Comments - यह तेरी अर्जी है..... - Open Books Online2024-03-28T18:11:02Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A311501&xn_auth=noवाह अमितेष छोटी बहर में शानदा…tag:www.openbooksonline.com,2013-01-30:5170231:Comment:3128602013-01-30T05:52:18.985Zअरुन 'अनन्त'http://www.openbooksonline.com/profile/ArunSharma
<p>वाह अमितेष छोटी बहर में शानदार ग़ज़ल बन पड़ी है दाद कुबूलें.</p>
<p>वाह अमितेष छोटी बहर में शानदार ग़ज़ल बन पड़ी है दाद कुबूलें.</p> सुन्दर ग़ज़ल अमितेष जी, हार्दिक…tag:www.openbooksonline.com,2013-01-30:5170231:Comment:3128552013-01-30T05:08:54.139ZDr.Prachi Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>सुन्दर ग़ज़ल अमितेष जी, हार्दिक दाद क़ुबूल करें इतनी छोटी बहर पर इतना भाव प्रधान व प्रवाहमय लिखने के लिए.</p>
<p><strong>एक बात:</strong> क्या मर्जी दर्जी अर्जी फर्जी खुदगर्जी के साथ बुर्जी लेना सही होगा????</p>
<p>सुन्दर ग़ज़ल अमितेष जी, हार्दिक दाद क़ुबूल करें इतनी छोटी बहर पर इतना भाव प्रधान व प्रवाहमय लिखने के लिए.</p>
<p><strong>एक बात:</strong> क्या मर्जी दर्जी अर्जी फर्जी खुदगर्जी के साथ बुर्जी लेना सही होगा????</p> सिल ही देंगी गम कोसांसे भी दर…tag:www.openbooksonline.com,2013-01-30:5170231:Comment:3127992013-01-30T04:42:34.705Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p>सिल ही देंगी गम को<br/>सांसे भी दर्जी है----<span>बहुत उम्दा शेर ,वैसे पूरी ग़ज़ल ही काबिले तारीफ है </span></p>
<p>सिल ही देंगी गम को<br/>सांसे भी दर्जी है----<span>बहुत उम्दा शेर ,वैसे पूरी ग़ज़ल ही काबिले तारीफ है </span></p> sukriyatag:www.openbooksonline.com,2013-01-28:5170231:Comment:3120862013-01-28T08:32:41.190Zअमि तेषhttp://www.openbooksonline.com/profile/AmiteshJainamiajim
<p>sukriya</p>
<p>sukriya</p> वाह वाह क्या रचना है!tag:www.openbooksonline.com,2013-01-28:5170231:Comment:3123252013-01-28T08:20:53.524Zram shiromani pathakhttp://www.openbooksonline.com/profile/ramshiromanipathak
<p>वाह वाह क्या रचना है!</p>
<p>वाह वाह क्या रचना है!</p> शुक्रिया सीमा जी tag:www.openbooksonline.com,2013-01-27:5170231:Comment:3121182013-01-27T12:29:21.848Zअमि तेषhttp://www.openbooksonline.com/profile/AmiteshJainamiajim
<p>शुक्रिया सीमा जी </p>
<p>शुक्रिया सीमा जी </p> वाह वाह .....इतनी छोटी बहर मे…tag:www.openbooksonline.com,2013-01-27:5170231:Comment:3121122013-01-27T10:35:08.400Zseema agrawalhttp://www.openbooksonline.com/profile/seemaagrawal8
<p>वाह वाह .....इतनी छोटी बहर में बहुत बहाव के साथ गज़ल कही है आपने काफिया भी बहुत रोचक है </p>
<p><span>यह तेरी अर्जी है</span><br></br><span>या फिर खुदगर्जी है</span></p>
<p><span><span>मैं तुम से रूठा हूँ</span><br></br><span>तुहमत ये फर्जी है</span></span></p>
<p><span>.....बात करते हुए शब्द </span></p>
<p><span><span>सिल ही देंगी गम को</span><br></br><span>सांसे भी दर्जी है...वाह कुछ नयापन मिला इस बात में (पर यहाँ <strong>है</strong> की जगह रदीफ <strong>हैं</strong> हो गया है शायद देख लीजियेगा…</span></span></p>
<p>वाह वाह .....इतनी छोटी बहर में बहुत बहाव के साथ गज़ल कही है आपने काफिया भी बहुत रोचक है </p>
<p><span>यह तेरी अर्जी है</span><br/><span>या फिर खुदगर्जी है</span></p>
<p><span><span>मैं तुम से रूठा हूँ</span><br/><span>तुहमत ये फर्जी है</span></span></p>
<p><span>.....बात करते हुए शब्द </span></p>
<p><span><span>सिल ही देंगी गम को</span><br/><span>सांसे भी दर्जी है...वाह कुछ नयापन मिला इस बात में (पर यहाँ <strong>है</strong> की जगह रदीफ <strong>हैं</strong> हो गया है शायद देख लीजियेगा )</span></span></p>
<p><span><span>गर्दिश, ग़ज़लें, गश्ती</span><br/><span>यह मेरी मर्जी है ..........क्या कहने </span></span></p>
<p></p>
<p>बढ़िया गज़ल अमितेष जी </p> शुक्रिया गणेश दादा tag:www.openbooksonline.com,2013-01-26:5170231:Comment:3116542013-01-26T19:28:26.105Zअमि तेषhttp://www.openbooksonline.com/profile/AmiteshJainamiajim
<p>शुक्रिया गणेश दादा </p>
<p>शुक्रिया गणेश दादा </p> //सिल ही देंगी गम को सांसे भी…tag:www.openbooksonline.com,2013-01-26:5170231:Comment:3115062013-01-26T08:47:42.659ZEr. Ganesh Jee "Bagi"http://www.openbooksonline.com/profile/GaneshJee
<p>//सिल ही देंगी गम को<br/> सांसे भी दर्जी है//</p>
<p>सुन्दर कहन , अच्छी ग़ज़ल , बधाई अमितेष जी ।</p>
<p>//सिल ही देंगी गम को<br/> सांसे भी दर्जी है//</p>
<p>सुन्दर कहन , अच्छी ग़ज़ल , बधाई अमितेष जी ।</p>