह वाह बहुत बहुत खूबसूरत</p>
<p>मुबारक हो</p>
<p>दो मिसरों पर आपका ध्यान चाहूँगा।</p>
<p>१. हिदायत से जहाँ मुफ़लिस के आने का मना होगा।</p>
<p>इसको देखा जाय तो आपकी बात लिए आपने मिसरे को खींचा है। इस मिसरे में का शब्द भर्ती का हो गया है। यूँ भी आपकी बात पूरी हो रही है <br/>हिदायत से जहां मुफ़लिस का आना मना होगा।</p>
<p>लेकिन ये बहर में नही हुआ इसलिए ये ग़ज़ल में नहीं लिया जा सकता , तो इसमें कुछ परिवर्तन इस तरह किया सकता है -</p>
<p>हिदायत से ग़रीबों का जहाँ आना मना होगा।</p>
<p>मेरे हिसाब से अब ये मिसरा ठीक हुआ।</p>
<p>२. मगर औलाद ये बिगड़ी, संभलकर पालना होगा।</p>
<p>इस मिसरे में औलाद और पालना होगा , मेरे हिसाब से लिंग बदल रहा है। औलाद पाली जाती है , बच्चा पाला जाता है।</p>
<p>इसलिए इसको भी थोड़ा परिवर्तित करके ठीक कर लें। शुक्रिया</p> संशोधन के बाद ग़ज़ल सादर प्रस्त…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-19:5170231:Comment:6319862015-03-19T03:42:42.799Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
संशोधन के बाद ग़ज़ल सादर प्रस्तुत।
संशोधन के बाद ग़ज़ल सादर प्रस्तुत। आदरणीया वंदना जी ग़ज़ल पर सराहन…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-19:5170231:Comment:6321642015-03-19T00:20:52.561Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीया वंदना जी ग़ज़ल पर सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार </p>
<p>आदरणीया वंदना जी ग़ज़ल पर सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार </p> आदरणीय सौरभ सर, प्रयास पर गरि…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-19:5170231:Comment:6319842015-03-19T00:19:55.331Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय सौरभ सर, प्रयास पर गरिमामय उपस्थिति के लिए हार्दिक आभार. नमन </p>
<p>आदरणीय सौरभ सर, प्रयास पर गरिमामय उपस्थिति के लिए हार्दिक आभार. नमन </p> आदरणीया राजेश दीदी, ग़ज़ल की सर…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-19:5170231:Comment:6319832015-03-19T00:18:31.193Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीया राजेश दीदी, ग़ज़ल की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. ग़ज़ल का मतला सुधार चाहता है, आपके मार्गदर्शनानुसार सुधार करता हूँ . मार्गदर्शन के लिए हृदय से आभारी हूँ. सादर नमन </p>
<p>आदरणीया राजेश दीदी, ग़ज़ल की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. ग़ज़ल का मतला सुधार चाहता है, आपके मार्गदर्शनानुसार सुधार करता हूँ . मार्गदर्शन के लिए हृदय से आभारी हूँ. सादर नमन </p>
हमारे नाम की रोटी बटी किसको…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-18:5170231:Comment:6321622015-03-18T23:30:32.517Zvandanahttp://www.openbooksonline.com/profile/vandana956
<p> </p>
<p>हमारे नाम की रोटी बटी किसको पता साहिब</p>
<p>कि अगली रोटियां कब तक मिलेगी पूछना होगा।</p>
<p> </p>
<p>किसी ने दूर से पत्थर उछाला सूर्य पर, लेकिन</p>
<p>सितारों ने खबर क्यों की ये मसला जांचना होगा।</p>
<p></p>
<p>बहुत बढ़िया आदरणीय मिथिलेश जी </p>
<p> </p>
<p>हमारे नाम की रोटी बटी किसको पता साहिब</p>
<p>कि अगली रोटियां कब तक मिलेगी पूछना होगा।</p>
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<p>किसी ने दूर से पत्थर उछाला सूर्य पर, लेकिन</p>
<p>सितारों ने खबर क्यों की ये मसला जांचना होगा।</p>
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<p>बहुत बढ़िया आदरणीय मिथिलेश जी </p> सुधीजनों के कहे का सम्मान करत…tag:www.openbooksonline.com,2015-03-18:5170231:Comment:6322452015-03-18T16:29:27.886ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>सुधीजनों के कहे का सम्मान करते हुए आपके प्रयास पर हृदयतल से शुभकामनाएँ ..</p>
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<p>सुधीजनों के कहे का सम्मान करते हुए आपके प्रयास पर हृदयतल से शुभकामनाएँ ..</p>
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