Comments - गिड़गिड़ाने से बची कब लाज तेरी द्रोपदी-ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T07:33:44Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A546456&xn_auth=noआदरणीया कल्पना दीदी ,ग़ज़ल की प…tag:www.openbooksonline.com,2014-06-17:5170231:Comment:5495962014-06-17T03:40:08.854Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीया कल्पना दीदी ,ग़ज़ल की प्रशंसा कर उत्साहवर्धन के लिए आभार .</p>
<p>आदरणीया कल्पना दीदी ,ग़ज़ल की प्रशंसा कर उत्साहवर्धन के लिए आभार .</p> बहुत सार्थक गज़ल कही है, हरशेर…tag:www.openbooksonline.com,2014-06-16:5170231:Comment:5492552014-06-16T15:05:29.523Zकल्पना रामानीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0qbqxqnenfmpi
<p>बहुत सार्थक गज़ल कही है, हरशेर प्रभावित करता है। आदरणीय धामी जी, बहुत बहुत बधाई आपको</p>
<p>बहुत सार्थक गज़ल कही है, हरशेर प्रभावित करता है। आदरणीय धामी जी, बहुत बहुत बधाई आपको</p> आदरणीय शकील भाई,जानकारी उपलब्…tag:www.openbooksonline.com,2014-06-12:5170231:Comment:5474992014-06-12T04:15:12.274Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीय शकील भाई,जानकारी उपलब्ध करने के लिए आभार .</p>
<p>आदरणीय शकील भाई,जानकारी उपलब्ध करने के लिए आभार .</p> आदरणीय लक्ष्मण भाई, इकवा दोष…tag:www.openbooksonline.com,2014-06-09:5170231:Comment:5471292014-06-09T09:48:25.881Zशकील समरhttp://www.openbooksonline.com/profile/ShakeelJamshedpuri
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई, इकवा दोष काफिए का एक दोष है। निम्न लिंक पर जाकर आप काफिए के दोष के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं।</p>
<p></p>
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:381238" target="_blank">http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:381238</a></p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई, इकवा दोष काफिए का एक दोष है। निम्न लिंक पर जाकर आप काफिए के दोष के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं।</p>
<p></p>
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:381238" target="_blank">http://www.openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/5170231:Topic:381238</a></p> आदरणीय बहन राजेश जी गजल की प्…tag:www.openbooksonline.com,2014-06-09:5170231:Comment:5468932014-06-09T05:14:09.466Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीय बहन राजेश जी गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद . साथ ही दोष की और इशारा करने के लिए आभार .</p>
<p>आदरणीय बहन राजेश जी गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद . साथ ही दोष की और इशारा करने के लिए आभार .</p> आदरणीया कुंती बहन , ग़ज़ल की प्…tag:www.openbooksonline.com,2014-06-09:5170231:Comment:5468922014-06-09T05:11:12.957Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीया कुंती बहन , ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .</p>
<p>आदरणीया कुंती बहन , ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .</p> आदरणीय भाई विजय निकोर जी , ग़ज़…tag:www.openbooksonline.com,2014-06-09:5170231:Comment:5468912014-06-09T05:09:48.789Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीय भाई विजय निकोर जी , ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार .</p>
<p>आदरणीय भाई विजय निकोर जी , ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार .</p> आदरणीय भाई उमेश कटारा जी, गजल…tag:www.openbooksonline.com,2014-06-09:5170231:Comment:5469592014-06-09T05:06:52.997Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीय भाई उमेश कटारा जी, गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।</p>
<p>आदरणीय भाई उमेश कटारा जी, गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।</p> आदारणीया सविता मिश्रा जी , गज…tag:www.openbooksonline.com,2014-06-09:5170231:Comment:5468902014-06-09T05:06:37.932Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदारणीया सविता मिश्रा जी , गजल की सराहना के लिए हार्दिक आभार ।</p>
<p>आदारणीया सविता मिश्रा जी , गजल की सराहना के लिए हार्दिक आभार ।</p> आदरणीय भाई आषुताष , गजल को अत…tag:www.openbooksonline.com,2014-06-09:5170231:Comment:5471222014-06-09T05:06:10.209Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीय भाई आषुताष , गजल को अत्यधिक मान देने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद । यह आप जैसे सभी सुधीजनों का स्नेह और मार्गदर्शन ही है जो बेहतर लिखने के लिए उत्साहित करता है । आप सभी का स्नेह इसी प्रकार मिलता रहे यही कामना है ....</p>
<p>आदरणीय भाई आषुताष , गजल को अत्यधिक मान देने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद । यह आप जैसे सभी सुधीजनों का स्नेह और मार्गदर्शन ही है जो बेहतर लिखने के लिए उत्साहित करता है । आप सभी का स्नेह इसी प्रकार मिलता रहे यही कामना है ....</p>