Comments - ग़ज़ल-रफ़ूगर - Open Books Online2024-03-29T15:04:31Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1098571&xn_auth=noआदरणीय धामी जी आपका हार्दिक अ…tag:www.openbooksonline.com,2023-02-15:5170231:Comment:10988632023-02-15T03:39:34.576Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय धामी जी आपका हार्दिक अभिनंदन एवं आभार...सादर</p>
<p>आदरणीय धामी जी आपका हार्दिक अभिनंदन एवं आभार...सादर</p> आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2023-02-09:5170231:Comment:10988312023-02-09T08:06:27.453Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। भाई समर जी के सुझाव से यह और निखर गयी है।</p>
<p>आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। भाई समर जी के सुझाव से यह और निखर गयी है।</p> दूसरी बात 'दो' शब्द की जगह "द…tag:www.openbooksonline.com,2023-02-09:5170231:Comment:10988282023-02-09T02:17:36.256Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p><span>दूसरी बात 'दो' शब्द की जगह "दे" शब्द उचित होगा ,देखिएगा I </span></p>
<p></p>
<p><span>दरअसल "साँवरे रफूगर" प्रभु श्री कृष्ण को संबोधन किया है इसलिए मुझे लगा 'दो' सम्मान सूचक है...लेकिन आपके ध्यानाकर्षण से पता चल रहा है "दे" भी ठीक रहेगा...सादर</span></p>
<p><span>दूसरी बात 'दो' शब्द की जगह "दे" शब्द उचित होगा ,देखिएगा I </span></p>
<p></p>
<p><span>दरअसल "साँवरे रफूगर" प्रभु श्री कृष्ण को संबोधन किया है इसलिए मुझे लगा 'दो' सम्मान सूचक है...लेकिन आपके ध्यानाकर्षण से पता चल रहा है "दे" भी ठीक रहेगा...सादर</span></p> आदरणीय समर कबीर जी आपकी सूक्ष…tag:www.openbooksonline.com,2023-02-09:5170231:Comment:10985972023-02-09T02:12:55.086Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय समर कबीर जी आपकी सूक्ष्म विवेचना से ग़ज़ल में निखार ही आएगा...जरूरी सुधार बिल्कुल किये जा सकते हैं...सह्रदय धन्यवाद</p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी आपकी सूक्ष्म विवेचना से ग़ज़ल में निखार ही आएगा...जरूरी सुधार बिल्कुल किये जा सकते हैं...सह्रदय धन्यवाद</p> जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आद…tag:www.openbooksonline.com,2023-02-08:5170231:Comment:10988252023-02-08T14:00:10.659ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p><span>'सुराख़ दिल के तमाम सिल दो अरे रफ़ूगर'---- इस मिसरे में सहीह शब्द 'सूराख़' २२१ है,दूसरी बात 'दो' शब्द की जगह "दे" शब्द उचित होगा ,देखिएगा I </span></p>
<p></p>
<p><span>'भला हो तेरा न और दे मशवरे रफ़ूगर'---इस मिसरे में सहीह शब्द 'मशविरे' है, देखिएगा I <br/></span></p>
<p>जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p><span>'सुराख़ दिल के तमाम सिल दो अरे रफ़ूगर'---- इस मिसरे में सहीह शब्द 'सूराख़' २२१ है,दूसरी बात 'दो' शब्द की जगह "दे" शब्द उचित होगा ,देखिएगा I </span></p>
<p></p>
<p><span>'भला हो तेरा न और दे मशवरे रफ़ूगर'---इस मिसरे में सहीह शब्द 'मशविरे' है, देखिएगा I <br/></span></p>