Comments - ग़ज़ल - मैं अँधेरी रात हूंँ और शम्स के अनवर-से आप - Open Books Online2024-03-29T11:49:59Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1094952&xn_auth=no//मानन्द-ए-मुजस्सम" का अर्थ म…tag:www.openbooksonline.com,2022-12-22:5170231:Comment:10955922022-12-22T12:06:08.510ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p><span>//मानन्द-ए-मुजस्सम" का अर्थ मूर्ति के जैसे लिया है //</span></p>
<p>'मुजस्सम' का अर्थ है ,जिस्म वाला, और 'मुजस्सम:' का अर्थ होता है मूर्ति, अब आप ख़ुद देख लें दोनों का फ़र्क़ ।</p>
<p><span>//मानन्द-ए-मुजस्सम" का अर्थ मूर्ति के जैसे लिया है //</span></p>
<p>'मुजस्सम' का अर्थ है ,जिस्म वाला, और 'मुजस्सम:' का अर्थ होता है मूर्ति, अब आप ख़ुद देख लें दोनों का फ़र्क़ ।</p> मोहतरम बृजेश कुमार 'ब्रज जी स…tag:www.openbooksonline.com,2022-12-21:5170231:Comment:10953582022-12-21T14:26:54.340ZAnjuman Mansury 'Arzoo'http://www.openbooksonline.com/profile/Anjuman
<p>मोहतरम बृजेश कुमार 'ब्रज जी सादर नमस्ते, हौसला अफ़ज़ाई के लिए हार्दिक आभार</p>
<p>मोहतरम बृजेश कुमार 'ब्रज जी सादर नमस्ते, हौसला अफ़ज़ाई के लिए हार्दिक आभार</p> मोहतरम जनाब Ravi Shukla जी आद…tag:www.openbooksonline.com,2022-12-21:5170231:Comment:10952732022-12-21T14:25:33.865ZAnjuman Mansury 'Arzoo'http://www.openbooksonline.com/profile/Anjuman
<p>मोहतरम जनाब Ravi Shukla जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया, अभी एडिट करती हूं मोहतरम।</p>
<p>मोहतरम जनाब Ravi Shukla जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया, अभी एडिट करती हूं मोहतरम।</p> मोहतरम जनाब Samar kabeer साहब…tag:www.openbooksonline.com,2022-12-21:5170231:Comment:10951902022-12-21T14:23:37.280ZAnjuman Mansury 'Arzoo'http://www.openbooksonline.com/profile/Anjuman
<p>मोहतरम जनाब Samar kabeer साहब आदाब अपना क़ीमती वक़्त ख़र्च करके ख़ूबसूरत इस्लाह के लिए तहे दिल से शुक्रिया,</p>
<p>मिम्बर और मानन्द की वर्तनी अभी सुधारती हूं "मानन्द-ए-मुजस्सम" का अर्थ मूर्ति के जैसे लिया है मोहतरम । बा अदब</p>
<p>मोहतरम जनाब Samar kabeer साहब आदाब अपना क़ीमती वक़्त ख़र्च करके ख़ूबसूरत इस्लाह के लिए तहे दिल से शुक्रिया,</p>
<p>मिम्बर और मानन्द की वर्तनी अभी सुधारती हूं "मानन्द-ए-मुजस्सम" का अर्थ मूर्ति के जैसे लिया है मोहतरम । बा अदब</p> आदरणीया अंजुमन 'आरज़ू' जी , उम…tag:www.openbooksonline.com,2022-12-20:5170231:Comment:10951512022-12-20T07:56:09.322ZRavi Shuklahttp://www.openbooksonline.com/profile/RaviShukla
<p><span>आदरणीया अंजुमन 'आरज़ू' जी , उम्दा ग़ज़ल कही है आपने बधाई स्वीकार करें I उर्दू अल्फ़ाज पर आदरणीय समर साहब के मशवरे पर गौर करें । </span></p>
<p><span>आदरणीया अंजुमन 'आरज़ू' जी , उम्दा ग़ज़ल कही है आपने बधाई स्वीकार करें I उर्दू अल्फ़ाज पर आदरणीय समर साहब के मशवरे पर गौर करें । </span></p> बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणी…tag:www.openbooksonline.com,2022-12-15:5170231:Comment:10951292022-12-15T13:14:14.250Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीया...बधाई</p>
<p>बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीया...बधाई</p> मुह्तामा अंजुमन 'आरज़ू' जी आदा…tag:www.openbooksonline.com,2022-12-14:5170231:Comment:10951192022-12-14T10:04:39.936ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मुह्तामा अंजुमन 'आरज़ू' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p>'मैं ज़मीं की ख़ाक-सी हूंँ चर्ख़ के मिंबर-से आप'-- इस मिसरे में ',मिंबर' को "मिम्बर" लिखें I </p>
<p></p>
<p><span>'मैं हूंँ मानिंद-ए-मुजस्सम और मेरे आज़र-से आप' पहली बात, इस मिसरे में सहीह शब्द "मानन्द" है, दूसरी बात "मानन्द-ए-मुजस्सम" का अर्थ क्या हुआ ?</span></p>
<p><span>बाक़ी शुभ शुभ I </span></p>
<p>मुह्तामा अंजुमन 'आरज़ू' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p>'मैं ज़मीं की ख़ाक-सी हूंँ चर्ख़ के मिंबर-से आप'-- इस मिसरे में ',मिंबर' को "मिम्बर" लिखें I </p>
<p></p>
<p><span>'मैं हूंँ मानिंद-ए-मुजस्सम और मेरे आज़र-से आप' पहली बात, इस मिसरे में सहीह शब्द "मानन्द" है, दूसरी बात "मानन्द-ए-मुजस्सम" का अर्थ क्या हुआ ?</span></p>
<p><span>बाक़ी शुभ शुभ I </span></p> मोहतरम Aazi Tamaam जी, ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2022-12-11:5170231:Comment:10950392022-12-11T16:20:13.328ZAnjuman Mansury 'Arzoo'http://www.openbooksonline.com/profile/Anjuman
<p>मोहतरम Aazi Tamaam जी, ग़ज़ल तक पहुंचने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया</p>
<p>मोहतरम Aazi Tamaam जी, ग़ज़ल तक पहुंचने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया</p> वाह आ बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई बधाई…tag:www.openbooksonline.com,2022-12-11:5170231:Comment:10949702022-12-11T16:16:16.097ZAazi Tamaamhttp://www.openbooksonline.com/profile/AaziTamaa
<p>वाह आ बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें</p>
<p>वाह आ बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर…tag:www.openbooksonline.com,2022-12-11:5170231:Comment:10950372022-12-11T16:16:14.442ZAnjuman Mansury 'Arzoo'http://www.openbooksonline.com/profile/Anjuman
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, ग़ज़ल तक पहुंचने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, ग़ज़ल तक पहुंचने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया</p>