Comments - आज रिश्ते क्यों सभी को - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T13:33:33Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A555195&xn_auth=noआ० भाई गिरिराज जी ग़ज़ल के अनुम…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-05:5170231:Comment:5558442014-07-05T04:54:55.848Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ० भाई गिरिराज जी ग़ज़ल के अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार l</p>
<p>आ० भाई गिरिराज जी ग़ज़ल के अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार l</p> आ० भाई जीतेन्द्र जी , उत्साहव…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-05:5170231:Comment:5559172014-07-05T04:54:03.283Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ० भाई जीतेन्द्र जी , उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद l</p>
<p>आ० भाई जीतेन्द्र जी , उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद l</p> आदरणीय , उम्दा गज़ल के लिये आप…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-05:5170231:Comment:5557272014-07-05T02:17:44.809Zगिरिराज भंडारीhttp://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
आदरणीय , उम्दा गज़ल के लिये आपको बधाई ॥
आदरणीय , उम्दा गज़ल के लिये आपको बधाई ॥ कल तलक जिनकी गली भी कर रही ना…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-04:5170231:Comment:5554642014-07-04T07:46:05.480Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://www.openbooksonline.com/profile/JitendraPastariya
<p>कल तलक जिनकी गली भी कर रही नासाज थी</p>
<p>आज क्यों कर वो तुम्हारे दिल के ख्वाजा हो गये...........बहुत खूब, क्या गजब का शेर हुआ है</p>
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<p>आदरणीय लक्ष्मण जी, आपको हार्दिक बधाई</p>
<p>कल तलक जिनकी गली भी कर रही नासाज थी</p>
<p>आज क्यों कर वो तुम्हारे दिल के ख्वाजा हो गये...........बहुत खूब, क्या गजब का शेर हुआ है</p>
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<p>आदरणीय लक्ष्मण जी, आपको हार्दिक बधाई</p> आ० मंजरी जी रचना का अनुमोदन क…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-04:5170231:Comment:5553752014-07-04T05:52:14.658Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ० मंजरी जी रचना का अनुमोदन कर उत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक धन्यवाद l</p>
<p>आ० मंजरी जी रचना का अनुमोदन कर उत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक धन्यवाद l</p> आ० भाई गोपाल नारायण जी , यह त…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-04:5170231:Comment:5555702014-07-04T05:51:03.151Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ० भाई गोपाल नारायण जी , यह तो आपका बड़प्पन है जो रचनाओं को इतना <span id="7_TRN_j">मान दे रहे हैं l अभी तो लेखनी को बहुत ही सुधार की जरुरत है l ओ बी ओ परिवार का <span id="7_TRN_1a">स्नेहाशीष</span> मिलता रहा तो उसमे जरूर सुधार कर पाउँगा l स्नेहाशिस बनाये रखें l </span></p>
<p>आ० भाई गोपाल नारायण जी , यह तो आपका बड़प्पन है जो रचनाओं को इतना <span id="7_TRN_j">मान दे रहे हैं l अभी तो लेखनी को बहुत ही सुधार की जरुरत है l ओ बी ओ परिवार का <span id="7_TRN_1a">स्नेहाशीष</span> मिलता रहा तो उसमे जरूर सुधार कर पाउँगा l स्नेहाशिस बनाये रखें l </span></p> साथ माँ थी तो दुखों में भी सु…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-03:5170231:Comment:5554382014-07-03T15:04:58.763Zmrs manjari pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/mrsmanjaripandey
साथ माँ थी तो दुखों में भी सुखों की थी झलक<br />
माँ गयी है छोड़ जब से सुख जनाजा हो गये.<br />
<br />
बहुत ही भावपूर्ण आदरणीय लक्ष्मण धामी जी
साथ माँ थी तो दुखों में भी सुखों की थी झलक<br />
माँ गयी है छोड़ जब से सुख जनाजा हो गये.<br />
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बहुत ही भावपूर्ण आदरणीय लक्ष्मण धामी जी धामी जी
आप तो सदाबहार है i…tag:www.openbooksonline.com,2014-07-03:5170231:Comment:5555442014-07-03T13:36:47.313Zडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवhttp://www.openbooksonline.com/profile/GOPALNARAINSRIVASTAVA
<p>धामी जी</p>
<p>आप तो सदाबहार है i क्या गजल और क्या आखिरी शेर -साथ ही</p>
<p>साथ माँ थी तो दुखों में भी सुखों की थी झलक</p>
<p>माँ गयी है छोड़ जब से सुख जनाजा हो गये</p>
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<p>धामी जी</p>
<p>आप तो सदाबहार है i क्या गजल और क्या आखिरी शेर -साथ ही</p>
<p>साथ माँ थी तो दुखों में भी सुखों की थी झलक</p>
<p>माँ गयी है छोड़ जब से सुख जनाजा हो गये</p>
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