Comments - तेरी किताब का तो दिल धड़क रहा होगा (ग़ज़ल) - Open Books Online2024-03-28T12:20:38Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A578048&xn_auth=noबहुत सुन्दर i लाजवाब i हार्द…tag:www.openbooksonline.com,2014-10-01:5170231:Comment:5788582014-10-01T14:03:52.454Zरमेश कुमार चौहानhttp://www.openbooksonline.com/profile/Rameshkumarchauhan
<p>बहुत सुन्दर i लाजवाब i हार्दिक बधाई आदरणीय</p>
<p>बहुत सुन्दर i लाजवाब i हार्दिक बधाई आदरणीय</p> गुलाबी ख़ुशबुओं की बूँदें बादल…tag:www.openbooksonline.com,2014-09-30:5170231:Comment:5785992014-09-30T11:34:44.294ZMAHIMA SHREEhttp://www.openbooksonline.com/profile/MAHIMASHREE
<p>गुलाबी ख़ुशबुओं की बूँदें बादलों की नहीं</p>
<p>वो छत से गीला दुपट्टा लटक रहा होगा....वाह कमाल की ग़ज़ल कही है ..हार्दिक बधाई आपको </p>
<p>गुलाबी ख़ुशबुओं की बूँदें बादलों की नहीं</p>
<p>वो छत से गीला दुपट्टा लटक रहा होगा....वाह कमाल की ग़ज़ल कही है ..हार्दिक बधाई आपको </p> बेहद खूबसूरत ग़ज़ल...... हर शेर…tag:www.openbooksonline.com,2014-09-29:5170231:Comment:5786392014-09-29T17:58:58.175Zseema agrawalhttp://www.openbooksonline.com/profile/seemaagrawal8
<p>बेहद खूबसूरत ग़ज़ल...... हर शेर लाजवाब ...हर ख्याल नया ........</p>
<p></p>
<p>मैं कैसे मान लूँ है चाँद सी भी शै 'ताबिश'</p>
<p>सियाह शाल में कंगन चमक रहा होगा</p>
<p></p>
<p>सफ़र अँधेरों का है, फिर भी इक दिलासा है</p>
<p>कोई चराग़ मेरी राह तक रहा होगा.................ज़रूर ...आप खुद ही चमकते हुए राह दिखाने वाले चराग़ होंगे एक दिन </p>
<p></p>
<p><strong>लिखा है शेर मेरा दरमियानी सफ़हे पर</strong></p>
<p><strong>तेरी किताब का तो दिल धड़क रहा होगा</strong></p>
<p></p>
<p><strong>गुलाबी ख़ुशबुओं की…</strong></p>
<p>बेहद खूबसूरत ग़ज़ल...... हर शेर लाजवाब ...हर ख्याल नया ........</p>
<p></p>
<p>मैं कैसे मान लूँ है चाँद सी भी शै 'ताबिश'</p>
<p>सियाह शाल में कंगन चमक रहा होगा</p>
<p></p>
<p>सफ़र अँधेरों का है, फिर भी इक दिलासा है</p>
<p>कोई चराग़ मेरी राह तक रहा होगा.................ज़रूर ...आप खुद ही चमकते हुए राह दिखाने वाले चराग़ होंगे एक दिन </p>
<p></p>
<p><strong>लिखा है शेर मेरा दरमियानी सफ़हे पर</strong></p>
<p><strong>तेरी किताब का तो दिल धड़क रहा होगा</strong></p>
<p></p>
<p><strong>गुलाबी ख़ुशबुओं की बूँदें बादलों की नहीं</strong></p>
<p><strong>वो छत से गीला दुपट्टा लटक रहा होगा............इन दोनों शेर में जो मासूमियत और नयापन है उसके लिये आप को दिल से मुबारकबाद ..........सलामत रहें और ऐसी ही अनगिनत गज़लें आपकी जानिब से पढ़ने को मिलती रहें </strong></p>
<p></p>
<p><b> </b></p> दानिश जी ..ग़ज़ल की जिनती भी ता…tag:www.openbooksonline.com,2014-09-29:5170231:Comment:5784012014-09-29T05:43:48.331ZDr Ashutosh Mishrahttp://www.openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>दानिश जी ..ग़ज़ल की जिनती भी तारीफ़ की जाए कम है ..लेकिन आदरणीया राज जी के मशविरे में मैं अपना एक निवेदन जोड़ना चाहता हूँ कृपया उर्दू के तमाम शब्दों की बजह से कभी समझने में असुबिधा होती है मेहरवानी होगी यदि उर्दू शब्दों का अर्थ भी आप लिख दें तो हम जैसे सीखने वाले समझ भी लें और उर्दू के नए शब्दों को सीख भी लें ..एक बार पुनः ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ सादर </p>
<p>दानिश जी ..ग़ज़ल की जिनती भी तारीफ़ की जाए कम है ..लेकिन आदरणीया राज जी के मशविरे में मैं अपना एक निवेदन जोड़ना चाहता हूँ कृपया उर्दू के तमाम शब्दों की बजह से कभी समझने में असुबिधा होती है मेहरवानी होगी यदि उर्दू शब्दों का अर्थ भी आप लिख दें तो हम जैसे सीखने वाले समझ भी लें और उर्दू के नए शब्दों को सीख भी लें ..एक बार पुनः ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ सादर </p> लिखा है शेर मेरा दरमियानी सफ़ह…tag:www.openbooksonline.com,2014-09-28:5170231:Comment:5785072014-09-28T13:20:07.843Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>लिखा है शेर मेरा दरमियानी सफ़हे पर</p>
<p>तेरी किताब का तो दिल धड़क रहा होगा----लाजबाब </p>
<p>किसी एक शेर की क्या कहूँ हर शेर शानदार है दानिश जी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है ,एक गुजारिश है आपसे जैसे कि सीखने सिखाने की द्रष्टि से ओबिओ पर पोस्ट करते समय बह्र भी लिखी जाती है वो लिख देते तो हम जैसे सीखने वालों के लिए आसान हो जाता </p>
<p>खैर बहरहाल आप दाद कबूलें इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए |</p>
<p>लिखा है शेर मेरा दरमियानी सफ़हे पर</p>
<p>तेरी किताब का तो दिल धड़क रहा होगा----लाजबाब </p>
<p>किसी एक शेर की क्या कहूँ हर शेर शानदार है दानिश जी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है ,एक गुजारिश है आपसे जैसे कि सीखने सिखाने की द्रष्टि से ओबिओ पर पोस्ट करते समय बह्र भी लिखी जाती है वो लिख देते तो हम जैसे सीखने वालों के लिए आसान हो जाता </p>
<p>खैर बहरहाल आप दाद कबूलें इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए |</p> बहुत सुन्दर i लाजवाब itag:www.openbooksonline.com,2014-09-28:5170231:Comment:5781852014-09-28T07:18:28.040Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>बहुत सुन्दर i लाजवाब i</p>
<p>बहुत सुन्दर i लाजवाब i</p> लिखा है शेर मेरा दरमियानी सफ़ह…tag:www.openbooksonline.com,2014-09-28:5170231:Comment:5781002014-09-28T05:19:32.400ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
लिखा है शेर मेरा दरमियानी सफ़हे पर<br />
तेरी किताब का तो दिल धड़क रहा होगा<br />
गुलाबी ख़ुशबुओं की बूँदें बादलों की नहीं<br />
वो छत से गीला दुपट्टा लटक रहा होगा<br />
मैं कैसे मान लूँ है चाँद सी भी शै 'ताबिश'<br />
सियाह शाल में कंगन चमक रहा होगा<br />
बहुत खूब , बहुत खूब जनाब जुबैर अली ' ताबिश ' जी , बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल के लिए .
लिखा है शेर मेरा दरमियानी सफ़हे पर<br />
तेरी किताब का तो दिल धड़क रहा होगा<br />
गुलाबी ख़ुशबुओं की बूँदें बादलों की नहीं<br />
वो छत से गीला दुपट्टा लटक रहा होगा<br />
मैं कैसे मान लूँ है चाँद सी भी शै 'ताबिश'<br />
सियाह शाल में कंगन चमक रहा होगा<br />
बहुत खूब , बहुत खूब जनाब जुबैर अली ' ताबिश ' जी , बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल के लिए .