Comments - पांच दोहे - लक्ष्मण लडीवाला - Open Books Online2024-03-28T23:36:27Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A390356&xn_auth=noहार्दिक आभार स्वीकारे भाई श्र…tag:www.openbooksonline.com,2013-07-06:5170231:Comment:3927152013-07-06T06:25:38.367Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://www.openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>हार्दिक आभार स्वीकारे भाई श्री बृजेश नीरज जी </p>
<p>हार्दिक आभार स्वीकारे भाई श्री बृजेश नीरज जी </p> आदरणीय लाडलीवाल जी बहुत सुन्द…tag:www.openbooksonline.com,2013-07-05:5170231:Comment:3924222013-07-05T12:52:56.189Zबृजेश नीरजhttp://www.openbooksonline.com/profile/BrijeshKumarSingh
<p>आदरणीय लाडलीवाल जी बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!</p>
<p>आदरणीय लाडलीवाल जी बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!</p> आपका हार्दिक आभार आदरणीया राज…tag:www.openbooksonline.com,2013-07-05:5170231:Comment:3924152013-07-05T12:12:55.141Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://www.openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>आपका हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी | सादर </p>
<p></p>
<p>आपका हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी | सादर </p>
<p></p> आदरणीय दिल छू गया प्रथम दोहा…tag:www.openbooksonline.com,2013-07-05:5170231:Comment:3924082013-07-05T11:51:43.712Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p><span>आदरणीय दिल छू गया प्रथम दोहा तो ,बहुत बढ़िया दोहावली वाह </span></p>
<p><span>आदरणीय दिल छू गया प्रथम दोहा तो ,बहुत बढ़िया दोहावली वाह </span></p> आपके कथन से दोहे की सुन्दरता…tag:www.openbooksonline.com,2013-07-05:5170231:Comment:3922332013-07-05T10:32:09.213Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://www.openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>आपके कथन से दोहे की सुन्दरता और बढ़ गयी, हार्दिक आभार आदरणीय श्री विजय निकोरे जी, एवं श्री सुमित नैथानी जी </p>
<p>आपके कथन से दोहे की सुन्दरता और बढ़ गयी, हार्दिक आभार आदरणीय श्री विजय निकोरे जी, एवं श्री सुमित नैथानी जी </p> सुंदर दोहे tag:www.openbooksonline.com,2013-07-05:5170231:Comment:3923072013-07-05T09:15:32.557ZSumit Naithanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SumitNaithani
<p>सुंदर दोहे </p>
<p>सुंदर दोहे </p> इन सुन्दर दोहों के लिए हार्द…tag:www.openbooksonline.com,2013-07-05:5170231:Comment:3920832013-07-05T08:11:11.607Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p></p>
<p>इन सुन्दर दोहों के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण जी।</p>
<p> </p>
<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p>
<p></p>
<p>इन सुन्दर दोहों के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण जी।</p>
<p> </p>
<p>सादर,</p>
<p>विजय निकोर</p> दोहों को सराह सराह कर मनोबल…tag:www.openbooksonline.com,2013-07-05:5170231:Comment:3920752013-07-05T04:58:10.936Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://www.openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p> दोहों को सराह सराह कर मनोबल बढाने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री अशोक रक्ताले साहब </p>
<p></p>
<p>रक्ताले की बात भी, देती रहे सकून,</p>
<p><span>वाणी संयम सांझ में,खिलता रहे प्रसून </span></p>
<p></p>
<p> दोहों को सराह सराह कर मनोबल बढाने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री अशोक रक्ताले साहब </p>
<p></p>
<p>रक्ताले की बात भी, देती रहे सकून,</p>
<p><span>वाणी संयम सांझ में,खिलता रहे प्रसून </span></p>
<p></p> आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर प्रण…tag:www.openbooksonline.com,2013-07-05:5170231:Comment:3921262013-07-05T03:16:33.145ZAshok Kumar Raktalehttp://www.openbooksonline.com/profile/AshokKumarRaktale
<p>आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर प्रणाम, बहुत सुन्दर दोहे, किस दोहे की तारीफ़ करूँ सभी एक से बढकर एक हैं.सादर बधाई स्वीकारें.</p>
<p></p>
<p>वाणी संयम सांझ में, बनता अधिक सहाय |</p>
<p>स्वप्न व्यर्थ के देखकर, मन पाछे पछताय ||</p>
<p>आदरणीय लड़ीवाला साहब सादर प्रणाम, बहुत सुन्दर दोहे, किस दोहे की तारीफ़ करूँ सभी एक से बढकर एक हैं.सादर बधाई स्वीकारें.</p>
<p></p>
<p>वाणी संयम सांझ में, बनता अधिक सहाय |</p>
<p>स्वप्न व्यर्थ के देखकर, मन पाछे पछताय ||</p> अतीत की ही स्मृतियाँ, एकाकी ह…tag:www.openbooksonline.com,2013-07-04:5170231:Comment:3917472013-07-04T12:40:19.468Zलक्ष्मण रामानुज लडीवालाhttp://www.openbooksonline.com/profile/LaxmanPrasadLadiwala
<p>अतीत की ही <span>स्मृतियाँ, एकाकी है भाव </span></p>
<p>शब्दों में पिरो सकते, रचना के वे पाँव |</p>
<p>दोहे पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीया कुंती मुखर्जी | सादर </p>
<p>अतीत की ही <span>स्मृतियाँ, एकाकी है भाव </span></p>
<p>शब्दों में पिरो सकते, रचना के वे पाँव |</p>
<p>दोहे पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीया कुंती मुखर्जी | सादर </p>