Comments - सिखाता रावणों के गुर - ग़ज़ल - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-29T11:37:23Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A522383&xn_auth=nokaafi khubsurat andaz-e-bayan…tag:www.openbooksonline.com,2014-03-31:5170231:Comment:5266202014-03-31T03:02:39.982Zभुवन निस्तेजhttp://www.openbooksonline.com/profile/BHUWANNISTEJ
<p>kaafi khubsurat andaz-e-bayan hai sahab...</p>
<p>kaafi khubsurat andaz-e-bayan hai sahab...</p> बहुत शान्दार कंट्रास्ट निबाहन…tag:www.openbooksonline.com,2014-03-27:5170231:Comment:5244532014-03-27T14:21:06.124ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>बहुत शान्दार कंट्रास्ट निबाहने की कोशिश हुई है, आदरणीय लक्ष्मण भाई. बधाई स्वीकार करें.</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p>
<p>बहुत शान्दार कंट्रास्ट निबाहने की कोशिश हुई है, आदरणीय लक्ष्मण भाई. बधाई स्वीकार करें.</p>
<p>शुभ-शुभ</p>
<p></p> बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है... ये…tag:www.openbooksonline.com,2014-03-26:5170231:Comment:5243292014-03-26T15:57:44.303ZDr.Prachi Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है... ये शैली बहुत पसंद आयी </p>
<p>सभी अशआर पसंद आये </p>
<p></p>
<p>हार्दिक बधाई </p>
<p>बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है... ये शैली बहुत पसंद आयी </p>
<p>सभी अशआर पसंद आये </p>
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<p>हार्दिक बधाई </p> अशआर में जो कंट्रास्ट पैदा कि…tag:www.openbooksonline.com,2014-03-23:5170231:Comment:5234442014-03-23T19:39:42.479Zवीनस केसरीhttp://www.openbooksonline.com/profile/1q1lxk02g9ue6
<p>अशआर में जो कंट्रास्ट पैदा किया गया है लुत्फ़ को कई गुना बढ़ा रहा है ... भी मुझको रदीफ़ अपना कमाल दिखा रही है <br/><br/>हर शेर पर ढेरो दाद</p>
<p>अशआर में जो कंट्रास्ट पैदा किया गया है लुत्फ़ को कई गुना बढ़ा रहा है ... भी मुझको रदीफ़ अपना कमाल दिखा रही है <br/><br/>हर शेर पर ढेरो दाद</p> सुंदर गजल बहुत बधाई आपको । tag:www.openbooksonline.com,2014-03-22:5170231:Comment:5228892014-03-22T19:09:27.796Zannapurna bajpaihttp://www.openbooksonline.com/profile/annapurnabajpai
<p>सुंदर गजल बहुत बधाई आपको । </p>
<p>सुंदर गजल बहुत बधाई आपको । </p> बहुत बढ़िया लक्ष्मण जी बहुत ब…tag:www.openbooksonline.com,2014-03-22:5170231:Comment:5230372014-03-22T08:32:37.017Zशिज्जु "शकूर"http://www.openbooksonline.com/profile/ShijjuS
<p>बहुत बढ़िया लक्ष्मण जी बहुत बहुत बधाई आपको</p>
<p>बहुत बढ़िया लक्ष्मण जी बहुत बहुत बधाई आपको</p> गिरा तो भी समझ मेरी न आयी …tag:www.openbooksonline.com,2014-03-22:5170231:Comment:5229812014-03-22T03:24:58.741Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://www.openbooksonline.com/profile/JitendraPastariya
<p>गिरा तो भी समझ मेरी न आयी शातिरी उसकी<br/> बिठाया पास भी अपने किया बदनाम भी मुझको.............. यह शेर दिल को छू गया</p>
<p></p>
<p>हार्दिक बधाई आपको आदरणीय लक्ष्मण जी</p>
<p>गिरा तो भी समझ मेरी न आयी शातिरी उसकी<br/> बिठाया पास भी अपने किया बदनाम भी मुझको.............. यह शेर दिल को छू गया</p>
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<p>हार्दिक बधाई आपको आदरणीय लक्ष्मण जी</p> बनाना चाहता है क्या ‘मुसाफिर…tag:www.openbooksonline.com,2014-03-22:5170231:Comment:5228462014-03-22T01:38:55.744ZOmprakash Kshatriyahttp://www.openbooksonline.com/profile/OmprakashKshatriya
<p>बनाना चाहता है क्या ‘मुसाफिर ’ मैं न समझा ये<br/> सिखाता रावणों के गुर पुकारे राम भी मुझको............... बढ़िया .................. बधाई .</p>
<p>बनाना चाहता है क्या ‘मुसाफिर ’ मैं न समझा ये<br/> सिखाता रावणों के गुर पुकारे राम भी मुझको............... बढ़िया .................. बधाई .</p> आदरणीय अच्छी गजल के लिए बधाई …tag:www.openbooksonline.com,2014-03-21:5170231:Comment:5229412014-03-21T15:11:34.346ZSarita Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/SaritaBhatia
<p>आदरणीय अच्छी गजल के लिए बधाई </p>
<p>नादिर भाई के कहे का संज्ञान कीजिये </p>
<p>आदरणीय अच्छी गजल के लिए बधाई </p>
<p>नादिर भाई के कहे का संज्ञान कीजिये </p> हसाता चोट देकर भी बड़ा ज…tag:www.openbooksonline.com,2014-03-20:5170231:Comment:5229102014-03-20T16:29:46.447Zनादिर ख़ानhttp://www.openbooksonline.com/profile/Nadir
<p><span>हसाता चोट देकर भी बड़ा जालिम खुदा पाया</span><br/><span>रूला देता न मरने का सुना पैगाम भी मुझको..........??????</span></p>
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<p>आदरणीय लक्ष्मण जी कुछ अस्पष्ट सा लग रहा है </p>
<p><span>हसाता चोट देकर भी बड़ा जालिम खुदा पाया</span><br/><span>रूला देता न मरने का सुना पैगाम भी मुझको..........??????</span></p>
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<p>आदरणीय लक्ष्मण जी कुछ अस्पष्ट सा लग रहा है </p>