Comments - अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास - Open Books Online2024-03-29T09:59:18Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1097033&xn_auth=noअच्छी ग़ज़ल कही भाई मनोज जी...ब…tag:www.openbooksonline.com,2023-01-30:5170231:Comment:10983372023-01-30T13:04:35.025Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>अच्छी ग़ज़ल कही भाई मनोज जी...बधाई</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल कही भाई मनोज जी...बधाई</p> आदरणीय मुसाफिर साहब हार्दिक आ…tag:www.openbooksonline.com,2023-01-29:5170231:Comment:10979502023-01-29T11:02:34.609Zमनोज अहसासhttp://www.openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>आदरणीय मुसाफिर साहब हार्दिक आभार</p>
<p>सादर</p>
<p>आदरणीय मुसाफिर साहब हार्दिक आभार</p>
<p>सादर</p> हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर…tag:www.openbooksonline.com,2023-01-29:5170231:Comment:10978772023-01-29T11:01:47.592Zमनोज अहसासhttp://www.openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब</p>
<p>सुधार का प्रयास करता हूँ</p>
<p>सादर</p>
<p>हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब</p>
<p>सुधार का प्रयास करता हूँ</p>
<p>सादर</p> जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2023-01-29:5170231:Comment:10979442023-01-29T09:25:17.826ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p><span>'कुदरत के इंतजाम में किसकी चली हुज़ूर,'</span><br/><span>मत आइने को देखके ज्यादा मलाल कर'---- इस शे`र के ऊला में 'हुज़ूर" शब्द आदर सूचक है इसलिये शुतर गुरबा दोष है , सानी में सहीह शब्द "ज़ियादा" १२२ है , कई बार बता चुका हूँ I </span></p>
<p>जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p><span>'कुदरत के इंतजाम में किसकी चली हुज़ूर,'</span><br/><span>मत आइने को देखके ज्यादा मलाल कर'---- इस शे`र के ऊला में 'हुज़ूर" शब्द आदर सूचक है इसलिये शुतर गुरबा दोष है , सानी में सहीह शब्द "ज़ियादा" १२२ है , कई बार बता चुका हूँ I </span></p> आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन।…tag:www.openbooksonline.com,2023-01-29:5170231:Comment:10978722023-01-29T07:38:04.981Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।</p>