Comments - ये मासूम सनम मेरा (ग़ज़ल ) - Open Books Online2024-03-29T08:55:48Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A495323&xn_auth=noभाई अरुण जी आपका मसविरा सर आख…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-09:5170231:Comment:4977442014-01-09T03:11:56.239Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>भाई अरुण जी आपका मसविरा सर आखों पर , अभी तो गजल कि दुनिया में जन्म भर लिया है . आप लोगों कि अंगुली पकड़ कर ही चलना आएगा . हार्दिक धन्यवाद .</p>
<p>भाई अरुण जी आपका मसविरा सर आखों पर , अभी तो गजल कि दुनिया में जन्म भर लिया है . आप लोगों कि अंगुली पकड़ कर ही चलना आएगा . हार्दिक धन्यवाद .</p> भाई जी भावपक्ष तो दिल खुश कर…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-03:5170231:Comment:4959252014-01-03T11:46:47.119Zअरुन 'अनन्त'http://www.openbooksonline.com/profile/ArunSharma
<p>भाई जी भावपक्ष तो दिल खुश कर गया लेकिन बह्र में गड़बड़ है उदाहरण के लिए देखिये.</p>
<p>1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 1 2 1 2 2 2</p>
<p>सुबह उसकी महक लेकर , हवा मेला सजाती है,</p>
<p>1 2 2 2 1 2 2 1 1 2 1 2 1 2 2 2 <br></br> उदासी जुल्फ से उसकी , चुरा के शाम लाती है . दोनों में फर्क है यदि लेकर को लेके करेंगे तो सही हो जाएगी. दूसरा देखिये</p>
<p></p>
<p>1 2 2 1 यहीं बडबडी हो गई १२२२ की जगह १२२१ है भाई जी.</p>
<p>वो जब काँपती अंगुली , मेरी लट में फिराती …</p>
<p>भाई जी भावपक्ष तो दिल खुश कर गया लेकिन बह्र में गड़बड़ है उदाहरण के लिए देखिये.</p>
<p>1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 1 2 1 2 2 2</p>
<p>सुबह उसकी महक लेकर , हवा मेला सजाती है,</p>
<p>1 2 2 2 1 2 2 1 1 2 1 2 1 2 2 2 <br/> उदासी जुल्फ से उसकी , चुरा के शाम लाती है . दोनों में फर्क है यदि लेकर को लेके करेंगे तो सही हो जाएगी. दूसरा देखिये</p>
<p></p>
<p>1 2 2 1 यहीं बडबडी हो गई १२२२ की जगह १२२१ है भाई जी.</p>
<p>वो जब काँपती अंगुली , मेरी लट में फिराती है..</p>
<p></p>
<p>सतत प्रयासरत रहें अब मंजिल दूर नहीं.</p> पहली बात आपकी ग़ज़ल तो बहुत ही…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-03:5170231:Comment:4958482014-01-03T11:35:51.118ZNeeraj Nishchalhttp://www.openbooksonline.com/profile/NeerajMishra
<p>पहली बात आपकी ग़ज़ल तो बहुत ही और बहुत ही सुन्दर है <br/> और उस पर ये पंक्ति</p>
<p>ये मासूम सनम मेरा , मेरी बच्ची कहाती है <br/> क्या कहूं बहुत ही उम्दा</p>
<p>पहली बात आपकी ग़ज़ल तो बहुत ही और बहुत ही सुन्दर है <br/> और उस पर ये पंक्ति</p>
<p>ये मासूम सनम मेरा , मेरी बच्ची कहाती है <br/> क्या कहूं बहुत ही उम्दा</p> वो जब काँपती अंगुली , मेरी ल…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-03:5170231:Comment:4957022014-01-03T04:35:35.181Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://www.openbooksonline.com/profile/JitendraPastariya
<p>वो जब काँपती अंगुली , मेरी लट में फिराती है <br/> यादे बूढ़ी माई की , वो फिर से मन जगाती है....यह शेर हृदयस्पर्शी हुआ</p>
<p></p>
<p>अति सुंदर गजल, बधाई स्वीकारें आदरणीय लक्ष्मण जी</p>
<p>वो जब काँपती अंगुली , मेरी लट में फिराती है <br/> यादे बूढ़ी माई की , वो फिर से मन जगाती है....यह शेर हृदयस्पर्शी हुआ</p>
<p></p>
<p>अति सुंदर गजल, बधाई स्वीकारें आदरणीय लक्ष्मण जी</p> वो जब काँपती अंगुली , मेरी…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-02:5170231:Comment:4955532014-01-02T15:41:40.153ZMAHIMA SHREEhttp://www.openbooksonline.com/profile/MAHIMASHREE
<p> <br/><br/>वो जब काँपती अंगुली , मेरी लट में फिराती है <br/>यादे बूढ़ी माई की , वो फिर से मन जगाती है...</p>
<p> </p>
<p>थका होता हूँ जिस दिन मैं, झिड़क देता उसे झट से <br/>वो नादाँ तो झिड़क के भी , चकहती कुलबुलाती है</p>
<p> बेहद प्यारी गज़ल आदरणीय धामी जी .. बहुत हार्दिक बधाईयाँ और शुभकामनायें आपकी बिटिया के लिए /सादर</p>
<p> </p>
<p> </p>
<p> <br/><br/>वो जब काँपती अंगुली , मेरी लट में फिराती है <br/>यादे बूढ़ी माई की , वो फिर से मन जगाती है...</p>
<p> </p>
<p>थका होता हूँ जिस दिन मैं, झिड़क देता उसे झट से <br/>वो नादाँ तो झिड़क के भी , चकहती कुलबुलाती है</p>
<p> बेहद प्यारी गज़ल आदरणीय धामी जी .. बहुत हार्दिक बधाईयाँ और शुभकामनायें आपकी बिटिया के लिए /सादर</p>
<p> </p>
<p> </p> आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत सुन…tag:www.openbooksonline.com,2014-01-02:5170231:Comment:4955062014-01-02T15:40:09.701Zगिरिराज भंडारीhttp://www.openbooksonline.com/profile/girirajbhandari
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत सुन्दर गज़ल कही है भाई , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत सुन्दर गज़ल कही है भाई , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥</p>