Comments - ग़ज़ल : बलराम धाकड़ (पाँव कब्र में जो लटकाकर बैठे हैं।) - Open Books Online2024-03-29T06:29:55Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1098565&xn_auth=noबहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय सम…tag:www.openbooksonline.com,2023-09-19:5170231:Comment:11095112023-09-19T11:14:40.032ZBalram Dhakarhttp://www.openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
<p>बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय समर सर.</p>
<p>सादर.</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय समर सर.</p>
<p>सादर.</p> अब ख़ूब हो गई ग़ज़ल ।tag:www.openbooksonline.com,2023-02-10:5170231:Comment:10986042023-02-10T12:41:30.701ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>अब ख़ूब हो गई ग़ज़ल ।</p>
<p>अब ख़ूब हो गई ग़ज़ल ।</p> आ. लक्ष्मण जी भाई साहब,
आपकी…tag:www.openbooksonline.com,2023-02-10:5170231:Comment:10988392023-02-10T12:35:10.515ZBalram Dhakarhttp://www.openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
<p>आ. लक्ष्मण जी भाई साहब,</p>
<p>आपकी और आ. समर सर की इस्लाह पर अमल करते हुए सुधार कर लिया है।</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आपका ।</p>
<p>सादर।</p>
<p>आ. लक्ष्मण जी भाई साहब,</p>
<p>आपकी और आ. समर सर की इस्लाह पर अमल करते हुए सुधार कर लिया है।</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आपका ।</p>
<p>सादर।</p> ग़ज़ल में आपकी शिरकत और मार्ग…tag:www.openbooksonline.com,2023-02-10:5170231:Comment:10986452023-02-10T12:33:46.030ZBalram Dhakarhttp://www.openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
<p>ग़ज़ल में आपकी शिरकत और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आ. समर सर।</p>
<p>आपकी इस्लाह के बाद अब मतला यूँ कर लिया है कि,</p>
<p>पाँव जो क़ब्रों में लटकाकर बैठे हैं।</p>
<p> और छठवें शेर का सानी इस तरह कहा है कि,</p>
<p>हर नुक्कड़ पर चार सुख़नवर बैठे हैं।</p>
<p>टंकण त्रुटियां सुधार ली जाएंगीं सर।</p>
<p>सादर।</p>
<p>ग़ज़ल में आपकी शिरकत और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आ. समर सर।</p>
<p>आपकी इस्लाह के बाद अब मतला यूँ कर लिया है कि,</p>
<p>पाँव जो क़ब्रों में लटकाकर बैठे हैं।</p>
<p> और छठवें शेर का सानी इस तरह कहा है कि,</p>
<p>हर नुक्कड़ पर चार सुख़नवर बैठे हैं।</p>
<p>टंकण त्रुटियां सुधार ली जाएंगीं सर।</p>
<p>सादर।</p> जनाब बलराम धाकड़ जी आदाब, ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2023-02-08:5170231:Comment:10987312023-02-08T14:12:56.226ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब बलराम धाकड़ जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p><span>'पाँव कब्र में जो लटकाकर बैठे हैं'--- इस मिसरे के बारे में आपसे फ़ोन पर चर्चा हो चुकी है I </span></p>
<p></p>
<p><span>'अब हम सब सीसीटीवी की जद में हैं'-- इस मिसरे में 'जद' को "ज़द" कर लें I </span></p>
<p></p>
<p>'अदबी लोगो! अदब की चिन्ता जायज़ है,</p>
<p>हर नुक्कड़, हर गली में शाइर बैठे हैं'--- इस शे`र के ऊला मिसरे में 'जायज़' को "जाइज़" कर लें और सानी मिसरे में "सुख़नवर" शब्द ले सकते हैं I </p>
<p>त्कुच…</p>
<p>जनाब बलराम धाकड़ जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p><span>'पाँव कब्र में जो लटकाकर बैठे हैं'--- इस मिसरे के बारे में आपसे फ़ोन पर चर्चा हो चुकी है I </span></p>
<p></p>
<p><span>'अब हम सब सीसीटीवी की जद में हैं'-- इस मिसरे में 'जद' को "ज़द" कर लें I </span></p>
<p></p>
<p>'अदबी लोगो! अदब की चिन्ता जायज़ है,</p>
<p>हर नुक्कड़, हर गली में शाइर बैठे हैं'--- इस शे`र के ऊला मिसरे में 'जायज़' को "जाइज़" कर लें और सानी मिसरे में "सुख़नवर" शब्द ले सकते हैं I </p>
<p>त्कुच टंकण त्रुटियाँ देख लें I </p>
<p>बाक़ी शुभ शुभ </p> आ. भाई बलराम जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2023-02-03:5170231:Comment:10986222023-02-03T15:06:01.952Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बलराम जी, सादर अभिवादन। शंका समाधान के लिए आभार।</p>
<p> यदि उचित लगे तो इस पर विचार कर सकते हैं-</p>
<p>हर नुक्कड़ पर शाइर घर कर बैठे हैं।</p>
<p></p>
<p> </p>
<p>आ. भाई बलराम जी, सादर अभिवादन। शंका समाधान के लिए आभार।</p>
<p> यदि उचित लगे तो इस पर विचार कर सकते हैं-</p>
<p>हर नुक्कड़ पर शाइर घर कर बैठे हैं।</p>
<p></p>
<p> </p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सादर…tag:www.openbooksonline.com,2023-02-03:5170231:Comment:10988072023-02-03T06:58:39.547ZBalram Dhakarhttp://www.openbooksonline.com/profile/BalramDhakar
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सादर नमस्कार।</p>
<p>आपकी शिरकत ग़ज़ल में हुई, प्रसन्नता हुई।</p>
<p>आपकी आपत्ति सही है, इस शे'र में क़ाफिया "शायर" होना था। फिर याद आया, जनाब समर कबीर साहब कहते हैं, सही शब्द "शाइर" है। ऐसे में सही काफिए की तलाश में इसे "शायर" ही रखते हैं। कृपया कोई सही क़ाफिया सूझे तो अवश्य अवगत कराइएगा।</p>
<p>सादर।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सादर नमस्कार।</p>
<p>आपकी शिरकत ग़ज़ल में हुई, प्रसन्नता हुई।</p>
<p>आपकी आपत्ति सही है, इस शे'र में क़ाफिया "शायर" होना था। फिर याद आया, जनाब समर कबीर साहब कहते हैं, सही शब्द "शाइर" है। ऐसे में सही काफिए की तलाश में इसे "शायर" ही रखते हैं। कृपया कोई सही क़ाफिया सूझे तो अवश्य अवगत कराइएगा।</p>
<p>सादर।</p> आ. भाई बलराम जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2023-02-03:5170231:Comment:10986162023-02-03T00:33:21.063Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बलराम जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई। </p>
<p>क्या "शाइर" शब्द से काफिया बदल नहीं रहा ? शंका समाधान कीजिएगा। सादर..</p>
<p>आ. भाई बलराम जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई। </p>
<p>क्या "शाइर" शब्द से काफिया बदल नहीं रहा ? शंका समाधान कीजिएगा। सादर..</p>