Comments - कहो तुम चाँद से इतना (ग़ज़ल ) - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-29T10:03:10Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A503052&xn_auth=noआदरणीय मोहिनी बहन , ग़ज़ल की प्…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-26:5170231:Comment:5043492014-01-26T13:56:06.989Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीय मोहिनी बहन , ग़ज़ल की प्रशंसा कर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद . आप लोगों का स्नेह और मार्गदर्शन ही कुछ सीखने और आगे बढ़ने का अवसर देगा .</p>
<p>आदरणीय मोहिनी बहन , ग़ज़ल की प्रशंसा कर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद . आप लोगों का स्नेह और मार्गदर्शन ही कुछ सीखने और आगे बढ़ने का अवसर देगा .</p> हमारी हद सहन तक ही तुम्हारी ह…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-26:5170231:Comment:5042482014-01-26T09:40:40.585Zmohinichordiahttp://www.openbooksonline.com/profile/mohinichordia
<p>हमारी हद सहन तक ही तुम्हारी हद सजाओं तक ....अन्तिम दो पंक्तियाँ भी ..प्रशंसनीय रचना | बधाई आपको लक्ष्मण धामी जी .</p>
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<p>हमारी हद सहन तक ही तुम्हारी हद सजाओं तक ....अन्तिम दो पंक्तियाँ भी ..प्रशंसनीय रचना | बधाई आपको लक्ष्मण धामी जी .</p>
<p></p> आदरणीय अखिलेश जी , प्रशंसा के…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-26:5170231:Comment:5039632014-01-26T00:20:47.690Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीय अखिलेश जी , प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .</p>
<p>भाग भा कि जगह <span style="text-decoration: underline;">भाग था</span> पढ़ें गलती से टंकण कि त्रुटि रह गयी</p>
<p>आदरणीय अखिलेश जी , प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .</p>
<p>भाग भा कि जगह <span style="text-decoration: underline;">भाग था</span> पढ़ें गलती से टंकण कि त्रुटि रह गयी</p> आदरणीय लक्ष्मण भाई,
मेरी हार्…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-25:5170231:Comment:5037552014-01-25T12:13:40.870Zअखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवhttp://www.openbooksonline.com/profile/1j78r4oio7ulh
<p><span>आदरणीय लक्ष्मण भाई,</span></p>
<p><span>मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।पर ' भाग भा ' का अर्थ समझ नहीं पाया ? ... सादर </span></p>
<p><span>आदरणीय लक्ष्मण भाई,</span></p>
<p><span>मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।पर ' भाग भा ' का अर्थ समझ नहीं पाया ? ... सादर </span></p> आदरणीय भाई अरुण शर्मा जी ग़ज़…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-25:5170231:Comment:5035232014-01-25T00:36:32.161Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीय भाई अरुण शर्मा जी ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद. आप जैसे प्रबुद्ध जनों का मार्गदर्शन मिलता रहे यही आकांक्षा है . पुनः हार्दिक धन्यवाद.</p>
<p>आदरणीय भाई अरुण शर्मा जी ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद. आप जैसे प्रबुद्ध जनों का मार्गदर्शन मिलता रहे यही आकांक्षा है . पुनः हार्दिक धन्यवाद.</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सभी अश…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-24:5170231:Comment:5034152014-01-24T05:52:16.223Zअरुन 'अनन्त'http://www.openbooksonline.com/profile/ArunSharma
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सभी अशआर अच्छे बने हुए है सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने बहुत बहुत बधाई आपको</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सभी अशआर अच्छे बने हुए है सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने बहुत बहुत बधाई आपको</p> आदरणीय भाई गिरिराज जी . ग़ज़ल क…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-24:5170231:Comment:5033222014-01-24T00:14:12.362Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीय भाई गिरिराज जी . ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .मैं आपसे जानना चाहूना की क्या कलापक्ष ठीक है</p>
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<p>आदरणीय भाई गिरिराज जी . ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .मैं आपसे जानना चाहूना की क्या कलापक्ष ठीक है</p>
<p></p> आदरणीय सरिता बहन ग़ज़ल की प्रशं…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-24:5170231:Comment:5033212014-01-24T00:11:15.572Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीय सरिता बहन ग़ज़ल की प्रशंसा क्र उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद .</p>
<p>आदरणीय सरिता बहन ग़ज़ल की प्रशंसा क्र उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद .</p> आदरणीय अरुण भाई ग़ज़ल की सराहना…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-24:5170231:Comment:5034072014-01-24T00:09:15.948Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आदरणीय अरुण भाई ग़ज़ल की सराहना के लिए आभार .</p>
<p>आदरणीय अरुण भाई ग़ज़ल की सराहना के लिए आभार .</p> आदरणीय लक्ष्मण भाई , लाज्वाब…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-23:5170231:Comment:5033082014-01-23T15:20:51.994Zगिरिराज भंडारीhttp://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई , लाज्वाब ग़ज़ल कही है , आदरणीय हार्दिक बधाई स्वीकार करें ॥</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई , लाज्वाब ग़ज़ल कही है , आदरणीय हार्दिक बधाई स्वीकार करें ॥</p>