Comments - तकलीफ (अरुण कुमार निगम) - Open Books Online2024-03-29T01:47:20Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A445083&xn_auth=noआदरणीय अरुण जी,
अगर पिता अपन…tag:www.openbooksonline.com,2013-10-06:5170231:Comment:4505322013-10-06T12:07:13.545ZShubhranshu Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/ShubhranshuPandey
<p>आदरणीय अरुण जी, </p>
<p>अगर पिता अपनी बात खुल कर पुत्र से ना कह सके तो उसके लिये बस यही बचता है.अगर पुत्र को मेहमान बना दिया तो उनको मेहमान बनने का पूरा अधिकार है...सादर</p>
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<p>आदरणीय अरुण जी, </p>
<p>अगर पिता अपनी बात खुल कर पुत्र से ना कह सके तो उसके लिये बस यही बचता है.अगर पुत्र को मेहमान बना दिया तो उनको मेहमान बनने का पूरा अधिकार है...सादर</p>
<p></p> रोपे पेड़ बबूल का आम कहाँ से…tag:www.openbooksonline.com,2013-10-03:5170231:Comment:4470492013-10-03T08:40:11.899ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
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<p><strong>रोपे पेड़ बबूल का आम कहाँ से होय ?</strong></p>
<p>रिश्तों और भावनाओं को सम्मान देने तथा करीयर को साधने के मध्य संतुलन बनाया जाय.. इस तथ्य को समझाने-सिखाने के स्थान पर करीयर के प्रति आग्रही होने के तोतारटंत से यदि पीढ़ी प्रतिदिन संतृप्त की जाती रहेगी तो फिर वही तोतारटंत समय आने सिर पर टें-टें ही करता दिखेगा.</p>
<p>कथा ने इसी भावपक्ष को सामने किया है, भाईजी.</p>
<p><br></br>अच्छी कथा के लिए हार्दिक बधाइयाँ. <br></br>कथा के शिल्प पर अभी बात नहीं करूँगा, अभी कथा की भावना के साथ बहने का…</p>
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<p><strong>रोपे पेड़ बबूल का आम कहाँ से होय ?</strong></p>
<p>रिश्तों और भावनाओं को सम्मान देने तथा करीयर को साधने के मध्य संतुलन बनाया जाय.. इस तथ्य को समझाने-सिखाने के स्थान पर करीयर के प्रति आग्रही होने के तोतारटंत से यदि पीढ़ी प्रतिदिन संतृप्त की जाती रहेगी तो फिर वही तोतारटंत समय आने सिर पर टें-टें ही करता दिखेगा.</p>
<p>कथा ने इसी भावपक्ष को सामने किया है, भाईजी.</p>
<p><br/>अच्छी कथा के लिए हार्दिक बधाइयाँ. <br/>कथा के शिल्प पर अभी बात नहीं करूँगा, अभी कथा की भावना के साथ बहने का मन कर रहा है. <br/>सादर<br/> </p> आह!! कडुवी सच्चाई को प्रस्तुत…tag:www.openbooksonline.com,2013-10-02:5170231:Comment:4457552013-10-02T04:27:03.992ZSanjay Mishra 'Habib'http://www.openbooksonline.com/profile/SanjayMishraHabib
<p>आह!! कडुवी सच्चाई को प्रस्तुत करती इस सशक्त लघुकथा के लिए सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय अरुण भईया</p>
<p>आह!! कडुवी सच्चाई को प्रस्तुत करती इस सशक्त लघुकथा के लिए सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय अरुण भईया</p> अक्सर माता पिता, अपने बच्चों…tag:www.openbooksonline.com,2013-10-02:5170231:Comment:4458442013-10-02T04:21:05.689Zजितेन्द्र पस्टारियाhttp://www.openbooksonline.com/profile/JitendraPastariya
<p>अक्सर माता पिता, अपने बच्चों की खुशियों की खातिर बहुत सी तकलीफें उठाते है, लेकिन बहुत कम ऐसा होता की बच्चे, माता पिता की ख़ुशी के लिए थोड़ी भी तकलीफ उठा सकें, बहुत ही मर्मस्पर्शी कथा, बधाई स्वीकारें आदरणीय अरुण निगम जी</p>
<p>अक्सर माता पिता, अपने बच्चों की खुशियों की खातिर बहुत सी तकलीफें उठाते है, लेकिन बहुत कम ऐसा होता की बच्चे, माता पिता की ख़ुशी के लिए थोड़ी भी तकलीफ उठा सकें, बहुत ही मर्मस्पर्शी कथा, बधाई स्वीकारें आदरणीय अरुण निगम जी</p> पूँजीवादी माहौल में रहने के ब…tag:www.openbooksonline.com,2013-10-02:5170231:Comment:4456792013-10-02T02:31:18.830Zशिज्जु "शकूर"http://www.openbooksonline.com/profile/ShijjuS
<p>पूँजीवादी माहौल में रहने के बाद हर इंसान अक्सर रिश्तों को भी लाभ हानि के तराजू में तौलने लगता हैl ये सोचने वाली बात है तकलीफ किसको होगी, तकलीफ तो उसी को होगी जिसे सुख सुविधा में रहने की आदत हो गयी है जिसने माता-पिता के प्यार को भुला दिया और अपनेपन के रिश्ते को औपचारिकता ही बना दिया। आदरणीय अरुण सर इस मर्मस्पर्शी लघुकथा के लिये दिली दाद कुबूल करें</p>
<p>पूँजीवादी माहौल में रहने के बाद हर इंसान अक्सर रिश्तों को भी लाभ हानि के तराजू में तौलने लगता हैl ये सोचने वाली बात है तकलीफ किसको होगी, तकलीफ तो उसी को होगी जिसे सुख सुविधा में रहने की आदत हो गयी है जिसने माता-पिता के प्यार को भुला दिया और अपनेपन के रिश्ते को औपचारिकता ही बना दिया। आदरणीय अरुण सर इस मर्मस्पर्शी लघुकथा के लिये दिली दाद कुबूल करें</p> संशोधित....10. आदरणीय डी.पी.म…tag:www.openbooksonline.com,2013-10-01:5170231:Comment:4458142013-10-01T18:24:44.810Zअरुण कुमार निगमhttp://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam
<p>संशोधित....10. आदरणीय डी.पी.माथुर जी, <strong>नि:संदेह</strong>, यह आज के समय की सच्चाई ही है. मेरा सौभाग्य है कि आपके मन को छू सका, हृदय से आभार आदरणीय............</p>
<p>संशोधित....10. आदरणीय डी.पी.माथुर जी, <strong>नि:संदेह</strong>, यह आज के समय की सच्चाई ही है. मेरा सौभाग्य है कि आपके मन को छू सका, हृदय से आभार आदरणीय............</p> 10. आदरणीय डी.पी.माथुर जी, नि…tag:www.openbooksonline.com,2013-10-01:5170231:Comment:4456612013-10-01T18:23:15.944Zअरुण कुमार निगमhttp://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam
<p>10. आदरणीय डी.पी.माथुर जी, नि:संदेश, यह आज के समय की सच्चाई ही है. मेरा सौभाग्य है कि आपके मन को छू सका, हृदय से आभार आदरणीय............</p>
<p>10. आदरणीय डी.पी.माथुर जी, नि:संदेश, यह आज के समय की सच्चाई ही है. मेरा सौभाग्य है कि आपके मन को छू सका, हृदय से आभार आदरणीय............</p> 9. प्रिय श्री अरुण (अनंत) जी,…tag:www.openbooksonline.com,2013-10-01:5170231:Comment:4456602013-10-01T18:18:40.710Zअरुण कुमार निगमhttp://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam
<p>9. प्रिय श्री अरुण (अनंत) जी, मैं सदैव आपके स्नेह से अभिभूत होता रहा हूँ, सच खहूँ तो यही मेरी प्रेरणा का प्रमुख तत्व है, हृदय से आभार.................</p>
<p>9. प्रिय श्री अरुण (अनंत) जी, मैं सदैव आपके स्नेह से अभिभूत होता रहा हूँ, सच खहूँ तो यही मेरी प्रेरणा का प्रमुख तत्व है, हृदय से आभार.................</p> 8. आदरणीय वीनस केसरी जी, किसी…tag:www.openbooksonline.com,2013-10-01:5170231:Comment:4457222013-10-01T18:14:33.690Zअरुण कुमार निगमhttp://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam
<p>8. आदरणीय वीनस केसरी जी, किसी भी रूप में आपको संतुष्ट कर पाना किसी भी कलमकार के लिये सफलता का द्योतक है, मुझे प्रसन्नता हुई कि आपके दिल तक पहुँच पाया. दिल से शुक्रिया..................</p>
<p>8. आदरणीय वीनस केसरी जी, किसी भी रूप में आपको संतुष्ट कर पाना किसी भी कलमकार के लिये सफलता का द्योतक है, मुझे प्रसन्नता हुई कि आपके दिल तक पहुँच पाया. दिल से शुक्रिया..................</p> 7. आदरणीय गिरिराज भंडारी जी,…tag:www.openbooksonline.com,2013-10-01:5170231:Comment:4458112013-10-01T18:10:35.834Zअरुण कुमार निगमhttp://www.openbooksonline.com/profile/arunkumarnigam
<p>7. आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आपका प्रोत्साहन सदैव मुझे सम्बल प्रदान करता है, हृदय से आभार...............</p>
<p>7. आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आपका प्रोत्साहन सदैव मुझे सम्बल प्रदान करता है, हृदय से आभार...............</p>