Comments - धारावाहिक गजल भाग -1 ( लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ) - Open Books Online2024-03-28T18:33:13Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A615535&xn_auth=noआज मैं अनमोल हूँ बेमोल बिक कर…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-12:5170231:Comment:6164142015-02-12T04:28:57.359Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p><span>आज मैं अनमोल हूँ बेमोल बिक कर</span><br/><span>व्यर्थ अब बाजार जो कीमत लगाए-----बहुत खूब उम्दा </span><br/><span><span>हर तरफ बरसात थी जब आसुओं की</span><br/><span>मुश्किलों से भीगते आँचल सुखाए ----वाह्ह्ह्ह </span><br/><span><br/></span></span></p>
<p>बढ़िया ग़ज़ल कही है लक्ष्मण भैय्या बहुत- बहुत बधाई. </p>
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<p><span>आज मैं अनमोल हूँ बेमोल बिक कर</span><br/><span>व्यर्थ अब बाजार जो कीमत लगाए-----बहुत खूब उम्दा </span><br/><span><span>हर तरफ बरसात थी जब आसुओं की</span><br/><span>मुश्किलों से भीगते आँचल सुखाए ----वाह्ह्ह्ह </span><br/><span><br/></span></span></p>
<p>बढ़िया ग़ज़ल कही है लक्ष्मण भैय्या बहुत- बहुत बधाई. </p>
<p></p> हर तरफ बरसात थी जब आसुओं कीमु…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-11:5170231:Comment:6160962015-02-11T19:01:53.910Zkhursheed khairadihttp://www.openbooksonline.com/profile/khursheedkhairadi
<p><span>हर तरफ बरसात थी जब आसुओं की</span><br/><span>मुश्किलों से भीगते आँचल सुखाए /10</span><br/><span>******</span><br/><span>हो गया अब छाँव में साकार सपना</span><br/><span>सूर्य से बोलो अधिक मत तमतमाए /11</span></p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण साहब उम्दा ग़ज़ल हुई है |सादर अभिनन्दन |</p>
<p><span>हर तरफ बरसात थी जब आसुओं की</span><br/><span>मुश्किलों से भीगते आँचल सुखाए /10</span><br/><span>******</span><br/><span>हो गया अब छाँव में साकार सपना</span><br/><span>सूर्य से बोलो अधिक मत तमतमाए /11</span></p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण साहब उम्दा ग़ज़ल हुई है |सादर अभिनन्दन |</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-11:5170231:Comment:6161612015-02-11T14:37:36.058ZHari Prakash Dubeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/HariPrakashDubey
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहब</p>
<p>/डूबता हो सूर्य तो अब डूब जाए</p>
<p>मत कहो तुम रोशनी से पास आए/ शानदार....बधाई शानदार !</p>
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<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहब</p>
<p>/डूबता हो सूर्य तो अब डूब जाए</p>
<p>मत कहो तुम रोशनी से पास आए/ शानदार....बधाई शानदार !</p>
<p> </p> आदरणीय धामी जी
सुन्दर रचना i…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-11:5170231:Comment:6161542015-02-11T08:11:37.733Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>आदरणीय धामी जी</p>
<p>सुन्दर रचना i सादर i</p>
<p>आदरणीय धामी जी</p>
<p>सुन्दर रचना i सादर i</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी सर जी सुन…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-09:5170231:Comment:6158262015-02-09T18:24:39.948Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी सर जी सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी सर जी सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.</p> कुछ-कुछ दुष्यंत कुमार की गजलो…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-09:5170231:Comment:6158122015-02-09T17:03:06.563Zsomesh kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/someshkuar
<p>कुछ-कुछ दुष्यंत कुमार की गजलों वाला अंदाज़ लग रहा है |बधाई </p>
<p>कुछ-कुछ दुष्यंत कुमार की गजलों वाला अंदाज़ लग रहा है |बधाई </p> जनाब,लक्ष्मण धामी जी,आदाब,सुन…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-08:5170231:Comment:6157562015-02-08T17:10:26.378ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
जनाब,लक्ष्मण धामी जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें |
जनाब,लक्ष्मण धामी जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें |