Comments - रेलवे पुलिस (लघुकथा ) - Open Books Online2024-03-29T15:14:22Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A608162&xn_auth=noअच्छी लघुकथा है आदरणीय. शुभका…tag:www.openbooksonline.com,2015-02-03:5170231:Comment:6138612015-02-03T11:00:01.727Zsharadindu mukerjihttp://www.openbooksonline.com/profile/sharadindumukerji
अच्छी लघुकथा है आदरणीय. शुभकामनाएँ.
अच्छी लघुकथा है आदरणीय. शुभकामनाएँ. आदरणीय , लघुकथा का अच्छा प्रय…tag:www.openbooksonline.com,2015-01-21:5170231:Comment:6090092015-01-21T05:11:44.627Zगिरिराज भंडारीhttp://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय , लघुकथा का अच्छा प्रयास हुआ है । आ. योगराज भाई की बात से सहमत हूँ , ज़हरखोर का अर्थ , ज़हर खाने वाला , मे रे खयाल से ज़हरखुरानियों कहना चाहिये था , क्योंकि ज़हर खुरानी का अर्थ ज़हर खिलाने की घटना होता है ।</p>
<p>आदरणीय , लघुकथा का अच्छा प्रयास हुआ है । आ. योगराज भाई की बात से सहमत हूँ , ज़हरखोर का अर्थ , ज़हर खाने वाला , मे रे खयाल से ज़हरखुरानियों कहना चाहिये था , क्योंकि ज़हर खुरानी का अर्थ ज़हर खिलाने की घटना होता है ।</p> बढ़िया प्रयास आदरणीय tag:www.openbooksonline.com,2015-01-21:5170231:Comment:6086952015-01-21T00:44:15.011Zvandanahttp://www.openbooksonline.com/profile/vandana956
<p> बढ़िया प्रयास आदरणीय </p>
<p> बढ़िया प्रयास आदरणीय </p> बहुत बढ़िया लघु कथा एक और भ्रष…tag:www.openbooksonline.com,2015-01-20:5170231:Comment:6086662015-01-20T15:26:07.091Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>बहुत बढ़िया लघु कथा एक और भ्रष्टाचार की परते खोलती हुई ,बहुत बहुत बधाई महर्षि त्रिपाठी जी. </p>
<p>बहुत बढ़िया लघु कथा एक और भ्रष्टाचार की परते खोलती हुई ,बहुत बहुत बधाई महर्षि त्रिपाठी जी. </p> तन्त्र -तन्त्र में भ्रस्टाचार…tag:www.openbooksonline.com,2015-01-20:5170231:Comment:6086572015-01-20T14:38:15.907Zsomesh kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/someshkuar
<p>तन्त्र -तन्त्र में भ्रस्टाचार |सुंदर अभिव्यक्ति </p>
<p>तन्त्र -तन्त्र में भ्रस्टाचार |सुंदर अभिव्यक्ति </p> आदरणीय योगराज सर ने सही कहा ,…tag:www.openbooksonline.com,2015-01-20:5170231:Comment:6084752015-01-20T13:47:45.140ZHari Prakash Dubeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/HariPrakashDubey
<p>आदरणीय योगराज सर ने सही कहा , दरअसल "जहरखुरानी" सही शब्द है ..और ये पूरा गिरोह है ! सादर </p>
<p>आदरणीय योगराज सर ने सही कहा , दरअसल "जहरखुरानी" सही शब्द है ..और ये पूरा गिरोह है ! सादर </p> आपकी लघुकथा के सन्दर्भ में ज़ह…tag:www.openbooksonline.com,2015-01-20:5170231:Comment:6086442015-01-20T13:35:50.596Zयोगराज प्रभाकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/YograjPrabhakar
<p>आपकी लघुकथा के सन्दर्भ में ज़हरखोर शब्द सही नहीं है भाई महर्षि त्रिपाठी जी। ज़हरखोर का अर्थ होता है ज़हर खाने वाले।</p>
<p>आपकी लघुकथा के सन्दर्भ में ज़हरखोर शब्द सही नहीं है भाई महर्षि त्रिपाठी जी। ज़हरखोर का अर्थ होता है ज़हर खाने वाले।</p> आ.महर्षि जी , आपने आज की संवे…tag:www.openbooksonline.com,2015-01-20:5170231:Comment:6085812015-01-20T13:32:35.275Zkanta royhttp://www.openbooksonline.com/profile/kantaroy
आ.महर्षि जी , आपने आज की संवेदन विहीन पुलिस तंत्र का बहुत खूब चित्रण किया है । आभार
आ.महर्षि जी , आपने आज की संवेदन विहीन पुलिस तंत्र का बहुत खूब चित्रण किया है । आभार आ. बागी जी ,,मुझे लगा कि शीर्…tag:www.openbooksonline.com,2015-01-20:5170231:Comment:6086292015-01-20T11:12:01.360Zmaharshi tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/maharshitripathi815
<p>आ. बागी जी ,,मुझे लगा कि शीर्षक सही पर आपकी बात सही है ,,,,मार्गदर्शन हेतु शुक्रिया |</p>
<p>आगे से ध्यान रखूँगा | बधाई हेतु शुक्रिया |</p>
<p>आ. बागी जी ,,मुझे लगा कि शीर्षक सही पर आपकी बात सही है ,,,,मार्गदर्शन हेतु शुक्रिया |</p>
<p>आगे से ध्यान रखूँगा | बधाई हेतु शुक्रिया |</p> आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवा…tag:www.openbooksonline.com,2015-01-20:5170231:Comment:6085622015-01-20T10:15:16.080ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, आपने बिलकुल सही सुझाव दिया है, मुझे भी जो जो बातें खटक रहीं थी वो सब आपने दूर कर दिया, एक बात और मैं कहना चाहूँगा .....शीर्षक सही नहीं है इसे "शिकार अपना अपना" या केवल "शिकार" करना सही होगा.</p>
<p>इस लघुकथा हेतु बहुत बहुत बधाई प्रिय महर्षि जी.</p>
<p>आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, आपने बिलकुल सही सुझाव दिया है, मुझे भी जो जो बातें खटक रहीं थी वो सब आपने दूर कर दिया, एक बात और मैं कहना चाहूँगा .....शीर्षक सही नहीं है इसे "शिकार अपना अपना" या केवल "शिकार" करना सही होगा.</p>
<p>इस लघुकथा हेतु बहुत बहुत बधाई प्रिय महर्षि जी.</p>